ट्रंप इफैक्ट: 1 अप्रैल से 6% वाला गूगल टैक्स खत्म करेगा भारत? समझें क्या है यह टैक्स, सरकार को कितनी होती है कमाई

भारत सरकार ने 1 अप्रैल से गूगल और मेटा जैसी कंपनियों की ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर लगाए जाने वाले 6% के गूगल टैक्स (इक्वलाइजेशन लेवी) को हटाने का प्रस्ताव रखा है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
टैक्स की प्रतिकात्मक फोटो

भारत सरकार ने 1 अप्रैल से गूगल और मेटा जैसी कंपनियों की ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर लगाए जाने वाले 6% के गूगल टैक्स (इक्वलाइजेशन लेवी) को हटाने का प्रस्ताव रखा है. इस टैक्स को व्यापक रूप से गूगल टैक्स के रूप में जाना जाता है. भारत सरकार के इस कदम का उद्देश्य संभवतः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को शांत करना है, जिन्होंने 2 अप्रैल से अमेरिका की टेक कंपनियों पर डिजिटल टैक्स लगाने वाले देशों पर जवाबी टैरिफ  लगाने की धमकी दी है.

चलिए आपको यहां बताते हैं कि सरकार ने क्या प्रस्ताव रखा है? आखिर गूगल टैक्स होता क्या है? सरकार को इससे कितनी कमाई होती है?

गूगल टैक्स पर सरकार ने क्या प्रस्ताव रखा है?

सरकार ने सोमवार, 24 मार्च को वित्त विधेयक 2025 में 59 संशोधनों के तहत ऑनलाइन विज्ञापनों पर इक्वलाइजेशन लेवी या डिजिटल टैक्स को खत्म करने का प्रस्ताव रखा है. अभी विधेयक पर लोकसभा में बहस हो रही है. यदि प्रस्ताव को संसद द्वारा मंजूरी दे दी जाती है, तो गूगल टैक्स 1 अप्रैल, 2025 से लागू नहीं होगी.

गूगल टैक्स हटने से ऑनलाइन विज्ञापन की सर्विस बेचने वाली कंपनियों, विशेषकर Google और मेटा जैसी प्रमुख अमेरिकी टेक जायंट कंपनियों को लाभ होने की उम्मीद है.

गूगल टैक्स होता क्या है? 

भारत में इक्वलाइजेशन लेवी या गूगल टैक्स की शुरुआत 2016 में की गई थी. इसका मकसद था भारत से विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को होने वाली आय पर टैक्स लगाना.  गूगल टैक्स एक टैक्स है, जिसे सेवा प्राप्तकर्ता द्वारा पेमेंट के समय लगाया जाता है. शर्त यही होती है कि जिस कंपनी को विज्ञापन के बदले टैक्स दिया जा रहा है वह विदेशी हो. वित्त अधिनियम, 2020 ने इस टैक्स का दायरा 1 अप्रैल, 2020 को या उसके बाद की गई ई-कॉमर्स सप्लाई और सेवाओं तक 2% की दर से बढ़ा दिया था. हालांकि, जुलाई 2024 में प्रस्तुत केंद्रीय बजट में इसे अगस्त 2024 से समाप्त कर दिया गया.

सरकार को इससे कितनी कमाई होती है?

2021 में सरकार ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया था कि इक्वलाइजेशन लेवी के रूप में 2016-17 में 338.6 करोड़ रुपये, 2017-18 में 589.4 करोड़ रुपये और 2018-19 में 938.9 करोड़ रुपये जमा हुए थे. 2019-20 में कलेक्शन 1,136.5 करोड़ रुपये और 2020-21 (30 जनवरी तक) में 1,492.7 करोड़ रुपये था. 

अगर इसके बाद बात करें तो इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में कुल आंकड़ा 2,058 करोड़ रुपये का रहा, 2021-22 में 3,900 करोड़ रुपये, 2022-23 में 3864 करोड़ रुपये, 2023-24 में 3533 करोड़ रुपये और 2024-25 (15 मार्च तक) में 3,342 करोड़ रुपये का कलेक्शन रहा.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Pawan Singh Vs Jyoti Singh: Bihar Elections 2025 पर क्यों हो रहा पवन Vs खेसारी? | Bihar Politics
Topics mentioned in this article