- भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील का समर्थन, लेकिन यह भारत के हित में होना चाहिए.
- CII के अध्यक्ष ने कहा कि भारत सरकार किसी देश के दबाव में निर्णय नहीं लेगी.
- ट्रेड डील से लेबर-इंटेंसिव सेक्टर जैसे टेक्सटाइल को लाभ मिलने की संभावना है.
- कृषि और डेयरी क्षेत्र में भारतीय संवेदनशीलताएं हैं, इन्हें ध्यान में रखना होगा.
उद्योग जगत चाहता है कि भारत और अमेरिका के बीच "ट्रेड डील" हो, लेकिन यह "ट्रेड डील" भारत के हित में हो यह जरूरी है. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष राजीव मेमानी ने एनडीटीवी से कहा कि भारत सरकार किसी देश के दबाव में कोई फैसला नहीं करती है. हमारा आकलन है कि अगर यह अंतरिम ट्रेड डील होता है तो इससे जो लेबर-इंटेंसिव सेक्टर हैं, जैसे Textile, Apparel में भारत को फायदा होगा. हमें इंजीनियरिंग गुड्स, ऑटो कंपोनेंट सेक्टर और Chemical items में फायदा फायदा होने की उम्मीद है. Agriculture, Dairy सेक्टर में भारत की अपनी संवेदनशीलताएं हैं. इसमें किसानों का हित भी जुड़ा है. अगर इन सेक्टरों को Trade Deal में शामिल करना है तो प्राइस कंट्रोल और Quantitative Restrictions के जरिए बात की जा सकती है.
GST पर उद्योग जगत
राजीव मेमानी ने कहा कि कुछ जो आम आवश्यकता की चीज हैं, उन पर जीएसटी घटना जरूरी है. जैसे कोलगेट टूथपेस्ट, साबुन, खाने-पीने के कुछ सामान पर GST घटाया जाना चाहिए. सीमेंट एक लग्जरी प्रोडक्ट नहीं है. Low cost Housing और कंस्ट्रक्शन को बढ़ावा देने के लिए यह बेहद जरूरी है. हम चाहते हैं कि 4 की जगह जीएसटी व्यवस्था में सिर्फ 3 GST Rate Slabs (5%; 28%; 12-18%) होने चाहिए. साथ ही, GST ऑडिट की व्यवस्था को आसान और सरल बनाना भी जरूरी है. अगर किसी कंपनी के आठ राज्यों में ऑपरेशंस चल रहे हैं, तो उनका GST ऑडिट एक ही जगह पर होना चाहिए. हम चाहते हैं कि Petroleum और Electricity सेक्टर को भी GST के दायरे में लाया जाए. इस पर नए सिरे से विचार करना जरूरी होगा.
भारतीय अर्थव्यवस्था पर
सीआईआई अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की माइक्रो फंडामेंटल्स मजबूत है. बैंक और कारपोरेट की बैलेंस शीट स्ट्रांग है. ऐसे में भारत मौजूदा वित्तीय साल में दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ाने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा. हमारा आकलन है कि मौजूदा वित्तीय साल में अर्थव्यवस्था की रफ्तार 6.4 फ़ीसदी से 6.7 फ़ीसदी रहने की उम्मीद है.