सामने वाला हारने से पहले हार जाए तो? बस इसलिए टीम इंडिया वर्ल्ड कप में हार कर भी जीत गई. ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज पूर्व क्रिकेटर मैथ्यू हेडन ने इस फाइनल के लिए कहा था कि दिल कहता है ऑस्ट्रेलिया जीते लेकिन दिमाग कहता है भारत ही फाइनल जीतेगा. ये बताता है कि भारत ने इस वर्ल्ड कप में कैसा प्रभावी प्रदर्शन किया.
टीम इंडिया ने न सिर्फ भारतीय क्रिकेट प्रेमियों बल्कि क्रिकेट दुनिया के दिग्गजों को भी ये कहने पर मजबूर कर दिया कि इस वर्ल्ड कप में सबसे मजबूत टीम भारत की है. मनोवैज्ञानिक रूप से भारत ने हर टीम को परास्त कर दिया था.
जैसे टीम इंडिया चैंपियन है उसी तरह भारत के क्रिकेट प्रेमी चैंपियन हैं. क्रिकेट से हम भारतीय रोते हैं, हंसते हैं. क्रिकेट हमारी चाहत है, क्रिकेट हमारी राहत है. तमाम दुश्वारियां हैं लेकिन क्रिकेट की वजह से हम हमेशा थोड़े और जिंदा हो जाते हैं. एक देश के तौर पर क्रिकेट की तरह हमें कुछ और नहीं जोड़ता. वो हर विकेट पर चियर और हर छक्के पर ताली, हमारी ऊर्जा कमाल की होती है.
अपनी टीम को ये क्रिकेट प्रेमी कितना चाहते हैं. कहीं पूजा, कहीं हवन, कहीं दुआ, कहीं मन्नत. वैसे इंडिया की स्टोरी भारतीय क्रिकेट की स्टोरी से काफी मिलती है. जैसे क्रिकेट में हम सीना तानते हैं वैसे देश दुनिया की आंखों में आंख डाल देखता है.
क्रिकेट के मैदान में जैसे-जैसे हमें कामयाबी मिलती गई, एक देश के तौर पर भी हम आगे बढ़ते जाते हैं. सचिन, गांगुली और धोनी से पहले वाली टीम इंडिया देख लीजिए और उसके बाद वाली टीम इंडिया. इनसे पहले का हिन्दुस्तान देख लीजिए और उसके बाद का हिन्दुस्तान देख लीजिए.
क्रिकेट में खेल कभी भी पलट सकता है. फाइनल के मैच में यही हुआ, संयोग मात्र है कि चैंपियन भारतीय टीम हार गई. फाइनल में टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर रहे ऊपर के बैटर नहीं चले और कमजोर स्कोर को गेंदबाज डिफेंड नहीं कर पाए. दिल टूटा लेकिन इंडिया के दिलेर हमारे दिलों में थे और रहेंगे. उन्होंने हमें क्रिकेट के मैदान में काफी कुछ दिया है, क्रिकेट के मैदान से बाहर भी काफी कुछ दिया है.
(संतोष कुमार पिछले 25 साल से पत्रकारिता से जुड़े हैं. डिजिटल, टीवी और प्रिंट में लंबे समय तक काम किया है. राजनीति समेत तमाम विषयों पर लिखते रहे हैं.)
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.