अंतरराष्ट्रीय मीडिया में गंगा में तैरते शवों के फोटो छपने के साथ महामारी की दूसरी लहर में कुप्रबंधन के बाद भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बड़ी जीत की ओर अग्रसर देखा जा रहा था. जैसा कि कुछ लोग मान रहे थे कि चुनाव के ठीक पहले कैबिनेट में बदलाव को लेकर उन्हें कुछ असंतोष का सामना करना पड़ेगा पर इस सबके बावजूद ऐसा लगता है कि संघ और मोदी से कुछ निर्देश मिलने के साथ उनकी गाड़ी पटरी पर लौट आई है और 49 वर्षीय योगी की चाल में फिर जीत का आत्मविश्वास लौट आया है.
लेकिन अब, लखीमपुर खीरी में अजय मिश्रा टेनी की कार के किसानों पर चढ़ने के बाद यूपी पर सभी दांव लगना बंद हो चुके हैं. मिश्रा देश के गृह राज्य मंत्री हैं. घटना में चार किसानों की मौत हुई जबकि भड़की हिंसा में चार अन्य को जान गंवानी पड़ी. मिश्रा ने इस बात से इनकार किया है कि उनका बेटा आशीष, जिसका पुलिस केस में हत्या के आरोप में नाम है, इस कार को चला रहा था. उन्होंने बुधवार को अपने 'बॉस' अमित शाह के साथ बैठक में केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया. टेनी ने मीडिया से कहा है कि वे पद नहीं छोड़ेंगे. शायद इसीलिए मीडिया को दिल्ली में गृह मंत्रालय के उस आधिकारिक कार्यक्रम से 'अलग' कर दिया गया जिसमें टेनी ने हिस्सा लिया था.
सु्प्रीम कोर्ट ने आज योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन आरोपियों के साथ व्यवहार, जिसका केंद्र बिदु मंत्री का बेटा है, अजीब है. 'मिश्रा जूनियर' ने पूछताछ के समन की अनदेखी की. अविश्वसनीय रूप से जांच शुरू होने के बाद समन जारी होने में पांच दिन लगे.
योगी आदित्यनाथ , जिन्हें अपना दूसरा कार्यकाल सुनिश्चित करना है, अब केंद्र सरकार के साथ 'तनातनी' दिखा रहे हैं. सूत्रों ने मुझे इस बात की पुष्टि की है कि योगी चाहते थे कि मिश्रा को रविवार को ही गिरफ्तार किया जाए. योगी ने कानून व्यवस्था के सख्त व्यक्ति के रूप में छवि बड़ी मेहनत के बाद बनाई है. वो अखिलेश यादव और गांधी परिवार सहित राजनेताओं को लखीमपुर खीरी आने से भी रोकना चाहते थे. बताया जाता है कि अमित शाह के फोन के दखल के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा, जिन्होंने इसे 'अवैध हिरासत' करार दिया था, को रिहा किया गया.
मोदी सरकार और योगी के बीच विश्वास की कमी इतनी अधिक है कि योगी ने गोरखनाथ मठ के अपने दो भरोसेमंद सहयोगियों से राकेश टिकैत से संपर्क करने को कहा जो हरियाणा से लखीमपुर खीरी पहुंचने के लिए किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे. सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की कि योगी ने टिकैत से बात की जो पहले बीजेपी के साथ काम कर चुके हैं.
इस सबकी पृष्ठभूमि में एकमात्र मुद्दा है-जाति जो अक्सर यूपी में मायने रखता है. टेनी ब्राह्मण हैं जिन्हें यूपी में विधानसभा चुनाव के पहले कैबिनेट फेरबदल में हाल ही में मंत्री बनाया गया है. यूपी की आबादी में ब्राह्मण 11 फीसदी है, लेकिन एजेंडा (तय करने)और अन्य अहम माहौल में उनकी काफी अहमियत है. उन्होंने मजबूती के साथ मोदी (जो वाराणसी से सांसद हैं) को वोट दिया है लेकिन योगी की अपनी जाति, ठाकुरों का पक्ष लेने की अंदरूनी चर्चा के बाद वो अब योगी को नापसंद करने लगे हैं.
यह भी तथ्य है कि टेनी की आपराधिक पृष्ठभूमि है, स्थानीय तौर पर बेहद मजबूत टेनी ने घटना के एक सप्ताह पहले आंदोलनरत किसानों को धमकी दी थी. ऐसे समय जब चुनाव करीब हैं, तो कोई भी कदम उठाया जाता है तो यह परखना होगा कि यह पार्टी के ब्राह्मण वोट को कितना प्रभावित करेगा.
इसी तरह का चुनावी संदेश देने के लिए मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी (दोनों यूपी से सांसद) को कल घोषित की गई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया गया. यह तब हुआ जब उन्होंने लखीमपुर खीरी की घटना को संभालने को लेकर सार्वजनिक तौर पर हमला बोला. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए बीरेंद्र सिंह को भी किसानों को मुखर समर्थन के लिए हटा दिया गया है.
इस बीच योगी अपने नए ब्राह्मण मंत्री जितिन प्रसाद के साथ कई कार्यक्रमों की योजना बना रहे हैं, जो घाव पर मलहम की तरह काम करेंगे. योगी जिसे अपना क्षेत्राधिकार समझते हैं उसमें केंद्रीय हस्तक्षेप को ज्यादा बर्दाश्त का संयम उनमें नहीं दिखता और अब अपने हिसाब से चुनाव अभियान चलाने के लिए तैयार हैं.अब 'महाराज' अपने रंग में आने को तैयार हैं...
(इस लेख के पहले के वर्जन में यूपी में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या गलत लिखी गई थी. यह 11 फीसदी है.)
स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...
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