भारत के खुदरा वितरकों (retail distributors) के सबसे बड़े समूह ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) से ब्लिंकिट (Blinkit), स्विगी (Swiggy) और ज़ेप्टो (Zepto) की जांच की मांग को लेकर एक पत्र लिखा है.18 अक्टूबर को लिखे पत्र में ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (AICPDF) ने सीसीआई को बताया कि ब्लिंकिट, स्विगी और ज़ेप्टो भारी छूट पर सामान बेच रही हैं. कई बार तो यह मूल्य लागत से भी कम होता है. आपको बता दें कि AICPDF नेस्ले और हिंदुस्तान यूनिलीवर सहित प्रमुख कंपनियों के 40,0000 खुदरा वितरकों का प्रतिनिधित्व करता है.
क्या है आरोप?
पत्र में कहा गया है कि कई सामान बनाने वाली कई कंपनियां अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए ऑनलाइन पार्टनर के रूप में ब्लिंकिट, स्विगी और ज़ेप्टो के साथ सीधे काम कर रही हैं.ये पारंपरिक सेल्सपर्सन को दरकिनार कर रही हैं, जो दशकों से ऑर्डर देने के लिए एक दुकान से दूसरे दुकान पर जाते थे.पत्र में बताया गया है कि इसके कारण पारंपरिक खुदरा विक्रेताओं के लिए प्रतिस्पर्धा करना या जीवित रहना असंभव हो गया है. AICPDF ने सीसीआई से आग्रह किया है कि पारंपरिक वितरकों और छोटे खुदरा विक्रेताओं के हितों की रक्षा के लिए सुरक्षात्मक उपाय लागू करें.
लगातार बढ़ रही बिक्री
शोध फर्म डेटम इंटेलिजेंस ने कहा कि भारत में तुरंत सामान पहुंचाने वाली ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर वार्षिक बिक्री इस साल 6 बिलियन डॉलर से अधिक होने वाली है. इसमें ब्लिंकिट की लगभग 40% बाजार हिस्सेदारी है, जबकि स्विगी और ज़ेप्टो की लगभग 30% हिस्सेदारी है. एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि अगर सीसीआई को शिकायतों में योग्यता मिलती है तो सीसीआई के पास अपने आप जांच शुरू करने की शक्ति है.
मिले थे सबूत
अगस्त में सीसीआई की जांच इकाई ने पाया कि बड़े ई-कॉमर्स खिलाड़ियों, अमेज़ॅन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) ने लागत से कम दर पर सामान बेचकर स्थानीय कानूनों का उल्लंघन किया है. हालांकि, कंपनियों ने इन आरोपों से इनकार किया है.ज़ोमैटो के शेयर इस साल दोगुने हो गए हैं और आने वाले हफ्तों में स्विगी अपना 1 बिलियन डॉलर से अधिक का आईपीओ लॉन्च करने वाली है.
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