Budget 2025 : भारत में क्रिप्टोकरेंसी इंडस्ट्री (Cryptocurrency industry) 2025 के केंद्रीय बजट में सकारात्मक और प्रगतिशील बदलावों की उम्मीद कर रही है. क्रिप्टोकरेंसी अपनाने के मामले में भारत विश्व स्तर पर शीर्ष देशों में गिना जाता है. इसके बावजूद, 2022 के केंद्रीय बजट में लागू किए गए टैक्स से जुड़े कड़े प्रावधानों के कारण यह सेक्टर चुनौतियों का सामना कर रहा है. इन नियमों में क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर 1% TDS (Tax Deducted at Source) और प्रॉफिट के मुकाबले घाटे की भरपाई पर रोक शामिल हैं.
इनकम टैक्स के सेक्शन 2(47A) के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी को वर्चुअल डिजिटल एसेट के तौर पर वर्गीकृत किया गया है. इसके बावजूद केंद्र सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर इसे लीगल टेंडर (legal tender) के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है. यही वजह है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (ITD) ने क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में कोई डिटेल गाइडलाइन जारी नहीं की है.
बजट 2025 से उम्मीदें (Budget 2025 Expectations):
कम TDS (Lower TDS)
क्रिप्टो कम्युनिटी की मांग है कि सेक्शन 194S के तहत वर्चुअल डिजिटल एसेट (Virtual Digital Asset - VDA) ट्रांसफर पर सोर्स पर टैक्स कटौती (TDS) की दर को 1% से घटाकर 0.01% कर दिया जाए. मौजूदा दर की वजह से निवेशक इसमें निवेश करने से कतरा रहे हैं, जिसके चलते मार्केट में लिक्विडिटी और भागीदारी में कमी आई है. क्रिप्टोक्यूरेंसी कम्युनिटी का तर्क है कि इस दर को कम करने से ज्यादा ट्रांजैक्शन को बढ़ावा मिल सकता है.
बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कॉइन स्विच (CoinSwitch) के वाइस प्रेसिडेंट बालाजी श्रीहरि (Balaji Srihari) ने कहा "हम सरकार से VDA ट्रांजैक्शन पर TDS को मौजूदा 1% से घटाकर 0.01 करने का निवेदन कर रहे हैं. इससे मार्केट में पारदर्शिता के साथ ही साथ ट्रांजैक्शन को ट्रैक करने और रेवेन्यू बढ़ाने में मदद मिलेगी."
कॉइनडीसीएक्स (CoinDCX) के को -फाउंडर, नीरज खंडेलवाल (Neeraj Khandelwal) ने X पर एक पोस्ट के जरिए कहा "सरकार केंद्रीय बजट 2025-2026 के लिए सुझाव मांग रही है. बेहतर Web3 इकोसिस्टम तीन चीजें की जा सकती हैं:
- क्रिप्टो टैक्स रेट को घटाकर 0.01% किया जाए.
- इनकम टैक्स के सेक्शन 194S और 115BBH में संशोधन ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऑफशोर प्लेटफॉर्म स्थानीय टैक्स कानूनों का पालन करें.
- टैक्सपेयर्स को वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) ट्रांजैक्शन से होने वाले नुकसान की भरपाई दूसरे VDA ट्रेडों से होने वाले प्रॉफिट से करने की इजाजत दी जाए.
वहीं Pi42 के को-फाउंडर और CEO अविनाश शेखर (Avinash Shekhar) ने कहा, “क्रिप्टो इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए सभी ट्रांजैक्शन पर TDS को 1% से घटाकर 0.01% करना , 30% टैक्स को कम करना और घाटे की भरपाई के लिए प्रावधान करना जरूरी है.
टैक्स डिडक्शन (Tax deduction)
क्रिप्टो कम्युनिटी ने सेक्शन 194S के तहत दी गई टैक्स डिडक्शन लिमिट पर फिर से विचार करने का सुझाव दिया है, और 50,000 रुपये से बढ़ाकर 5,00,000 रुपये करने की वकालत की.
ZebPay के COO राज करकरा (Karkara) ने कहा, “इस इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए भारत को अपनी क्रिप्टो नीतियों को वैश्विक नियामक ढांचे के अनुरूप बनाना होगा. हमें उम्मीद है कि केंद्रीय बजट 2025 में क्रिप्टो इनकम पर 30% टैक्स और 1% TDS पर फिर से विचार किया जाएगा. आसान टैक्स स्ट्रक्चर से इस इंडस्ट्री में निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी जिससे लिक्विडिटी और ट्रेडिंग वॉल्यूम में भी इजाफा होगा.उन्होंने कहा, “अगर सरकार क्रिप्टो को एक फॉर्मल एसेट क्लास के तौर पर मान्यता देती है तो इससे इंडस्ट्री को काफी फायदा होगा.”
मौजूदा क्रिप्टो टैक्सेशन नियम (Crypto Taxation Rules)
सरकार ने 2022 के केंद्रीय बजट से क्रिप्टो इनकम से होने वाले प्रॉफिट पर 30% टैक्स लगा दिया है. क्रिप्टो बेचने या ट्रांसफर करने से होने वाली किसी भी इनकम पर यह टैक्स रेट लागू होता है. दूसरे एसेट के उलट, टैक्सेबल क्रिप्टो इनकम को कम करने के लिए कोई डिडक्शन या लॉस लागू नहीं किया जा सकता. इसलिए, यदि आप क्रिप्टो से प्रॉफिट कमाते हैं, तो आपको पूरा टैक्स अमाउंट का पेमेंट करना होगा.
इसके अलावा, रेगुलर इन्वेस्टर्स के लिए सालाना 50,000 रुपये या इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स के लिए 10,000 रुपये से ज्यादा के हर क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर 1% TDS लगाया जाता है. इस TDS से सरकार को क्रिप्टो ट्रेड पर नजर रखने में मदद मिलती है.