Balaji Wafers Success Story: चटपटा नमकीन स्नैक्स आज ज्यादातर लोगों के खानपान का हिस्सा बन चुका है. देश में जहां पहले स्नैक्स की कुछेक बड़ी कंपनियां हुआ करती थीं, आज ढेरों कंपनियां हो गई हैं. कुछ सबसे बड़े घरेलू स्नैक्स ब्रैंड में से एक नाम बालाजी वेफर्स (Balaji Wafers) का भी है. बीते एक दशक से कम समय में कंपनी 10 गुना रफ्तार से बढ़ी है. इसे बढ़ा रहा है, विरानी परिवार. कंपनी के फाउंडर चंदूभाई विरानी का कहना है कि उनके पास भले ही 'एमबीए' की डिग्री नहीं, लेकिन एक जुनून है, जिसके दम पर कंपनी आज इस मुकाम तक पहुंची है.
चंदूभाई ने बताया कामयाबी का मंत्र
बालाजी ग्रुप के संस्थापक और एमडी चंदूभाई विरानी ने NDTV Profit से बातचीत के दौरान कहा कि कंपनी का सफर MBA यानी प्रबंधन की डिग्री से नहीं, बल्कि दृढ़ता से आगे बढ़ा है. उन्होंने कहा, 'सात-आठ साल पहले, हमारा मूल्यांकन (कंपनी की वैल्युएशन) लगभग 3,000-4,000 करोड़ रुपये था. अब यह 40,000 करोड़ रुपये है.' उन्होंने कहा, 'हमारा मूल्य बाजार ने तय किया है, हमने नहीं.'
कंपनी को फिलहाल विरानी परिवार चला रहा है, लेकिन अगली पीढ़ी प्रोफेशनल मैनेजमेंट लाने के लिए तैयार है. उन्होंने बताया, 'हमने एक छोटी सी हिस्सेदारी, करीब 5 से 7 फीसदी को अलग करने का फैसला किया है क्योंकि अगली पीढ़ी चाहती है कि पेशेवर ये सुनिश्चित करें कि बालाजी हमारी विरासत को आगे बढ़ाए.
चिप्स के पैकेट में हवा क्यों भरी होती है?
बालाजी को क्या खास बनाता है, इस बारे में विरानी ने कहा, 'हमारे चिप्स भारतीय स्पर्श के साथ बनाए जाते हैं, फिर भी वे वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों से सीधा मुकाबला कर सकते हैं. हमारे पोर्टफोलियो में भारतीय और पश्चिमी, दोनों तरह के स्वाद हैं.' चिप्स के पैकेटों में 'हवा भरी' होने के पुराने सवाल का जवाब देते हुए, उन्होंने बताया, 'ये सामान्य हवा नहीं, बल्कि नाइट्रोजन होती है. जो चिप्स को ताजा रखती है और उन्हें टूटने से बचाती है.'
'हम उन लोगों का पेट भरते हैं, जो...'
कंपनी ने एक बार स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद पेश करने की कोशिश की थी, लेकिन उपभोक्ताओं ने इसे पसंद नहीं किया. इस पर चंदूभाई ने कहा, 'जब हमने स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों में विविधता लाने की कोशिश की, तो ग्राहकों ने उन्हें खरीदने की हिम्मत नहीं की.' उन्होंने आगे कहा कि कंपनी ऐसे स्नैक्स विकल्प भी पेश करती है जो खाने की जगह नहीं लेते.
विरानी के लिए सफलता उद्देश्य में ही शामिल है. उन्होंने आगे कहा, 'हम उन लोगों का पेट भरते हैं जो चिप्स के एक पैकेट से ज्यादा नहीं खरीद सकते. मेरे पास भले ही एमबीए न हो, लेकिन मुझमें जुनून है. और मैं नहीं चाहता कि अगली पीढ़ी गलतियां करने से डरे.'














