ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 20 मई को कहा कि फ्लिपकार्ट को मोनोपॉली (Flipkart Monopoly Case) यानी बाजार पर एकाधिकार बनाने के लिए जाना जाता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी बड़ी कंपनियों के बढ़ते प्रभाव से छोटे कारोबारियों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है.
CCI जांच का मामला
ये टिप्पणी नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल (NCLAT) के उस आदेश को लेकर आई है, जिसमें फ्लिपकार्ट पर अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करने के आरोपों की CCI (भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग) से जांच करने को कहा गया था. कोर्ट ने इस मामले में मदद के लिए एक न्यायमित्र (Amicus Curiae) की नियुक्ति भी की है.
कोर्ट की चिंता: "बड़ी कंपनियों का आना अच्छा, लेकिन..."
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि बड़ी कंपनियां भारत आएं और निवेश करें, लेकिन साथ ही उनके बढ़ते असर से छोटे व्यापारियों और ग्राहकों पर क्या असर पड़ता है, इस पर भी नजर रखनी होगी.न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि कई बार फ्लिपकार्ट इतने बड़े डिस्काउंट ऑफर करता है कि छोटे कारोबारियों का बिजनेस बुरी तरह प्रभावित होता है.
फ्लिपकार्ट की सफाई
फ्लिपकार्ट की ओर से पेश वकील ने कहा कि उनका ऑनलाइन प्लेटफॉर्म छोटे व्यापारियों को देशभर में अपने प्रोडक्ट्स बेचने का मौका देता है. उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट की जांच में वे पूरा सहयोग करेंगे.
अगस्त में होगी अगली सुनवाई
यह मामला 4 मार्च 2020 के NCLAT आदेश से जुड़ा है, जिसमें CCI को जांच शुरू करने को कहा गया था. CCI ने पहले फ्लिपकार्ट को क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन NCLAT ने वह फैसला पलट दिया था.अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर गहराई से विचार करने की बात कही है, भले ही शिकायतकर्ता संगठन अब कोर्ट में न हो.