मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के बीएसई को प्रीमियम मूल्य के बजाय उसके विकल्प अनुबंधों (Options Contract) के ‘‘अनुमानित मूल्य'' के आधार पर शुल्क का भुगतान करने का निर्देश देने के बाद एक्सचेंज के अब अधिक नियामक शुल्क (Regulatory Fee ) चुकाने का अनुमान है. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के इस कदम के बाद बीएसई (BSE) के शेयर सोमवार को एनएसई (NSE) पर 18.64 प्रतिशत तक गिरकर 2,612.0 रुपये के निचले स्तर पर आ गए.
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अनुमानित तथा प्रीमियम मूल्यों के बीच बड़े अंतर के कारण सेबी को बीएसई के नियामक शुल्क भुगतान में वृद्धि होगी. यह विसंगति गणना पद्धति से उत्पन्न होती है, जिसमें अनुबंध के आकार को अंतर्निहित कीमत से गुणा करना शामिल है.
सूचना में कहा गया, साथ ही एक्सचेंज को शेष राशि पर 15 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज के साथ पिछली अवधि के लिए डिफरेशियल रेगुलेटरी फीस का भुगतान करने को कहा गया है. पत्र प्राप्त होने के एक महीने के भीतर राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है. सेबी के पत्र में उल्लेख किया गया कि डेरिवेटिव अनुबंधों की शुरुआत के बाद से बीएसई अनुमानित मूल्य के बजाय विकल्प अनुबंधों के लिए प्रीमियम मूल्य पर विचार करते हुए नियामक को वार्षिक कारोबार पर नियामक शुल्क का भुगतान कर रहा है.
बीएसई ने रविवार को कहा कि वह वर्तमान में सेबी के पत्र में किए गए दावे की वैधता का मूल्यांकन कर रहा है.