अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस सप्ताह पेश होने वाले आम बजट (Budget 2024) में नई पेंशन प्रणाली (Pension System) और आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat) जैसी सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं को लेकर कुछ घोषणाएं हो सकती है. हालांकि आयकर के मामले में राहत की उम्मीद कम है. उनका यह भी कहना है कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बुनियादी ढांचे पर जोर, ग्रामीण और कृषि संबंधी आवंटन बढ़ने और सूक्ष्म तथा लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाये जाने की संभावना है.
NPS, आयुष्मान भारत पर घोषणाओं की उम्मीद : भानुमूर्ति
बजट में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लेकर उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर जाने-माने अर्थशास्त्री और राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) में प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘बजट में एनपीएस और आयुष्मान भारत पर कुछ घोषणाओं की उम्मीद है. पेंशन योजनाओं को लेकर राज्यों के स्तर पर काफी चर्चा हुई है. केंद्र सरकार ने एनपीएस (नई पेंशन प्रणाली) को लेकर समिति भी गठित की थी. प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत के बारे में कुछ बातें कही हैं. ऐसे में दोनों योजनाओं में कुछ घोषणाओं की उम्मीद की जा सकती है.''
मजबूत स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की जरूरत : चतुर्वेदी
एनपीएस और आयुष्मान भारत के बारे में अर्थशास्त्री और शोध संस्थान आरआईएस (विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली) के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘यह काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र है. प्रमुख कार्यक्रम पहले से ही पूर्ण लक्ष्य तक पहुंचने के करीब हैं... इस दिशा में नए उपायों की उम्मीद की जा सकती है.''
लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बीच बजट में कर मोर्चे पर राहत के बारे में पूछे जाने पर भानुमूर्ति कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि चुनाव नतीजों का प्रत्यक्ष कर नीति पर असर पड़ेगा. चूंकि निजी खपत चिंता का विषय है, ऐसे में जीएसटी परिषद को अपनी दरों को कम करने पर विचार करना चाहिए, खासकर तब जब कर संग्रह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है.''
चतुर्वेदी ने भी कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि बजट में इस संबंध में कुछ होगा.''
सात प्राथमिकताओं पर ध्यान रखा जाना चाहिए : चतुर्वेदी
म्यूनिख स्थित इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस के संचालन प्रबंधन मंडल की सदस्य की भी जिम्मेदारी निभा रही चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘कर दरों में कमी से लोगों के हाथों में खर्च करने लायक आय में वृद्धि होगी और यह उपभोग को बढ़ावा दे सकता है. लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि देश की आबादी का केवल एक छोटा हिस्सा (लगभग चार प्रतिशत) ही आयकर अदा करता है.''
उन्होंने कहा, ‘‘इस संदर्भ में, बजट के लिए तीन प्राथमिकताएं महत्वपूर्ण हैं. पहला, पूंजीगत व्यय को संदर्भ बिंदु के रूप में रखते हुए बुनियादी ढांचे के विकास पर लगातार ध्यान देना. दूसरा, ग्रामीण और कृषि संबंधी आवंटन को बढ़ावा देना और अंत में, सूक्ष्म और लघु उद्यमों को अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. इन तीन उपायों से न केवल अन्य क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा बल्कि अर्थव्यवस्था में रोजगार भी बढ़ेगा.''
आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने वाले बजट की उम्मीद
भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘प्राथमिकता वृद्धि के लिए मध्यम अवधि की नीतियों के साथ निरंतरता बनाए रखने और विकसित भारत की दिशा में कुछ दीर्घकालिक सुधार करने पर होनी चाहिए. इसके अलावा राज्यों के पूंजीगत व्यय को समर्थन प्रदान करने के साथ-साथ सार्वजनिक पूंजीगत व्यय जारी रखकर अर्थव्यवस्था की संभावित वृद्धि दर आठ प्रतिशत लाने पर होनी चाहिए.''
कोविड में शुरू उपायों पर पुनर्विचार की बताई जरूरत
एक अन्य सवाल के जवाब में भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘बजट में रोजगार के साथ विकास पर ध्यान केंद्रित किये जाने की संभावना है. चूंकि पीएलआई (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन) योजना ने कोविड महामारी के दौरान उद्योग की मदद की है. अब यह आकलन करने की आवश्यकता है कि क्या इसने रोजगार सृजन में भी मदद की है. यानी पीएलआई योजना का आकलन करने की आवश्यकता है.''
हालांकि, भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘कोविड के दौरान शुरू किए गए खाद्य योजना जैसे सभी उपायों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है. इसके बजाय ग्रामीण विकास जैसे अन्य क्षेत्र हैं, जिनपर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.''
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