काजोल (Kajol) के साथ फोटो में दिख रहे इस एक्टर के साथ काजोल ने फिल्म 'बेखुदी' से डेब्यू किया था. इस एक्टर का नाम कमल सदाना (Kamal Sadanah) है. कमल के साथ लगभग 20 साल पहले उनके जन्मदिन पर एक ऐसी घटना घटी, जिसे सुनकर रूह कांप जाए. 1990 उनका परिवार तबाह हो गया था. 1993 में दिव्या भारती के साथ उनकी आई फिल्म 'रंग' को जबरदस्त सक्सेस मिली थी, लेकिन कमल का करियर कुछ ही फिल्मों तक सिमटकर रह गया. उन्हें सफलता नहीं मिली और बाद में उन्होंने इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया.
कमल सदाना की मां सईदा खान थी. सईदा अपने समय में कई फिल्मों नजर आई थीं. उन्होंने लव मैरिज की थी और पति के हाथों बेरहमी से मारी गईं. सईदा खान का जन्म कलकत्ता में एक मुस्लिम परिवार में साल 1939 में हुआ था. सईदा खान को बचपन से ही फिल्मों में काम करने का शौक था. फिल्म निर्माता निर्देशक एच.एस. रवैल से उनकी मुलाकात हो गई और उन्होंने सईदा खान को फिल्मों में काम दिया.
इसके बाद सईदा खान फिल्मों में काम करने के लिए अपनी अम्मी के साथ कलकता से बंबई जा पहुंची. सईदा खान ने 1960 में हिंदी फिल्म हनीमून (सुनहरी रातें) से डेब्यू किया था. फिल्म में उनके हिरो मनोज कुमार थे, फिल्म के अन्य कलाकार विजया और राधाकिशन थे. फिल्म के निर्देशक लेख राज भाखरी और संगीतकार सलील चौधरी थे. फिल्म कुछ खास चली नहीं.
सन 1960 में ही सईदा खान की एक ओर फिल्म आई, अपना हाथ जगन्नाथ. इस फिल्म में सईदा खान के हीरो किशोर कुमार थे. फिल्म के निर्देशक मोहन सहगल और संगीत कार सचिन देव बर्मन थे. इस फिल्म में सईदा खान किशोर कुमार से शादी करने के लिए घर से भाग जाती है और कार एकसीडेंट में उनके दोनों पैर टूट जाते है. वह किशोर कुमार पर बोझ नहीं बनना चाहतीं और किशोर कुमार को एकसीडेंट के बारे में नहीं बतातीं. किशोर कुमार को लगता है कि उन्होंने किसी और से शादी कर ली, लेकिन बाद में दोनों फिर से मिलते हैं. इसकी कहानी काफी हद तक आमिर खान की फिल्म मन की तरह है.
1961 में निर्देशक एच. एस. रवैल की फिल्म कांच की गुडिया आई. इस फिल्म में सईदा खान के हीरो मनोज कुमार थे.. यह फिल्म सफल रही और सईदा खान टॉप एक्ट्रेसेस की लिस्ट में शामिल हो गईं. उन्होंने 1971 में फिल्म निर्माता निर्देशक बृज मोहन सदाना से शादी की. बृज मोहन सदाना ने यह रात फिर ना आएगी, चोरी मेरा काम, विक्टोरिया नंबर 203 जैसी सफल फिल्में बनाई है. सईदा और बृज के दो बच्चे कमल सदाना और नम्रता हुईं.
हालांकि बाद में दोनों का रिश्ता खराब होता गया और 1990 में बेटे कमल सदाना के जन्मदिन के दिन जब पार्टी चल रही थी, बृज मोहन सदाना शराब पीकर आए और सईदा से झगड़ने लगे. गुस्से में उन्होंने सईदा खान को गोली मार दी. बेटी नम्रता अपनी मां को बचाने के लिए बीच में आई तो बृज मोहन ने उसे भी गोली मार दी. गोलियों की आवाज सुन उनके कमल सदाना आए, तब बृज ने उन पर भी गोली चलाई. लेकिन कमल सदाना बच गए. बृज ने खुद भी आत्महत्या कर ली. कमल सदाना के जन्मदिन पर मां, बाप और बहन तीनों की जान चली गई और एक पूरा परिवार खत्म हो गया.
बाद में 2006 कमल सदाना ने टीवी का रुख किया और शो 'कसम से' में नजर आए. 2014 में उन्होंने 'रोर: टाइगर्स ऑफ सुंदरबन' नाम की फिल्म बनाई थी, जिसकी कहानी भी उन्होंने खुद लिखी थी. एक इंटरव्यू में कुछ साल पहले कमल ने बताया था कि वो नहीं जानते कि उनके पिता ने इतना खौफनाक कदम क्यों उठाया था. कमल ने इस बात से इनकार किया था कि उनके घर में पैसों की तंगी थी. कमल ने कहा था कि परिवार ने प्रॉपर्टी में अच्छे इंवेस्टमेंट किए थे इसलिए ऐसी कोई समस्या नहीं थी.
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