भारतीय शेयर बाजार में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने अक्टूबर में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा भारी बिकवाली के बावजूद इक्विटी में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया. इससे भारतीय शेयर बाजार अपने वैश्विक समकक्षों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रहा. यह एक नए मासिक रिकॉर्ड की स्थापना करता है, जो भारतीय शेयर बाजार की मजबूती दर्शाता है.
इस डीआईआई गतिविधि के पीछे का कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा भारतीय शेयर बाजार में इक्विटी में कुल बिकवाली 24 अक्टूबर तक 1,02,931 करोड़ रुपये तक पहुंचना है.
अब तक DII निवेश लगभग 4.41 लाख करोड़ रुपये
अब तक डीआईआई निवेश लगभग 4.41 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें अभी भी दो महीने बाकी हैं, जो म्यूचुअल फंड के माध्यम से बढ़ती खुदरा भागीदारी से संचालित हो रहा है. यह डेटा दर्शाता है कि घरेलू निवेशक भारतीय शेयर बाजार में अपनी रुचि बनाए हुए हैं और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बावजूद बाजार को समर्थन दे रहे हैं.
इससे पहले, मार्च में डीआईआई प्रवाह का उच्चतम मासिक रिकॉर्ड दर्ज किया गया था, जो लगभग 56,356 करोड़ रुपये था. बाजार के जानकारों का कहना है कि डीआईआई में निवेश म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से नियमित निवेश और बीमा व पेंशन फंड्स के निवेश से हो रहा है.
FPI जारी रख सकते हैं बिकवाली
मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के अनिश्चित परिणाम के कारण बाजार की धारणा कमजोर होने से एफपीआई निकट भविष्य में बिकवाली करना जारी रख सकते हैं. लेकिन, भारतीय अर्थव्यवस्था के मैक्रो आंकड़े बाजार के लिए सकारात्मक हैं.
निवेशकों को अच्छी कंपनियों के शेयर खरीदने का मिलेगा अवसर
आरबीआई के मजबूत पीएमआई आंकड़े और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान से बाजार को समर्थन मिल रहा है. हाल के विनिर्माण आंकड़ों की मजबूती से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में आर्थिक सुधार हो सकता है, जिससे निवेशकों को अच्छी कंपनियों के शेयर खरीदने का अवसर मिलेगा.
शेयरों के प्रदर्शन पर फोकस
30 अक्टूबर को विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में 4,613 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू निवेशकों ने 4,518 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे. बाजार में एक नया रुझान देखा जा रहा है, जिसमें शेयरों के प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. जिन कंपनियों के परिणाम उम्मीद से बेहतर होते हैं, उनके शेयरों में 20% तक की वृद्धि होती है, जबकि जिन कंपनियों के परिणाम उम्मीद से खराब होते हैं, उनके शेयरों में 15% तक की गिरावट होती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छे परिणामों के प्रति सकारात्मक और खराब परिणामों के प्रति नकारात्मक रवैया बाजार की समग्र स्थिति पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय विशिष्ट शेयरों पर ध्यान केंद्रित करने की प्रवृत्ति को दर्शाता है.