SEBI के पूर्व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर जेएन गुप्ता से समझिए Hindenburg के नये दावों में कितना दम?

Hindenburg Report : हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट पर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं. एनडीटीवी ने सेबी के पूर्व डायरेक्टर से समझने की कोशिश की है कि हिंडनबर्ग के दावों में कितना दम है?पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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अदाणी ग्रुप और सेबी चीफ को टारगेट कर हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट को सेबी के पूर्व डायरेक्टर ने कूड़े से भी खराब बताया है.

सेबी (SEBI)के पूर्व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर जेएन गुप्ता ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report)को लेकर एनडीटीवी (NDTV) से बात की. उन्होंने साफ-साफ कहा कि अगर इस मामले में हमें निष्पक्ष होकर बात करनी है तो सबसे पहले इस बात को छोड़ देते हैं कि सेबी के नोटिस का जवाब हिंडनबर्ग ने क्यों नहीं दिया. हम इस नई रिपोर्ट को नये सिरे से देखते हैं और समझने की कोशिश करते हैं कि इसके दावे कितने तर्कसंगत हैं.

"टीवी सीरियल तो है नहीं"

जेएन गुप्ता ने कहा कि हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट को जितना मैंने समझा है उसके हिसाब से तो अगर आप इसे रद्दी की टोकरी में भी फेकेंगे तो रद्दी की टोकरी भी इसे अपने पास रखने से मना कर देगी और कहेगी कि ये ये मेरे लायक भी नहीं है. इस रिपोर्ट में तथ्य के नाम पर कुछ नहीं है. सबसे पहला आरोप इस रिपोर्ट में है कि वर्ष 2015 में सेबी चेयरपर्सन और उनके पति ने एक फंड में पैसा लगाया. अब हर इंसान की जिंदगी समय के हिसाब से चलती है, ना कि ये टीवी सीरियल है ना कोई मूवी. जिसमें आप फ्लैशबैक में जाकर अपना डिसीजन लेने के बाद उसे चेंज कर सकें.

"ज्योतिषी से पूछकर लेते"

सेबी के पूर्व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने आगे कहा कि सन 2015 माधवी बुच का सेबी से दूर-दूर तक कोई कनेक्शन नहीं था. उनके पति धवल बुच का भी कोई सेबी से कोई कनेक्शन नहीं था. ये दोनों उस समय सिंगापुर में रहते थे और सिंगापुर के नियमों का पालन करते थे. जिस फंड में उन्होंने इन्वेस्टमेंट किया, उन्होंने उस फंड के बारे में जरूर देखा होगा कि वो ऑपरेट कैसे करता है. वह कानूनी रूप से रजिस्टर्ड है कि नहीं. फिर इनका भी KYC हुआ होगा. अब जो आज आरोप हिंडनबर्ग लगा रहा है उन पर तो इसका मतलब है माधवी बुच और उनके पति को पहले फंड का KYC करना चाहिए था. फिर पूछना चाहिए था कि आपके फंड में किन-किन लोगों ने इन्वेस्टमेंट किया है, आप मुझे उनका सारा KYC दीजिए या मैं उनका KYC करूंगी. फिर वो एक ज्योतिषी के पास जाते की जो उस फंड में जितने इन्वेस्टर हैं, क्या अगले आठ या नौ साल में उनमें से किसी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने वाली है की नहीं. ये तो एक बचकाना बात है ना.

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क्या ऐसा करना संभव है?

जेएन गुप्ता ने आगे कहा कि 2015 में क्या माधवी को क्या पता था कि 2013 में वह SEBI प्रमुख बनेंगी. फिर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आएगी और हिंडनबर्ग से बचने के लिए मुझे ये करना चाहिए और ये नहीं. तो ये बात तो पूरी तरह खारिज हो जाती है कि क्योंकि 2015 में ना तो अदाणी ग्रुप के खिलाफ कुछ था और ना माधवी बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग ने कोई रिपोर्ट निकाली थी. और अगर इस तरह से करेंगे तो कल को आप किसी Mutual Fund में भी Investment नहीं कर पाएंगे, क्योंकि फिर आप Mutual Fund के पास जाएंगे और बोलेंगे कि पहले आप सारे जितने भी एक लाख आपके Unit Holder हैं, आप सबका चरित्र प्रमाण पत्र दो, तो क्या ये संभव है. ये संभव नहीं है. इस रिपोर्ट के जरिए कोशिश ये है कि हमको एक धमाका करना है तो मैं कहीं से कोई ना कोई तथ्य ढूंढ के लाऊं और धमाके की कोशिश करूं. 

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क्या पति को फायदा पहुंचाया?

सेबी के पूर्व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने कहा कि दूसरा जो आरोप है, वो आरोप है कि माधवी बुच ने अपने पति की कंपनी को प्रमोट किया. अब इसको कई तरीके से बांटते हैं. सेबी चीफ माधवी पुरी बुच की कई भूमिकाएं हैं. एक भूमिका यह भी कि Investor को सारी तरह की जानकारी देना और तरह-तरह के Product के बारे में बताना. तो Hindenburg ने ये नहीं बताया कि कम से कम सौ कांफ्रेंस में माधवी बुच ने बोला होगा कि Mutual Fund में भी invest करो. सौ में बोला होगा कि Bonds में Invest करो. सौ में बोला होगा कि Option and Future में Investment ना करो तो क्या हम ये Link इसलिए करें की Option and Future को मना इसलिए किया क्यों कि उनके पति Option and Future से नहीं जुड़े हुए हैं, क्योंकि Blackstone से वो जुड़े हैं. ये सब जो हम खोद-खोद के तब निकालते हैं जब हमें किसी के खिलाफ कैसे भी करके कुछ निकालना होता है. माधवी के पति खुद एक सीनियर प्रोफेशनल हैं. वह पैंतीस साल से Global Outsourcing and Supply Chain में Leadership Role में हैं तो उनको अपनी पत्नी की सिफारिश की जरूरत नौकरी के लिए नहीं है.

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क्या कंपनी में हैं शेयर?

जेएन गुप्ता ने कहा कि एक दूसरा आरोप है कि एक कोई Advisory Company है, जिसमें माधवी बुच का 99 Percent हिस्सा है. इसमें दो पहलू है. एक पहला पहलू तो ये है कि जब भी माधवी ने SEBI Join किया तो उन्होंने अपनी Assets and Liability का Detail में  Statement दिया होगा. उन्होंने जरूर से ये दिया होगा कि वो इस Company में 99 Percent की Share Holder हैं. अब यहां पर सवाल आता है कि क्या SEBI के नियम कानून किसी Company में आपको Share Holder होने से मना करते हैं तो मेरा सीधा जवाब है की नहीं. जब तक आप उसमें Active Participation नहीं कर रहे हों. इसके साथ ही दूसरा तर्क है कि अगर मान लीजिए एक कोई Industrialist है. उसके पास बहुत सारी कंपनियां है. Industrialist का बेटा या बेटी अपने business में नहीं जाना चाहता है. वो Bureaucrat बनना चाहता है या Regulator बनना चाहता है या Banker बनना चाहता है तो क्या वो Industrialist है अपने बेटे या बेटी को पहले बोले की तुमसे मैं Dissociate होता हूं. तुम मेरे बेटे या बेटी नहीं हो या वो अपनी सारी Equity बाजार में बेचे कि मुझे अपने बाप से कोई लेना देना नहीं है. तो ऐसा तो कोई नियम कानून हो नहीं सकता है. नियम कानून बनते हैं कि क्या मैं अपनी Position पर रहकर उस Position को इस्तेमाल करके कोई फायदा उठा रहा हूं या नहीं.

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भारत से क्यों जल रही दुनिया?

भारत के खिलाफ साजिश पर जेएन गुप्ता ने कहा कि इसके बारे में तो मैं नहीं जानता, लेकिन मैं इतना जानता हूं की SEBI  एक जलन का विषय जरूर है. अब वो क्यों है ये भी जान लीजिए. आज की तारीख में जो हिंदुस्तान के शेयर मार्केट का Trading System है,  ये एक Unique Trading system है. ऐसा System दुनिया में कहीं नहीं है. ना इतना Robust System है, ना इतना Efficient System है. आपने देखा होगा आए दिन किसी ना किसी Country में कुछ न कुछ गड़बड़ होता रहता है. हिंदुस्तान एक ऐसा देश है जहां Trading System में Online Instantaneous Margining होती है. Risk management होता है. ये दुनियां में और कहीं नहीं होता है. हिंदुस्तान में T Plus Zero Settlement है. आप आज Share बेचो, आज ही पैसा मिल जाएगा. हिंदुस्तान में हर Trade का जो Retail Investor है, उसके पास Confirmation तुरंत जाता है कि आपका Trade हो गया तो जो ये System बने हैं, ये दुनिया की किसी Country में नहीं है और मैं आपको एक बहुत छोटा सा Example देता हूं कि कल-परसों मैंने एक News पढ़ी कि united kingdom का Regulator ESG rating के ऊपर Regulation लाने वाला है. शायद बहुत लोगों को मालूम नहीं है कि SEBI ने पिछले साल एक जुलाई को ही आज से एक साल एक महीने दस दिन पहले ESG Rating के ऊपर Regulation लाया हुआ है. तो हम पहले Follower हुआ करते थे, आज Leader हैं और इस Leadership से सबको Problem है. 

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