US फेडरल रिजर्व ने इस साल पहली बार घटाई ब्याज दर, 2025 में दो और कटौती के दिए संकेत

Federal Reserve Interest Rate Cuts: फेड की डॉट प्लॉट रिपोर्ट में दिखाया गया है कि 2025 में ब्याज दर में दो और कटौती की जा सकती है, लेकिन 2026 में सिर्फ एक कटौती की संभावना है.

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US Fed Rate Cut: फेड चेयर जेरोम पॉवेल ने कहा कि यह फैसला मुख्य तौर पर जॉब मार्केट की कमजोरी को देखते हुए लिया गया है.
नई दिल्ली:

अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने इस साल पहली बार ब्याज दर घटाने (Interest Rates Cut)का बड़ा फैसला लिया है. बुधवार को फेड ने इंटरेस्ट रेट को 0.25 प्वाइंट कम किया और 2025 में दो और कटौती होने का संकेत दिया है.

ब्याज दर में कितनी कटौती हुई?

इस फैसले के बाद फेड की शॉर्ट टर्म ब्याज दर (US FED Rate CUT) 4.3% से घटकर करीब 4.1% पर आ गई है. फेड ने पिछली बार दिसंबर 2024 में रेट कट किया था. इसके बाद से लगातार नौ महीने तक दरें स्थिर थीं.

क्यों किया गया रेट कट?

फेड चेयर जेरोम पॉवेल ने कहा कि यह फैसला मुख्य तौर पर जॉब मार्केट की कमजोरी को देखते हुए लिया गया है. हाल के महीनों में अमेरिका में हायरिंग लगभग रुक गई है और बेरोजगारी दर भी बढ़ी है. पॉवेल ने इसे 'रिस्क मैनेजमेंट कट' बताया और साफ कहा कि फेड को तेजी से रेट घटाने की जरूरत नहीं है.

आगे कितने कट की उम्मीद?

फेड की डॉट प्लॉट रिपोर्ट में दिखाया गया है कि 2025 में दो और कटौती की जा सकती है, लेकिन 2026 में सिर्फ एक कटौती की संभावना है. हालांकि, पॉवेल ने यह भी कहा कि यह प्रोजेक्शन निश्चित नहीं है, बल्कि आर्थिक हालात पर निर्भर करेगा.

ब्याज दर कटौती से अमेरिका में महंगाई घटने की उम्मीद

फेडरल रिजर्व की ब्याज दर कटौती से अमेरिका में लोन सस्ते होने और महंगाई घटने की उम्मीद है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब ब्याज दरें नीचे आती हैं तो कर्ज लेने की लागत कम होती है और इससे अर्थव्यवस्था को सहारा मिलता है. पिछले साल 2024 में भी फेड ने तीन बार रेट कट किया था और अब फिर से इस साल की शुरुआत में दरों को घटाया गया है.

भारत पर क्या होगा असर?

फेड के ब्याज दर में कटौती के फैसले का असर भारत पर भी दिखेगा. अमेरिकी करेंसी डॉलर कमजोर होने पर भारतीय रुपया मजबूत हो सकता है जिससे तेल, सोना और इलेक्ट्रॉनिक जैसे आयातित सामान सस्ते पड़ सकते हैं. शेयर बाजार में भी विदेशी निवेश (FII) बढ़ने की उम्मीद है.

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हालांकि, अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में  तेल कीमतें बढ़ती रहीं तो पेट्रोल-डीजल महंगा हो सकता है. दूसरी तरफ RBI पर भी रेट कट का दबाव रहेगा, लेकिन घरेलू महंगाई को देखते हुए उसे बैलेंस्ड फैसला लेना होगा.

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