अमेरिकी टैरिफ से निपटने के लिए भारत की सॉलिड तैयारी, जानें क्या है वाणिज्य मंत्रालय का प्लान

अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित एक्सपोर्टरों को राहत देने के लिए फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन और कई अन्य एक्सपोर्ट संस्थाओं ने केंद्र से 'राहत पैकेज' की मांग की है. वहीं वाणिज्य मंत्रालय ने टैरिफ से निपटने के लिए 'बहु-स्तरीय' रणनीति बनाई है.

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विभिन्‍न संस्थाओं ने भारत सरकार से 'राहत पैकेज' की मांग की है. (फाइल)
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  • अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% रेसिप्रोकल टैरिफ से भारत के कई प्रमुख एक्सपोर्ट सेक्टर प्रभावित हो रहे हैं.
  • वाणिज्य मंत्रालय एक्सपोर्टरों को तत्काल तरलता, अनुपालन में राहत और रोजगार बनाए रखने के उपाय कर रहा है.
  • सरकार आसान शर्तों पर पूंजी उपलब्ध कराने और नए बाजारों तक पहुंच बढ़ाने की रणनीति बना रही है
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नई दिल्‍ली :

अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% रेसिप्रोकल टैरिफ से प्रभावित होने वाले एक्सपोर्टरों को राहत देने के लिए वाणिज्य मंत्रालय एक "बहु-स्तरीय" रणनीति बनाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है. मंत्रालय के मुताबिक, अमेरिका की हिस्सेदारी भारत के कुल माल निर्यात में 18 से 20 फीसदी तक है. इसमें कुछ एक्सपोर्ट सेक्टरों में भारतीय एक्सपोर्टरों का अमेरिकी बाजार में एक्सपोजर काफी ज्यादा है - जैसे कालीन में 60%, निर्मित वस्तुओं में 50%, रत्न एवं आभूषण में 30% और परिधान में 40% तक निर्यात अमेरिका को किया जाता है. 

रेसिप्रोकल टैरिफ के असर से प्रभावित एक्सपोर्टरों को राहत देने के लिए एक्सपोर्टरों के सबसे बड़े संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन (FIEO) और कई अन्य एक्सपोर्ट संस्थाओं ने भारत सरकार से "राहत पैकेज" की मांग की है. 

वाणिज्‍य मंत्रालय की रणनीति के 5 उद्देश्‍य

सरकारी सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ से निपटने के लिए वाणिज्य मंत्रालय की प्रस्तावित "बहु-स्तरीय" रणनीति के 5 प्रमुख उद्देश्य हैं-  

  1. निर्यातकों को तत्काल तरलता (Immediate Liquidity) और अनुपालन में राहत (Compliance Relief) प्रदान करना.
  2. संवेदनशील एक्सपोर्टर सेक्टर में ऑर्डर का स्तर (Order Levels) और रोजगार बनाए रखना.  
  3. संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखलाओं (Supply Chains) को मजबूत बनाए रखना. 
  4. मौजूदा व्यापार समझौतों (Trade Agreements) और नए बाजारों तक पहुंच का अवसर मुहैया कराना, और
  5. निर्यातकों को मार्केट एक्‍सेस, प्रोडक्ट की ब्रांडिंग, निर्यात अनुपालन, एक्‍सपोर्ट लॉजिस्टिक्स और क्षमता निर्माण जैसी गैर-वित्तीय सक्षमताओं के जरिए सहायता प्रदान करना. 

कई स्‍तर पर पहल की तैयारी में सरकार

वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया है कि सरकार कई स्तर पर पहल करने की तैयारी कर रही है, जिनमें सबसे प्रमुख हैं- 

1. आसान शर्तों पर पूंजी की उपलब्धता: सरकार का आंकलन है कि टैरिफ के झटके के कारण निर्यातकों को भुगतान में देरी और रद्द किए गए ऑर्डर से निपटने का सामना करना पड़ सकता है. प्रभावित एक्सपोर्टरों की कार्यशील पूंजी पर दबाव को कम करने और रोजगार की रक्षा के लिए सरकार तरलता (Liquidity) बनाए रखने, दिवालियेपन को रोकने और नए बाजारों के खुलने तक निर्यातकों को संचालन जारी रखने के लिए कई नए कदमों पर विचार कर रही है.

2. एक्सपोर्ट ऑर्डर के स्तर को बनाए रखने पर फोकस: रेसिप्रोकल टैरिफ से एक गंभीर खतरा एक्सपोर्ट ऑर्डर में गिरावट का है, विशेष रूप से विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) आधारित इकाइयों में, जिनका श्रम-प्रधान निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान है. इस चुनौती से निपटने के लिए केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित एक्‍सपोर्ट प्रमोशन मिशन - वित्तीय और गैर-वित्तीय चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार की एक प्रमुख पहल होगी. इसके तहत दो स्तर पर पहल की तैयारी है- 

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  • (A) निर्यात प्रोत्‍साहन - आसान शर्तों पर वित्तीय सहायता के लिए ब्याज अनुदान और ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट कार्ड; और 
  • (B) निर्यात दिशा - मार्केट एक्‍सेस में सहायता के लिए निर्यात अनुपालन समर्थन, ब्रांडिंग और पैकेजिंग सहायता, रसद और भंडारण सहायता, ट्रेड इंटेलीजेंस और कौशल विकास. 

घरेलू बाजार की मांग में तेजी की उम्‍मीद

साथ ही वाणिज्य मंत्रालय को उम्मीद है कि GST स्लैब्स की संख्या घटाने और कई वस्तुओं को ऊंचे GST स्लैब से हटाकर कम GST वाले स्लैब में शिफ्ट करने से घरेलू बाजार में मांग में तेजी और वृद्धि आएगी. इससे एक्सपोर्टरों के लिए इस बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए घरेलू बाजार में अधिक बिक्री के अवसर पैदा होंगे. 

वाणिज्य विभाग अमेरिकी टैरिफ के जवाब में एक चरणबद्ध निर्यात विविधीकरण (Export Diversification) फ्रेमवर्क भी तैयार कर रहा है, जिसमें वैकल्पिक बाजारों की मैपिंग शामिल है. 

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