Stock Market Opening Bell: भारतीय बाजार आज यानी 19 फरवरी को गिरावट के साथ खुले. ग्लोबल मार्केट में अनिश्चितता और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ (Trump Tariff) बयान के चलते सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) दोनों लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं.
प्री-ओपनिंग सेशन में बाजार का हाल
आज सुबह 9:13 बजे सेंसेक्स (BSE Sensex) 180.12 अंक (0.24%) की गिरावट के साथ 75,787.27 पर था. जबकि निफ्टी 50 (Nifty 50) 98.05 अंक (0.43%) नीचे 22,847.25 पर था.
शुरुआती कारोबार में बिकवाली
सुबह 9:21 बजे बाजार में गिरावट और तेज हो गई .सेंसेक्स 300.67 अंक (0.40%) गिरकर 75,666.72 पर पहुंच गया.निफ्टी 83.60 अंक (0.36%) टूटकर 22,861.70 पर ट्रेड कर रहा था.
किन सेक्टर्स में गिरावट और तेजी?
शुरुआती कारोबार में फार्मा (Pharma), आईटी (IT), एफएमसीजी (FMCG), ऑटो (Auto) सेक्टर में 0.5% से 2% की गिरावट देखी गई.
टॉप लूजर्स और गेनर्स
एनटीपीसी (NTPC), एसबीआई (SBI), टाटा स्टील (Tata Steel), हीरो मोटोकॉर्प (Hero MotoCorp) में तेजी देखी गई. जबकि डॉ. रेड्डीज लैब्स (Dr Reddy's Labs), सिप्ला (Cipla), सन फार्मा (Sun Pharma), महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M), टीसीएस (TCS) गिरावट वाले स्टॉक्स की लिस्ट में शामिल रहे.
ट्रंप के बयान का फार्मा सेक्टर पर असर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 25% टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की है, जो 2 अप्रैल से लागू हो सकती है. यह टैरिफ इम्पोर्टेड दवाइयों (Imported Drugs), कारों (Cars) और सेमीकंडक्टर चिप्स (Semiconductor Chips) पर लगेगा. भारतीय फार्मा कंपनियां इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं. डॉ. रेड्डीज, लुपिन (Lupin), सिप्ला और जायडस (Zydus) के शेयरों पर इसका सीधा असर दिख रहा है.
ऑटो सेक्टर पर कम, फार्मा सेक्टर पर बड़ा असर
एसबीआई रिसर्च (SBI Research) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत से अमेरिका को होने वाला कार एक्सपोर्ट सिर्फ 0.2% है, इसलिए ऑटो सेक्टर (Auto Sector) पर इसका असर बहुत कम होगा.
अभी भारत अमेरिका से आने वाली दवाओं पर 10% टैरिफ लगाता है, लेकिन अमेरिका भारत से आयात होने वाली दवाओं पर कोई टैरिफ नहीं लगाता. अगर ट्रंप भारतीय दवाओं पर 10% टैरिफ लगा देते हैं, तो इससे डॉ. रेड्डीज लैब्स (Dr Reddy's Labs), लुपिन (Lupin) जैसी कंपनियों की कमाई पर असर पड़ सकता है.इस फैसले से फार्मा सेक्टर (Pharma Sector) को बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि भारतीय दवा कंपनियां अपने कुल निर्यात का 38% अमेरिका को भेजती हैं.