टॉप-30 IPO में 8 ने डुबोए पैसे, सिर्फ 2 ने दिया तगड़ा रिटर्न, IPO में निवेश के शौकीन हैं तो पढ़ लें ये रिपोर्ट

IPOs in India 2024: रिपोर्ट में बताया गया कि बीते दो वर्षों में आए 10 सबसे बड़े आईपीओ में बजाज हाउसिंग फाइनेंस, भारती हैक्साकॉम और ब्रेनबीज (फर्स्ट क्राई) ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है.

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IPO Listing 2024: रिपोर्ट में आगे कहा गया कि शीर्ष 10 में से जोमैटो ही निवेशकों को शानदान रिटर्न दे पाया है.
नई दिल्ली:

देश के शीर्ष 30 बड़े आईपीओ में से 19 ने सीएनएक्स 500 इंडेक्स से कम रिटर्न दिया है. बुधवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. वेल्थ मैनेजमेंट फर्म कैपिटलमाइंड फाइनेंसियल सर्विसेज की रिपोर्ट में जानकारी दी गई कि देश में अब तक आए बड़े 30 में से आठ बड़े आईपीओ ने नकारात्मक रिटर्न दिया है.

हाई-प्रोफाइल आईपीओ में रिलायंस पावर ने निवेशकों को सबसे ज्यादा नकारात्मक रिटर्न दिया है. यह अपने समय का सबसे बड़ा आईपीओ था.

कोल इंडिया का शेयर पिछले 14 वर्षों में हुआ दोगुना

शीर्ष 10 आईपीओ में केवल दो आईपीओ ने सीएनएक्स500 से ज्यादा रिटर्न दिया है. कोल इंडिया का शेयर पिछले 14 वर्षों में दोगुना हुआ है. अगर इसके द्वारा दिए गए डिविडेंड को मिला दिया जाए तो कोल इंडिया ने इंडेक्स के बराबर रिटर्न दिया है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि शीर्ष 10 में से जोमैटो ही निवेशकों को शानदान रिटर्न दे पाया है. इसके बाद शीर्ष 30 बड़े आईपीओ में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन, सोना बीएलडब्ल्यू प्रिसिजन फोर्जिंग्स और आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने भी निवेशकों को इंडेक्स से अच्छा रिटर्न दिया है.

बीते दो वर्षों इन आईपीओ ने निवेशकों को दिया शानदार रिटर्न

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि बीते दो वर्षों में आए 10 सबसे बड़े आईपीओ में बजाज हाउसिंग फाइनेंस, भारती हैक्साकॉम और ब्रेनबीज (फर्स्ट क्राई) ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है.

कैपिटलमाइंड फाइनेंसियल सर्विसेज के इन्वेस्टमेंट और रिसर्च हेड अनूप विजयकुमार कहना है कि तेज के बाजारों के अंतिम चरण में बड़े आईपीओ देखने को मिलते हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद के मुताबिक वैल्यूएशन मिल जाता है. वहीं, जिन कंपनियों की लिस्टिंग के बाद आय में वृद्धि दर वैल्यूएशन के मुताबिक नहीं होती है, तो वह उम्मीद से कम रिटर्न देते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में शेयर बाजार से जुटाए गए फंड में कंज्यूमर कंपनियों की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत, फाइनेंसियल कंपनियों की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत और इंडस्ट्रियल कंपनियों की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत रही है.
 

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