कम NEET पर्सेंटाइल वाले आयुर्वेद के कैंडिडेट्स को दिल्ली HC ने नहीं दी काउंसलिंग में भाग लेने की अनुमति

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दो आयुर्वेद पाठ्यक्रम के उन अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जिनके नीट के प्राप्तांक (Percentile) कम थे. आयुर्वेद पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के इच्छुक इन अभ्यर्थियों को अदालत ने राहत देने से इनकार कर दिया.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
इस मामले की अगली सुनवाई अब 19 जुलाई को की जानी है.
नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दो आयुर्वेद पाठ्यक्रम के उन अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जिनके नीट के प्राप्तांक (Percentile) कम थे. आयुर्वेद पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के इच्छुक इन अभ्यर्थियों को अदालत ने राहत देने से इनकार कर दिया. इन अभ्यर्थियों ने दावा किया था कि उन्हें एक जैसी प्रवेश परीक्षा देने के लिए कहना अनुचित है, जो एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए है. इस मामले की अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी.

ये भी पढ़ें- एक साथ दो डिग्री कोर्स करने को UGC की हरी झंडी पर कई शिक्षाविदों ने चिंता जताई, कही यह बात...

कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली पीठ ने पाया कि साझा प्रवेश परीक्षा का उद्देश्य ‘मानक बढ़ाना' है. न्यायमूर्ति नवीन चावला की सदस्यता वाली पीठ ने याचिका पर केंद्र सरकार, राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग और अन्य को नोटिस जारी किया है. याचिका में आयुर्वेद पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) को अनिवार्य बनाने वाले कानून को चुनौती दी गई है. याचिका में संबंधित प्राधिकरण से यह खुलासा करने की मांग की गई है कि भारतीय चिकित्सा प्रणाली के विभिन्न पाठ्यक्रमों में कितनी सीट उपलब्ध हैं और कितनी भरी जा चुकी हैं.

Advertisement

अदालत ने कहा, ‘‘ पूरा मकसद मानक उठाने का है. आप इन संस्थानों में अयोग्य लोगों को लाना चाहते हैं ताकि इस शाखा की पूरी तरह हत्या की जा सके. जब सेवा के दौरान अधिकारों की बात आती है, तब आप कहते हैं कि हम समाना रूप से योग्य चिकित्सक हैं.''

Advertisement

अदालत ने कहा कि वह अनुकूल अंतरिम आदेश जारी करने के पक्ष में नहीं है. याचिकाकर्ताओं का पक्ष अधिवक्ता अनिमेश कुमार ने रखते हुए कहा कि भारतीय चिकित्सा प्रणाली के अभ्यर्थियों के लिए अलग से प्रवेश परीक्षा होनी चाहिए.

Advertisement

कुमार ने कहा कि अभ्यर्थियों के कट-ऑफ प्रतिशत तक नहीं पहुंच पाने के कारण इन पाठ्यक्रमों में बड़ी संख्या में सीट रिक्त रह जाती हैं. अधिवक्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि वह याचिकाकर्ताओं को काउंसिलिंग में भाग लेने की अनुमति दे या फिर सरकार से कहे कि वह इनके लिए अलग से प्रवेश परीक्षा का आयोजन कराये.

Advertisement

VIDEO: गाजियाबाद के नजदीक गौशाला में लगी आग से 40 गायों की मौत

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Mohammed Shami Energy Drink Controversy: शमी ने निभाया 'धर्म'... मौलाना नहीं समझे मर्म!
Topics mentioned in this article