प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के लिए कैसे बूस्टर है ये बजट? नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार से समझिए

भारत की इकॉनमी की 'रीढ़ की हड्डी' प्राइवेट इंवेस्टमेंट को इस बजट से कैसे बढ़ावा मिलेगा... नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार से समझिए

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार.

यह बजट मध्यम वर्ग के लिए बहुत ही अच्छा रहा. इस बजट में खासतौर पर आपका ध्यान निजी निवेश के लिए उठाए गए कदमों की ओर ले जाना चाहता हूं. बजट में ऐलान किया गया है कि एक हाईलेवल कमेटी बनेगी. यह कमेटी निजी निवेश से जुड़े सभी मुद्दों को देखेगी. यह कमेटी देखेगी की निजी निवेश में क्या-क्या परेशानी होती हैं. यह कमेटी एक साल में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. इससे उम्मीद है कि इस कदम से निजी निवेश का इको सिस्टम कहीं ज्यादा बेहतर बनेगा. 

मुझे आशा है कि इस कमेटी की अध्यक्षता वित्त मंत्री खुद करें. इसके बाद इसके इम्प्लिमेंटेशन की भी टाइमबाउंड मॉनिटरिंग एक अच्छी एजेंसी से हो. इसके साथ ही ऐलान किया गया है कि एक इंवेस्टर फ्रेंडली इंडेक्स बनाए जाएगी. इस इंडेक्स में सभी स्टेट को रैंक किया जाएगा. इससे राज्यों में स्पर्धा पैदा होगी कि ज्यादा से ज्यादा निवेशकों को अपनी ओर कैसे खींचा जाए. मेरा मानना है कि भारत में हजारों वर्षों से निजी निवेश ही इकॉनमी की रीढ़ की हड्डी है. इसे बढ़ावा देने से हमारे देश की इकॉनमी में तेजी आएगी.

इस बजट में साफ दिखता है कि शायद सरकार यह भी समझ गई है कि जो सरकारी खर्च को बढ़ाने की एक सीमा पहुंच गई है. क्योंकि पिछले बजट में 11.1 लाख करोड़ रुपए आवंटन किए गए थे, फिर उसे बढ़ाकर सिर्फ 12 लाख करोड़ किए गए. मुझे लगता है कि इसके पीछे की वजह है कि पहले यह उम्मीद जताई जाती थी कि सरकारी खर्च से निजी निवेश आकर्षित होगा. मेरे ख्याल से उससे इतना फायदा नहीं हुआ. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कैपेसिटी नहीं बढ़ी, निवेश नहीं बढ़ा. इस बजट में ना सिर्फ कमेटी की बात की गई, बल्कि छोटे और मध्यम वर्ग की यूनिट्स की लिमिट बढ़ाकर 250 करोड़ से 500 करोड़ कर दी गई. उनके लिए नया फंड ऑफ फंड्स बनाया गया. उनके लिए क्रेडिट एन्हांसमेंट स्कीम बनाई गई है. माइक्रो यूनिट के लिए भी क्रेडिट कार्ड का इंतजाम किया गया है. इन सभी से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा. हमारे देश में निजी निवेश को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है. 

Advertisement

4.4 फीसदी फिस्कल डेफिसिट का टारगेट पूरा करने के चलते रेवेन्यू एक्सपेंडिचर खासतौर पर स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में शायद बजट की कटौती होगी. ऐसा पिछले दो बजट में भी किया गया था. इसकी वजह है कि हमारा कुल रेवेन्यू है वो सिर्फ 9 फीसदी से बढ़ रहा है, जबकि हमारी जीडीपी की ग्रोथ 10.1 फीसदी मानी गई है. इससे जो वित्तीय घाटे का टारगेट है वो सरकार पूरा करेगी. उसके लिए एक और ऐलान किया गया है कि अगले पांच साल में 2030 तक 10 लाख करोड़ का एसेट मोनेटाइजेशन प्लान होगा. अगर इस बात को आगे बढ़ाया जाएगा तो ये भी जरूरी नहीं है कि जो सोशल सेक्टर हैं उनके बजट में भी कटौती हो. अगर हमारा एसेट मोनेटाइजेशन प्रोग्राम सही ढ़ंग से चलता है तो हम वित्तीय घाटे का टारगेट भी पूरा कर सकते हैं और सोशल सेक्टर और इंफ्रास्ट्रक्चर दोनों पर खर्च भी बढ़ सकता है.

Advertisement
Topics mentioned in this article