TCS Layoffs: देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) पर IT कर्मचारियों के संगठन नैसेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉई सीनेट (NITES) ने गंभीर आरोप लगाए हैं. NITES का दावा है कि TCS ने अकेले पुणे ऑफिस में बीते दिनों करीब 2,500 कर्मचारियों को नौकरी से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया है या उन्हें अचानक हटा दिया है. एनडीटीवी प्रॉफिट से बात करते हुए एनआईटीईएस के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने इसे 'अनैतिक और अवैध' बताया है.
'कंपनी ने महाराष्ट्र सरकार से अनुमति ली?'
हरप्रीत सिंह सलूजा ने कहा, "कानूनी तौर पर, छंटनी एक अस्थायी कदम होता है, लेकिन जब कर्मचारियों को स्थायी रूप से हटाया जाता है, तो उसे कटौती कहा जाता है. कटौती के लिए कंपनी को सरकार की अनुमति और उचित वजह बताना जरूरी होता है. क्या कंपनी ने महाराष्ट्र सरकार से ऐसी अनुमति ली है?"
असली मकसद 'लागत में कटौती'
यूनियन का कहना है कि टीसीएस इसे 'पुनर्गठन' (restructuring) बता रहा है, लेकिन असल में यह क्रोनी कैपिटलिज्म है. वे अनुभवी, मध्यम-स्तर के कर्मचारियों को हटाकर उनकी जगह सस्ते, नए कर्मचारियों को रख रहे हैं. उनका मानना है कि यह लागत कम करने का एक तरीका है, जिसका खामियाजा कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है. हरप्रीत सिंह सलूजा ने अमेरिका में उठाई गई इसी तरह की चिंताओं की ओर इशारा किया, जहां सीनेटरों ने सवाल उठाया कि टीसीएस कर्मचारियों को क्यों बर्खास्त कर रही है, जबकि वह एच-1बी वीजा के लिए सबसे बड़े आवेदकों में से एक बनी हुई है.
'सरकार को देना होगा ध्यान'
लोकसभा सांसद और लेबर, टेक्सटाइल और स्किल डेवलपमेंट स्थायी समिति के सदस्य राजा राम सिंह ने अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर तुरंत इस मामले में दखल देने और कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने की मांग की है. उनका कहना है कि औद्योगिक विवाद अधिनियम (Industrial Disputes Act) के नियम का पालन नहीं किया जा रहा है.
टीसीएस का जवाब
दूसरी ओर, जब पीटीआई ने टीसीएस से संपर्क किया तो उन्होंने इन आरोपों को गलत बताया. टीसीएस के अनुसार, "संगठन में कौशल को फिर से संगठित करने की हालिया पहल से केवल सीमित संख्या में कर्मचारी प्रभावित हुए हैं.