RBI ने लगातार 11वीं बार Repo Rate में नहीं किया बदलाव, 6.50% पर बरकरार, लोन की EMI पर राहत नहीं

RBI MPC Announcements: रेपो रेट वह दर है जिस पर कमर्शियल बैंक आरबीआई से पैसा उधार लेते हैं. RBI रेपो रेट का इस्तेमाल महंगाई को नियंत्रित करने के लिए करता है.

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RBI MPC Meeting: वर्तमान में रेपो रेट 6.50% है, जो कि फरवरी 2023 से स्थिर है.
नई दिल्ली:

RBI Monetary Policy Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक ने नतीजे की घोषणा की गई.  भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी बैठक के फैसलों का एलान किया है.आरबीआई ने लगातार 11वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. 

इसका मतलब है कि आपके लोन की EMI नहीं बढ़ने वाली है. हालांकि,  ऐसे में होम लोन, कार लोन लेने वालों को EMI में राहत भी नहीं मिलेगी. वर्तमान में रेपो रेट 6.50%  है,जो कि फरवरी 2023 से स्थिर है. बाजार के जानकार पहले से  ही रेपो रेट में इस बार भी किसी तरह का बदलाव न होने को लेकर उम्मीद कर रहे थे.

रेपो रेट क्या है?

बता दें कि रेपो रेट वह दर है जिस पर कमर्शियल बैंक आरबीआई से पैसा उधार लेते हैं. RBI रेपो रेट का इस्तेमाल महंगाई को नियंत्रित करने के लिए करता है. अगर महंगाई बढ़ रही है तो RBI रेपो रेट बढ़ा सकती है, जिससे बैंक भी अपने ग्राहकों को ज्यादा ब्याज दर पर लोन देंगे. इससे लोग कम खर्च करेंगे और महंगाई कम होगी. इसके विपरीत, अगर अर्थव्यवस्था सुस्त है तो RBI रेपो रेट कम कर सकती है. इससे बैंकों को सस्ता पैसा मिलेगा और वे ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर लोन देंगे. इससे लोग ज्यादा खर्च करेंगे और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी.

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CRR को 4.5% से घटाकर 4% किया

अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के मकसद से केंद्रीय बैंक ने सीआरआर (कैश रिजर्व रेशियो) को 4.5 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत कर दिया. आरबीआई गवर्नर के अनुसार, सीआरआर में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का फैसला लिया गया है, जिसके बाद कैश रिजर्व रेश्यो को घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है. इस कदम से बैंकों में 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी.

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सीआरआर का मतलब है कि बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित हिस्सा नकद के रूप में RBI के पास जमा करना होता है. बाकी का पैसा बैंक लोन देने या अन्य निवेश के लिए इस्तेमाल कर सकता है.

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आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि वृहद-आर्थिक स्थिति पर विचार करने के बाद मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया है.  मौद्रिक नीति समिति के छह में से चार सदस्यों ने नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में मत दिया.

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हमारी कोशिश आरबीआई अधिनियम के फ्लेक्सिबल टारगेटिंग फ्रेमवर्क का पालन करना है. प्राइस स्टेबिलिटी हमारी अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है. यह लोगों की क्रय शक्ति को प्रभावित करती है, इसलिए इसका महत्व व्यवसायों के लिए भी है.

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स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी 6.25% पर बरकरार

मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की घोषणाओं के अनुसार, कमेटी ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) को भी 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. बैंक रेट और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी को 6.75 प्रतिशत पर ही स्थिर रखा गया है. कमेटी का मानना है कि सस्टेनेबल प्राइस स्टेबिलिटी के साथ ही उच्च विकास की नींव को मजबूत रखा जा सकता है.स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 8 अप्रैल, 2022 को एक मौद्रिक नीति उपकरण के रूप में पेश किया गया था.

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि मौद्रिक नीति का व्यापक प्रभाव होता है, समाज के हर क्षेत्र के लिए कीमत स्थिरता जरूरी और हम आर्थिेक वृद्धि को ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण आंकड़ों से संकेत मिलता है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि तेज होगी.

RBI ने चालू वित्त वर्ष के वृद्धि दर अनुमान को 7.2% से घटाकर 6.6% किया

जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर अनुमान से कम 5.4 प्रतिशत पर रही. आरबीआई ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत किया. इसके साथ ही आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.

गवर्नर शक्तिकांत दास  की कहना है कि दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुस्ती का संकेत देने वाले संकेतक अब समाप्त होने की स्थिति में हैं. खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार दबाव रहने से तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति ऊंची रहने की संभावना है. 
 

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