Apple ने भारत से अमेरिका भेजे 1.5 मिलियन iPhones, ट्रंप के टैरिफ से बचने के लिए एयरलिफ्ट किया 600 टन माल

Apple अब चीन पर कम निर्भर रहना चाहता है और इसलिए उसने इंडिया में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया है. खासकर तमिलनाडु के चेन्नई में Foxconn की फैक्ट्री में प्रोडक्शन बढ़ा दिया गया है.

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जनवरी और फरवरी 2025 में Foxconn इंडिया से अमेरिका भेजे गए iPhones की वैल्यू 770 मिलियन डॉलर और 643 मिलियन डॉलर रही.
नई दिल्ली:

आईफोन बनाने वाली कंपनी Apple ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारत से करीब 600 टन iPhones एयरलिफ्ट कर अमेरिका भेजे हैं. इसका मकसद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए भारी टैरिफ से बचना था. रॉयटर्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी ने अब तक करीब 6 कार्गो प्लेन भेजे हैं, जिसमें हर एक की कैपेसिटी 100 टन की थी.

1.5 मिलियन iPhones की शिपमेंट, कीमतों में वृद्धि से बचाव

इन प्लेन्स के जरिए करीब 15 लाख यानी 1.5 मिलियन iPhones अमेरिका भेजे गए. Apple ने ये कदम इसलिए उठाया क्योंकि चीन से आने वाले प्रोडक्ट्स पर अब 125% तक का टैरिफ लग गया है. पहले ये टैरिफ 54% था. इसके मुकाबले भारत से आयात होने वाले प्रोडक्ट्स पर 26% का ही टैरिफ है, जो फिलहाल 90 दिन के लिए होल्ड पर रखा गया है.

चीन की जगह इंडिया बना नया मैन्युफैक्चरिंग हब

Apple अब चीन पर कम निर्भर रहना चाहता है और इसलिए उसने इंडिया में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया है. खासकर तमिलनाडु के चेन्नई में Foxconn की फैक्ट्री में प्रोडक्शन बढ़ा दिया गया है. यहाँ अब संडे को भी काम हो रहा है, जो पहले छुट्टी का दिन होता था.

Apple ने इंडियन अथॉरिटीज से बात कर के चेन्नई एयरपोर्ट पर कस्टम क्लियरेंस का टाइम 30 घंटे से घटाकर सिर्फ 6 घंटे करवा दिया. इसे 'ग्रीन कॉरिडोर' कहा जा रहा है. ऐसा ही एक मॉडल Apple पहले चीन में इस्तेमाल करता था.

अमेरिका में iPhone की कीमत में हो सकती थी बढ़ोतरी

अगर Apple ने ये कदम न उठाया होता तो अमेरिकी यूजर्स को iPhone 16 Pro Max के लिए लगभग 2,300 डॉलर (लगभग 1.91 लाख रुपये) चुकाने पड़ते, जबकि इसकी असली कीमत 1,599 डॉलर (लगभग 1.32 लाख रुपये) है.

भारत से अमेरिका जाने वाले शिपमेंट में भारी बढ़त

जनवरी और फरवरी 2025 में Foxconn इंडिया से अमेरिका भेजे गए iPhones की वैल्यू 770 मिलियन डॉलर और 643 मिलियन डॉलर रही. पहले ये वैल्यू 110 मिलियन डॉलर  से 331 मिलियन डॉलर के बीच रहती थी. बता दें कि भारत सरकार ने Apple को पूरा सपोर्ट किया और कस्टम व एयरपोर्ट क्लियरेंस की प्रोसेस को आसान बनाया. इससे कंपनी को तेजी से प्रोडक्ट अमेरिका भेजने में मदद मिली.

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