पाकिस्तान के जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल बनाने पर आश्चर्य कैसा?

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पाकिस्तान में हर युद्ध हारता आया. लेकिन सेना अपने मुल्क में जीतती रही है. इतिहास के आईने से  समझने की कोशिश करते हैं. 1965 में भारत-पाक युद्ध हुआ आपरेशन जिब्राल्टर के नाम से. पाकिस्तान ने कश्मीर को आज़ाद कराने के लिए इस आपरेशन को शुरू किया था. पाकिस्तानी सेना भारत से युद्ध हार गई. हालांकि उस वक्त भी पाकिस्तानी एयरफ़ोर्स ने अच्छा प्रदर्शन किया था. उसी का सहारा लेकर उस वक्त के फील्ड मार्शल अयूब खान ने इसे जीत बताया. बड़े बड़े दावे किए. जबकि न्यूट्रल आंकलन ये था कि भारत ने पाकिस्तान का 710 sq meter और पाकिस्तान ने भारत का 210 sq meter ज़मीन क़ब्ज़ा की थी. जीत का नगाड़ा बजाकर अयूब खान ने उस वक्त कमांडर इन चीफ मूसा खान को अगले ही साल पश्चिमी पंजाब का गवर्नर बना दिया. बाद में उस वक्त के एयर चीफ मार्शल नूर खान ने कहा कि अयूब खान ने देश को 1965 की जंग में गुमराह किया. कुछ साल बाद जब पोल पट्टी खुली तो उनकी लोकप्रियता गिरने लगी और 1969 में वो गद्दी से उतरे.

1971 में भारत-पाक जंग में 16 दिसंबर को जब पाकिस्तानी जनरल नियाज़ी ने आत्मसमर्पण किया तो अगले दिन 17 दिसंबर 1971 में उनके सबसे बड़े अख़बार की हेडलाइन जनरल नियाज़ी के हवाले से लगी थी कि जीत तक युद्ध करेंगे. बाद में जब BBC पर ईस्ट पाकिस्तान के टूटने की ख़बर आई तब 20 दिसंबर ने जनरल याहिया ख़ान ने सत्ता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो को सौंप दी. मजेदार बात ये है कि उस वक़्त भी अमरीका ने पाकिस्तान की ख़ुफ़िया तौर पर मदद की थी और तुर्किए और जार्डन ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था 

1999 में कारगिल युद्ध में फिर जनरल मुशर्रफ ने जीत के दावे किए..नवाज़ शरीफ़ ने अमरीका से गुहार लगवा कर युद्ध विराम करवाया..हमारे 557 जवान शहीद हुए दो मिंग एक हेलीकाप्टर गिरे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के मुताबिक़ पाकिस्तानी सेना के 4000 हज़ार लोग मरे मुशर्रफ के मुताबिक़ 453 सैनिक की मौत हुई..मुशर्रफ ने जीत के नगाड़े के साथ छह महीना बाद नवाज़ शरीफ को जेल में डालकर सत्ता हड़प ली…ये युद्ध के जीत का इतिहास है…हमेशा अपने लोगों को वास्तविक जानकारी देनी चाहिए..यही असली देशभक्ति है…सूचनाओं का घालमेल तात्कालिक लाभ पहुँचा सकता है लेकिन दीर्घकालिक नुक़सान होगा…तीन जहाज़ गिराकर पाकिस्तान अगर जंग जीत चुका है तो मुनीर साहब को फील्ड मार्शल की मुबारकबाद…मैं इसे भारत की फ़तेह नहीं कहूँगा सच ये है कि पहली बार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को ज़ोरदार थप्पड़ पड़ा है..और न्यूक्लियर की धमकी बेअसर साबित  हुई है…बाक़ी नगाड़ा दोनों ओर से मीडिया पर पीटा जा रहा है…तर्क के साथ सच को कसौटी पर कसना चाहिए…

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