अगर इतिहास में रुचि रखते हैं तो यहां हम आपको उत्तर प्रदेश, बागपत में स्थित सिनौली के बारे में बताने जा रहे हैं. बता दें, मशहूर फिल्मकार नीरज पांडे ने एक डॉक्यूमेंट्री ‘सीक्रेट्स ऑफ सिनौली-#SecretsOfSinauli डिस्कवरी ऑफ द सेंचुरी' का निर्माण किया है. जिसमें फिल्म अभिनेत मनोज बाजपेयी इसके सूत्रधार बने हैं. आइए जानते हैं इस जगह पर ऐसा क्या मिला जो भारत के इतिहास में दर्ज हो गया.
बागपत में स्थित सिनौली में हमारे पुरातत्व विभाग (ASI) ने कुछ ऐसा पाया है जिसे भारत के इतिहास की सबसे बड़ी जीत कहा जा रहा है. आपको बता दें, एक दिन एक किसान बागपत में स्थित सिनौली में खेती कर रहा था, खेती करने के दौरान उन्हें सोने के कंगन मिले, जिसके बाद उसने मिट्टी को और खोदना शुरू किया. खोदने के बाद उसे वहां हड्डियां मिली. फिर इस बात की जानकारी पुरातत्व विभाग (ASI) को दी गई.
बता दें, पहली बार साल 2005 में पुरातत्व विभाग (ASI) को इस स्थान के बारे में मालूम चला और फिर यहां उनकी टीम से इस स्थान पर स्टडी करना शुरू कर दिया. लेकिन कुछ समय बाद ASI को अपनी रिसर्च को किसी कारणों से रोकना पड़ा.
वहीं 13 साल बाद 2018 में सिनौली के अधूरे कार्य को फिर शुरू किया. किसी ने कल्पना भी नहीं की थी एक छोटे से खेत में भारत का 3800 से 4000 साल पुराना इतिहास दबा हुआ है.
ASI की टीम ने इस जगह पर जो कुछ पाया वह ये सब देखकर हैरान हो गए. ऐसा माना जा रहा है ये जगह अब तक पाए जाने वाली सबसे बड़ी खोजो में से एक हैं.
बता दें, जब खेत को खोदा गया तो यहां से मानव कंकाल मिले, मटके, तलवारें- ढाल और अन्य बेशकीमती चीजें मिली. खुदाई में एक से बढ़कर एक वस्तुएं निकलीं. जब सिनौली के निवासियों को पता चला कि उनकी जमीन के नीचे कई सभ्यताएं दफन हैं, तब से यहां के ग्रामीण भी अपने को महाभारत काल से जोड़कर देखने लगे हैं. बता दें, यमुना नदी से लगभग आठ किलोमीटर दूर स्थित बागपत जिले का सिनौली एक शांत-सामान्य हरियाली संपन्न गांव है.
जब खोज को जोड़ा गया महाभारत से
जैसे - जैसे आगे खोज बढ़ी इसे महाभारत से जोड़ा गया. अनुमान लगाया जाता है महाभारत 4000 साल पुरानी है.पुरातत्व विभाग (ASI) इस खोज में ऐसी चीज मिली है, जो भारत के इतिहास में काफी महत्वपूर्ण रोल निभाया था. इस खोज में पुरातत्व विभाग (ASI) को तीन रथ मिले. जो ये दर्शाता है रथ भारत की ही खोज है.
रथ की खोज के साथ नई -नई बात निकल कर सामने आई. कई देश का कहना है घोड़े भारत में थे ही नहीं. बल्कि जब आर्यन भारत में आए उसके बाद घोड़े आए थे, लेकिन पुरातत्व विभाग (ASI) के द्वारा की गई इस रथ की खोज ने पूरी कहानी को झूठ साबित कर दिया. रथ की खोज के साथ ये भी साबित हुआ आर्यन कोई बाहरी सभ्यता के लोग नहीं थे, वे भारत के लोग ही थे,जो बाहर से ना आकर भारत से दूसरे देश में गए थे.
आपको बता दें, पुरातत्व विभाग (ASI) ने रथ की ऊंचाई का आकलन किया और पता लगा ये रथ किस जानवर के लिए डिजाइन किया गया था. जब स्टडी की गई तब मालूम चला, इस रथ को घोड़ों के लिए ही बनाया गया होगा. अभी इस पर और खोज होनी बाकी है.
5000 साल पुराना है रथ
सिनौली उत्खनन से प्राप्त पुरावशेषों की जानकारी देते हुए इतिहासकारों ने बताया कि सिनौली के वर्तमान उत्खनन से आठ मानव कंकाल और उनके साथ तीन एंटीना शॉर्ड (तलवारें), काफी संख्या में मृदभांड, विभिन्न दुर्लभ पत्थरों के मनकें और सबसे अधिक महत्वपूर्ण और कौतूहल वाला 5000 साल पुराना रथ मिला है.
उन्होंने बताया कि भारत में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की स्थापना के बाद से अभी तक हुए उत्खनन और शोध में पहली बार सिनौली उत्खनन से भारतीय योद्धाओं के तीन रथ भी प्राप्त हुए हैं.
बता दें, विश्व भर में अभी तक के मिले प्राचीन सभ्यताओं के शवाधान पुरास्थलों में सिनौली साइट सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. यहां पर चल रहे खनन से पुरातत्वविदों को महाभारतकालीन 'रथ' और 'शाही ताबूत' मिले हैं.
इसके साथ ही ताबूत में दफन योद्धा की ताम्र युगीन तलवारें, ढाल, सोने और बहुमूल्य पत्थरों के मनके, योद्धा का कवच, हेलमेट आदि भी प्राप्त होने से अब पूरे विश्व के पुरातत्वविदों की नजरें सिनौली पर टिक गई हैं. हालांकि अभी इस जगह पर पूरी तरह से खोज नहीं की गई है. अब देखना ये है कि ASI की टीम सिनौली को लेकर और क्या- क्या खोज करती है.