वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने कहा कि 2024-25 में राजकोषीय घाटे को 0.7 प्रतिशत कम करके 5.1 प्रतिशत पर लाने का सरकार का लक्ष्य महत्वाकांक्षी है, लेकिन कर संग्रह में वृद्धि तथा व्यय प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए इसे हासिल किया जा सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को पेश अंतरिम बजट में किसी भी लोकलुभावन घोषणा से परहेज किया था.
वित्त सचिव ने इसके साथ ही कहा कि अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.1 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025-26 में 4.5 प्रतिशत करने का लक्ष्य है.
सोमनाथन ने बताया, ''ये लक्ष्य महत्वाकांक्षी है, लेकिन यथार्थवादी भी है. ये तीन स्तंभों पर आधारित है. पहला, हमने कर राजस्व में लगभग 11.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है. मुझे लगता है कि ये एक बहुत ही यथार्थवादी धारणा है.'' उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार ने चालू वित्त वर्ष के उच्च आधार के मुकाबले गैर-कर राजस्व में थोड़ी वृद्धि का अनुमान लगाया है.
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए आवंटित 1.88 लाख करोड़ रुपये की तुलना में अगले वित्त वर्ष के लिए उर्वरक सब्सिडी 1.64 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है. इसी तरह बजट अनुमानों के मुताबिक खाद्य सब्सिडी चालू वित्त वर्ष के 2.12 लाख करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 2.05 लाख करोड़ रुपये रह जाएगी.
उन्होंने कहा, ''इन तीन स्तंभों - तार्किक राजस्व वृद्धि, गैर-कर राजस्व में उचित वृद्धि और पूंजीगत व्यय में एक संतुलित वृद्धि के आधार पर हमें पूरा भरोसा है कि हम राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल कर लेंगे.'' इस तरह राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के 17,34,773 करोड़ रुपये के मुकाबले अगले वित्त वर्ष में 16,85,494 करोड़ रुपये होगा.
उन्होंने कहा कि 11.11 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय सिर्फ एक चेक पर हस्ताक्षर करके नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसके लिए जमीन पर काम करने की जरूरत है. इसमें अनुमति, भूमि अधिग्रहण और निर्माण जैसे मसले शामिल हैं.