भारत की अर्थव्यवस्था नए वित्त वर्ष की शुरुआत में बेहतर संकेत दे रही है. शुरुआती अनुमान बताते हैं कि Q1 FY26 में जीडीपी ग्रोथ करीब 6.8% से 7.0% के बीच रह सकती है. यह आंकड़ा बताता है कि देश की ग्रोथ अभी भी मजबूत है, लेकिन आने वाले समय में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट की भूमिका बेहद अहम होगी.
सरकारी निवेश और अब निजी निवेश की जरूरत
सरकारी पूंजी खर्च (Capex) का जीडीपी पर असर अपने चरम पर है. अब पब्लिक इन्वेस्टमेंट के साथ-साथ प्राइवेट इन्वेस्टमेंट भी जरूरी है ताकि देश की ग्रोथ और टिकाऊ बन सके. SBI की रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि निजी निवेशकों को अब आगे आकर ग्रोथ की जिम्मेदारी उठानी होगी.
IMF ने भारत -चीन जैसे देशों की ग्रोथ में तेजी की जताई उम्मीद
दुनियाभर की अर्थव्यवस्था इस समय लचीली दिख रही है. IMF ने भी 2025 और 2026 के लिए ग्लोबल ग्रोथ अनुमान बढ़ाया है. खासकर भारत और चीन जैसे देशों की ग्रोथ में तेजी की उम्मीद है. IMF के मुताबिक 2026 में भारत की ग्रोथ 6.4% तक रह सकती है. हालांकि ग्लोबल ट्रेड और महंगाई को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है.
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क्या कहता है कॉम्पोजिट लीडिंग इंडिकेटर?
SBI के कॉम्पोजिट लीडिंग इंडिकेटर के मुताबिक Q1 FY26 में थोड़ी सुस्ती जरूर रही, लेकिन जुलाई से रिकवरी शुरू हो गई है. 50 हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स में से 83% जुलाई में पॉजिटिव रहे, जबकि जून में यह आंकड़ा 65% था. इसका मतलब है कि मांग और गतिविधियां फिर से रफ्तार पकड़ रही हैं.
अनुमानित ग्रोथ और आंकड़े
मॉडल आधारित अनुमान बताते हैं कि Q1 FY26 में भारत की GDP ग्रोथ 6.9% और GVA ग्रोथ 6.5% रह सकती है. यह आंकड़ा पिछले तिमाहियों की ग्रोथ ट्रेंड के साथ मेल खाता है.
रियल और नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ का फर्क
हालांकि एक बड़ी बात यह है कि अब रियल और नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ का फर्क काफी कम हो गया है. Q1 FY23 में यह गैप 12% तक था लेकिन Q4 FY25 में घटकर सिर्फ 3.4% रह गया. इसका मतलब है कि महंगाई घटने से नाममात्र की ग्रोथ (Nominal GDP) भी अब 8% तक आ सकती है.
भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल सुरक्षित और ग्रोथ ट्रैक पर है, लेकिन असली चुनौती निजी निवेश की है. अगर कंपनियां और निवेशक आगे आएं तो भारत आने वाले सालों में और तेजी से आगे बढ़ सकता है.