This Article is From Mar 04, 2021

कोरोना काल में गुपचुप तरीके से किराया बढ़ा रही है रेलवे

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Ravish Ranjan Shukla

13 फरवरी को दिल्ली से करीब 1200 किमी दूर रांची रेलवे स्टेशन पर जब एक शख्स ने प्लेटफार्म टिकट खरीदा तो 15 रुपए का टिकट उसे 30 रुपए में दिया गया. उसने जब काउंटर पर पूछा कि ये टिकट तो पहले 15 रुपए का था तो जवाब मिला है कल यानि 12 फरवरी से ये 30 रुपए का हो गया है. ये टिकट जब व्हाट्सएप के जरिए दिल्ली के पत्रकारों के पास पहुंचा और उन्होंने रेलवे के अधिकारियों से पूछा तो बड़े ही मासूमाना तरीके से रेलवे ने कहा कि बढ़ती भीड़ के चलते हो सकता है कि DRM स्तर पर पैसा बढ़ाने का फैसला ले लिया गया हो. साथ में ये भी कहा कि इस तरीके के फैसले बहुत सालों से लिया जाता रहा है. इसमें कुछ नया नहीं है.

खैर 10 दिन बाद यानि 22 फरवरी को एक खबर आई कि रेलवे ने पैसेंजर ट्रेनों का किराया दुगना कर दिया है. सूत्रों और कुछ यात्रियों के हवाले से छपी इस खबर पर जब पत्रकारों ने रेलवे के आधिकारिक ग्रुप पर पूछा तो फिर मासूमाना अंदाज से बताया गया कि ये फैक्चुअली करेक्ट नहीं है. खैर PIB के पास  फेक न्यूज के सील होने के बावजूद अखबार की इस खबर को फेक न्यूज करार नहीं दिया गया. लेकिन जब ट्रेन से चलने वाले रोजाना यात्री अपने दुगने दाम के बढ़े टिकट के फोटो शेयर करने लगे तो रेलवे ने फिर बड़ा मासूमाना सा एक प्रेस नोट निकाला और कहा कि कोविड के चलते भीड़ को रोकने के लिए केवल 3 फीसदी ट्रेनों का मामूली किराया बढ़ाया गया. इस प्रेस नोट में न तो कितना किराया बढ़ा है और न ही बढ़े किराए का ब्रेकअप दिया गया. आजतक करीब तीन सौ ट्रेनों का कितना किराया बढ़ा है इसकी जानकारी किसी को नहीं है. बस ये जरुर पता चला कि जो टिकट 30 रुपए का था उसके किराए 60 रुपए तक बढ़े गए हैं.

खैर करीब 20 दिन बाद अब दिल्ली के रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म टिकट के दाम भी 15 रुपए से बढ़ाकर 30 रुपए कर दिए गए हैं. यहां भी कोविड के चलते भीड़ कम करने के बहाने के नाम पर आम लोगों की जेब ढ़ीली करने की छूट प्राप्त हो चुकी है. भारतीय रेल के नाम से कई ऐतिहासिक बातें हैं लेकिन गुपचुप तरीके से किराया बढ़ाने के लिए मासूमाना बहाना बनाने का नया कीर्तिमान रेलवे के अधिकारियों ने जरुर स्थापित कर दिया है

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धन्यवाद रेलवे इस कोरोना आपदा में पहले आपने बुजुर्गों का कोटा खत्म किया. पैंट्री, कंबल, चादर पर्दे सब खत्म किया. वेटिंग टिकट को भी रद्द कराने पर 100 रुपए से ज्यादा पैसा काटा जाने लगा. फिर हर ट्रेन के नंबर के आगे शून्य लगाकर स्पेशल ट्रेन का पैसा वसूला जाने लगा. ये सब अब न्यू नॉर्मल है जब बढ़े किराए पर रेलवे का कोई स्पष्ट तथ्य नहीं आता है किराया पहले बढ़ता है बहाना बाद में आता है माना कि रेलवे को कोरोनाकाल में करीब 50 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है लेकिन क्या इसकी भरपाई करने का यही तरीका है कि गुपचुप तरीके से आप पैसेंजरों से ज्यादा पैसा वसूल कर उसकी भरपाई करें. लेकिन फिर भी आपको किराया बढ़ाना ही है तो कम से कम पारदर्शी तरीके से तथ्य तो बताएं. जितना आप ट्रेन के बढ़े किराए पर लोगों को गोल-गोल घुमाऐंगे उससे उतना ही यात्री भ्रमित होगा.

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