शेयर बाजार बीएसई और एनएसई ने गुरुवार को चुनिंदा शेयरों के लिए वैकल्पिक आधार पर टी+0 यानी उसी दिन कारोबार सेटलमेंट का बीटा वर्जन शुरू किया. टी+0 सिस्टम (T+0 Settlement Stocks) में जिस दिन शेयर में कारोबार होता है, उसका सेटलमेंट उसी दिन हो जाता है. इसका मतलब है कि सौदे वाले दिन ही शेयर खरीदार के खाते में ट्रांसफर हो जाएगा और राशि विक्रेता के खाते में पहुंच जाएगी. शुरुआत में, यह निवेशकों को सेटलमेंट में 25 सिक्योरिटीज में लेनदेन करने का विकल्प प्रदान करेगा. पहले दिन दोनों शेयर बाजारों में 60-60 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया.
टी+0 सेटलमेंट सिस्टम के फायदे
एक ही दिन में कारोबर के सेटलमेंट के लिए तैयार की गयी टी+0 सेटलमेंट सिस्टम (T+0 Settlement System) निवेशक के खातों में फंड और सिक्योरिटीज की तेजी से प्राप्ति की सुविधा उपलब्ध कराती है. इससे कारोबार के सेटलमेंट में लगने वाले समय से जो जोखिम होता है, वह कम हो जाता है.
बीएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुंदररमन राममूर्ति ने कहा, ‘‘हमें आज पहले टी+0 सेटलमेंट चक्र के सफल कार्यान्वयन की जानकारी देते हुए खुशी हो रही है. यह हमारे बाजार में दक्षता बढ़ाने और कम जोखिम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. हमें विश्वास है कि यह वैकल्पिक निपटान व्यवस्था भारत में पूंजी बाजार की निरंतर वृद्धि और विकास में योगदान देगी.''
इन 25 शेयरों के लिए टी+0 सेटलमेंट ऑप्शन मौजूद
टी+0 सेटलमेंट के लिए बजाज ऑटो, वेदांता, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), ट्रेंट, टाटा कम्युनिकेशंस, नेस्ले इंडिया, सिप्ला, एमआरएफ, जेएसडब्ल्यू स्टील, बीपीसीएल, ओएनजीसी, एनएमडीसी और अंबुजा सीमेंट्स उपलब्ध 25 शेयरों में शामिल हैं.
SEBI ने निवेशकों की सुरक्षा को देखते हुए लिया फैसला
सेबी ने व्यापक विचार-विमर्श और निदेशक मंडल से मंजूरी के बाद पिछले सप्ताह 28 मार्च से वैकल्पिक आधार पर टी + 0 सेटलमेंट सिस्टम (T+0 Exchange Settlement) के बीटा वर्जन की शुरुआत के लिए एक रूपरेखा पेश की.भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने बदलते समय के साथ तालमेल बनाए रखने और सिक्योरिटीज मार्केट के विकास तथा निवेशक सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने के प्रयास के तहत सेटलमेंट साइकिल को 2002 में टी+5 से घटाकर टी+3 और उसके बाद 2003 में टी+2 किया था.