1975 में रिलीज हुई इस धार्मिक फिल्म ने शोले की राह में अटकाए रोड़े, सिनेमाघरों में मनाई गोल्डन जुबली

1975 में ‘शोले’ के साथ रिलीज हुई ‘जय संतोषी मां’ ने अपनी भक्ति और भावनाओं से लोगों का दिल छू लिया. शुरू में धीमी रफ्तार से चली, लेकिन जल्द ही इतनी पसंद आई कि शोले को भी टक्कर दे दी.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
1975 में रिलीज हुई इस फिल्म ने छुड़ा दिए थे शोले के भी पसीने
नई दिल्ली:

1975 का साल बॉलीवुड के लिए ऐतिहासिक माना जाता है. इसी साल रिलीज हुई थी ‘शोले', जिसे आज भी सबसे बड़ी फिल्मों में गिना जाता है. लेकिन इसी साल एक और फिल्म आई जिसने अपनी धार्मिक और भावनात्मक कहानी से दर्शकों का दिल जीत लिया. इस फिल्म का नाम है ‘जय संतोषी मां'. रिलीज के पहले दिन लगा कि फिल्म शोले जैसी मूवी को टक्कर नहीं दे सकेगी. वजह थी फिल्म की कमजोर शुरुआत. लेकिन धीरे धीरे फिल्म ने अपना असर दिखाना शुरू किया. और, शोले' को कड़ी टक्कर दी. लोग बैल गाड़ियों और बसों में बैठकर दूर-दूर से फिल्म देखने आते और सिनेमाघरों के बाहर चप्पल उतारकर अंदर जाते थे.

15 अगस्त पर निकाल लें पूरा दिन, इस चैनल पर बैक टू बैक आएंगी 3 शानदार फिल्म, आखिरी वाली ने तो की 300 करोड़ की कमाई

धीरे-धीरे बना बॉक्स ऑफिस का चमत्कार
‘जय संतोषी मां' की शुरुआत बॉक्स ऑफिस पर धीमी रही. कोई नहीं सोच सकता था कि यह लो-बजट धार्मिक फिल्म दर्शकों पर ऐसा जादू चला देगी. लेकिन मुंह-जुबानी प्रचार और भक्तों की श्रद्धा ने इसे सुपरहिट बना दिया. फिल्म लगातार 50 हफ्ते तक सिनेमाघरों में चली और कई जगह तो ‘शोले' के बराबर भीड़ जुटी. दर्शकों का मानना था कि फिल्म देखने से उनके जीवन में सुख-समृद्धि आएगी. यही वजह थी कि लोग परिवार समेत, यहां तक कि गांवों से बैल गाड़ियों में बैठकर भी सिनेमाघरों तक पहुंचते थे. ‘जय संतोषी मां' ने करीब 10 करोड़ रुपये कमाए थे.

अनीता गुहा बनीं असली संतोषी मां
फिल्म में संतोषी मां का किरदार अनीता गुहा ने निभाया था. उनकी शांत और सौम्य छवि ने दर्शकों के दिलों में गहरी जगह बना ली. स्थिति यहां तक पहुंच गई कि लोग रियल लाइफ में भी उन्हें देवी मानने लगे. सड़क पर या किसी कार्यक्रम में अगर अनीता गुहा दिख जातीं तो लोग उनके पैर छूकर आशीर्वाद मांगने लगते. उस समय ‘जय संतोषी मां' सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक धार्मिक आस्था का प्रतीक बन गई थी.

‘जय संतोषी मां' ने यह साबित किया कि बड़े बजट, स्टारकास्ट और एक्शन से बढ़कर भी फिल्में दर्शकों का दिल जीत सकती हैं. सही कहानी और भावनाओं से जुड़ी प्रस्तुति लोगों को लंबे समय तक सिनेमाघरों तक खींच सकती है—चाहे ‘शोले' जैसी दिग्गज फिल्म ही क्यों न सामने हो.

Featured Video Of The Day
Syed Suhail | Rahul Gandhi का 'हाइड्रोजन बम' फटा, किसका वोट घटा बढ़ा? समझें | Bihar Elections 2025