सपनों की नगरी मुंबई ने गुलशन कुमार को बुलंदियों तक पहुंचाया था लेकिन उसी शहर में उनके जीवन का दुखद अंत भी हुआ. 12 अगस्त 1997 का ही वो दिन था जब म्यूजिक इंडस्ट्री के बेताज बादशाह गुलशन कुमार की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी. दिल्ली में 5 मई 1951 को पंजाबी हिंदू परिवार में जन्मे गुलशन कुमार संघर्ष और मेहनत की सीढ़ी चढ़कर शिखर तक पहुंचे थे. दिल्ली के दरियागंज की गलियों में जूस का ठेला लगाने वाले गुलशन कुमार का मन ज्यादा दिन तक इस काम नहीं लग पाया था. उनके पिता चंद्रभान ने कैसेट्स बेचने का काम शुरू किया बस यहीं से गुलशन कुमार की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई थी. इसके बाद उन्होंने टी-सीरीज कंपनी की सक्सेस का बेमिसाल सफर तय किया.
मुंबई पहुंचने के बाद गुलशन कुमार की किस्मत और जीवन दोनों में बदलाव आया. उन्होंने तकरीबन 15 से ज्यादा फिल्में प्रोड्यूस की जिनमें एक फिल्म 'बेवफा सनम' को उन्होंने डायरेक्ट भी किया था. उनकी पहली प्रोड्यूस की गई फिल्म 1989 में आई 'लाल दुपट्टा मलमल का' थी. लेकिन टी-सीरीज को देशभर में असली शौहरत फिल्म आशिकी (1990) से मिली थी. इस फिल्म के गानों के लाखों कैसेट्स रातों-रात बिक गए थे और फिल्म भी थिएटर में धमाल मचा रही थी. इस फिल्म ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे.
रत्ती भर नहीं था घमंड
गुलशन कुमार जितने बेहतरीन प्रोड्यूसर थे उतने ही अच्छे इंसान भी थे. वो हर किसी से बड़े ही सम्मान और शालीनता से बात करते थे. इतनी बड़ी शख्सियत बनने के बाद भी गुलशन कुमार के अंदर बिल्कुल भी घमंड नहीं था. बताया जाता है कि गुलशन कुमार मां दुर्गा और भगवान शंकर के परम भक्त थे. वो अपनी कमाई का एक हिस्सा धर्म और जरूरतमंदों की मदद में लगाया करते थे.
उन्होंने अपना सफर पूरी मेहनत और ईमानदारी से तय किया था. साल 1993 में गुलशन कुमार हाइएस्ट टैक्स पेयर बन चुके थे. लेकिन कुछ लोगों के गले की फांस बन गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अंडरवर्ल्ड की नजर गुलशन कुमार के पैसों पर पड़ गई थी. अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम ने गुलशन कुमार से 5 लाख रुपये की डिमांड की थी. गुलशन कुमार ने इससे साफ इनकार कर दिया था. अबु सलेम को ये बात नागवार गुजरी. उसने गुलशन कुमार को खत्म करने की प्लानिंग बनाई. इसके लिए अबु सलेम ने अपने शूटर राजा को मैसेज भेजा.
मंदिर से लौटते वक्त शूटर ने बनाया निशाना
रिपोर्ट के मुताबिक रोज की तरह 12 अगस्त 1997 को भी गुलशन कुमार मुंबई के जीत नगर में महादेव के मंदिर दर्शन करने गए थे. मंदिर से लौटते समय गुलशन कुमार पर घात लगाए बैठे शूटर राजा ने उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया. ऐसा कहा जाता है कि जब शूटर राजा ने गुलशन कुमार की हत्या की तो करीब 15 मिनट तक उसने अपना फोन ऑन रखा था जिससे उनकी चीखें अंडरवर्ल्ड डॉन तक पहुंचती रहे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं