एलन मस्क की Starlink को बिना नीलामी न मिले स्पेक्ट्रम... टेलीकॉम रेगुलेटर से रिलायंस की अपील

रिलायंस कंपनी ने कहा कि इस बारे में चीजें स्पष्ट और निश्चित नहीं हैं. स्पेक्ट्रम एलोकेशन को प्राथमिकता देने के बावजूद कोई भी भारतीय यूनिट कभी भी अपना स्वयं का नॉन-जियोस्टेशनरी स्टेशन शुरू नहीं कर पाएगी.

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नई दिल्ली:

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने भारत के टेलीकम्युनिकेशन रेगुलेटर से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम देने से पहले अमेरिकी कारोबारी एलन मस्क के स्टारलिंक और अमेजॉन के कुइपर की संभावित पहुंच की समीक्षा करने की अपील की है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुकेश अंबानी ने इस मामले में रेगुलेटर TRAI को एक लेटर लिखा है. साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मामले में दखल देने की मांग की है.

स्पेक्ट्रम एलोकेशन का विवाद काफी पुराना है. इससे पहले 2G और 3G स्पेक्ट्रम को लेकर घोटाले के आरोप लगे थे. रिपोर्ट के मुताबिक, मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो का कहना है कि स्पेट्रम एलोकेशन नीलामी के जरिए किया जाना चाहिए. लेकिन इसे लेकर मुकेश अंबानी और एलन मस्क आमने-सामने आ गये हैं. 

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एलन मस्क की स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी और उसके ग्लोबल प्लेयर जैसे अमेजॉन की कुपियर, भारती समूह समर्थित वनवेब यूटेलसैट और SES-जियो के ज्वॉइंट वेंचर जैसी सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनियां भारत में सैटेलाइट सर्विस देने जा रही हैं. लेकिन रिलायंस जियो सरकार के सैटेलाइट स्पेक्ट्रम एलोकेशन से नाराज है. रिलायंस का कहना है कि पिछले साल सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का एलोकेशन ठीक वैसे किया गया था, जैसे एलन मस्क जैसा चाहते थे, जो कि ठीक नहीं है. 

 सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस के लिए किसी एक व्यक्ति या होम यूजस के लिए कोई प्रावधान नहीं है. कंपनी ने कहा कि स्पेक्ट्रम नीलामी से देश की कंपनियों को विदेशी सैटेलाइट कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा. यह इंडस्ट्री के हित में है. विदेशी कंपनियों ने पहले आओ पहले पाओ आधारित आईटीयू (अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ) की प्राथमिकता सूची को बाधित किया है और अपने ग्रुप के फायदे के लिए पूरा प्लान बनाया है.

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रिलायंस कंपनी ने कहा कि इस बारे में चीजें स्पष्ट और निश्चित नहीं हैं. स्पेक्ट्रम एलोकेशन को प्राथमिकता देने के बावजूद कोई भी भारतीय यूनिट कभी भी अपना स्वयं का नॉन-जियोस्टेशनरी स्टेशन शुरू नहीं कर पाएगी.

बता दें कि दूरसंचार अधिनियम 2023 में सैटकॉम कंपनियों को नीलामी के बिना प्रशासनिक व्यवस्था के जरिये स्पेक्ट्रम एलोकेश करने की बात कही गई है. इसकी वजह सैटेलाइट कंपनियों को एलोकेट किए गए रेडियो फ्रीक्वेंसी को एक कॉमन स्पेक्ट्रम माना जाता है. जियो ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि सैटकॉम सर्विसेज उन टेलीकॉम सर्विसेज की पूरक होंगी, जहां कोई नेटवर्क कवरेज नहीं है.

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