आज दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया और दिल्ली सरकार के कई अफसरों के घरों पर छापे पड़े हैं, इन छापों के बाद दिल्ली में आरोप-प्रत्यारों की झड़ी लग गई. आज सुबह मनीष सिसोदिया ने 8 बज कर 32 मिनट पर ट्विट किया कि सीबीआई आई है, उनका स्वागत है. हम कट्टर ईमानदार हैं. बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में जो भी अच्छा काम करता है, उसे इसी तरह परेशान किया जाता है. इसलिए हमारा देश अभी तक नंबर वन नहीं बन पाया है. सीबीआई का यह छापा दिल्ली सरकार की नई शराब नीति को लेकर पड़ा है, जिसे वापस ले लिया गया है, मनीष सिसोदिया के तहत ही एक्साइज़ विभाग आता है, इसलिए उनके यहां छापा पड़ा है.
छापे से पहले इस छपी हुई ख़बर के जश्न में आम आदमी पार्टी डूबी थी कि उसके शिक्षा सुधार को लेकर अमरीका के एक बड़े अखबार न्यूयार्क टाइम्स ने पहले पन्ने पर जगह दी है. इसलिए आज आम आदमी पार्टी के हर नेता के बयान और ट्विट में न्यूयार्क टाइम्स की खबर का हवाला था, कि आम आदमी पार्टी बच्चों का भविष्य बनाने में लगी है,उसकी तारीफ दुनिया में हो रही है और इधर ऐसा काम करने वाले शिक्षा मंत्री के घर पर CBI छापे डाल रही है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अपने ट्विट में जिस दिन अमेरिका के सबसे बड़े अख़बार NYT के फ़्रंट पेज पर दिल्ली शिक्षा मॉडल की तारीफ़ और मनीष सिसोदिया की तस्वीर छपी, उसी दिन मनीष के घर केंद्र ने CBI भेजी CBI का स्वागत है. पूरा cooperate करेंगे. पहले भी कई जाँच/रेड हुईं. कुछ नहीं निकला. अब भी कुछ नहीं निकलेगा. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने ट्विट किया कि मनीष सिसोदिया आज़ाद भारत के सबसे बेहतरीन शिक्षा मंत्री हैं. आज US के सबसे बड़े अख़बार NYT ने फ़्रंट पेज पर उनकी फ़ोटो छापी और आज ही मोदी जी ने उनके घर CBI भेज दी. ऐसे भारत कैसे आगे बढ़ेगा?
न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट छपी है अंग्रेज़ी में और इस रिपोर्ट को लेकर राजनीति शुरू हो गई हिन्दी में. क्या इस रिपोर्ट के ज़रिए सीबीआई रेड पर हमला करने की नीति का असर बीजेपी की रणनीति पर हो गया? जो सुबह से शराब की नीति और करोड़ों रुपये के घोटाले को लेकर केजरीवाल और सिसोदिया को घर रही थी? दोपहर एक बजे मनोज तिवारी न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट पर सवाल उठाए कि पैसे लेकर रिपोर्ट तो नहीं छपी है? न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट करणदीप सिंह की है और तस्वीर सौम्या खंडेलवाल की है.
सबसे पहले बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने सवाल उठाए फिर एक और सांसद प्रवेश वर्मा ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर न्यूयार्क टाइम्स और सऊदी से छपने वाले अखबार खलीज़ टाइम्स में एक साथ एक ही खबर कैसे छप गई? दोनों में एक ही रिपोर्टर का नाम है, फोटो भी एक ही है. इससे लगता है कि यह रिपोर्ट नहीं है, विज्ञापन है, पैसे देकर छपवाया गया है. पहले बीजेपी का बयान सुन लीजिए फिर चर्चा को आगे बढ़ाते हैं.
न्यूयार्क टाइम्स की वेबसाइट पर उसकी संपादकीय नीति है कि वह विज्ञापन लेकर खबर नहीं छापता है. साथ न्यूयार्क टाइम्स का करार दुनिया के कई अखबारों से होता है, जिनमें न्यूयार्क टाइम्स की खबरें छपती हैं. भारत के भी कई अखबार उसकी खबर छापते हैं. न्यूयार्क टाइम्स में करनदीप सिंह और सौम्या खंडेलवाल की रिपोर्ट 16 अगस्त को छपी थी, हार्ड कॉपी यानी मुख्य अखबार में 18 अगस्त को पहले पन्ने पर छपती है.
खलीज़ टाइम्स ने न्यूयार्क टाइम्स की वही खबर छापी है, खलीज़ टाइम्स ने लिखा भी है कि यह खबर न्यूयार्क टाइम्स की है. मनोज तिवारी ने यह देखा नहीं है या बताना ज़रूरी नहीं समझा. सांसद मनोज तिवारी या प्रवेश वर्मा को शायद पता भी हो लेकिन सिसोदिया पर हमला करने इतना कमज़ोर तर्क क्यों चुना. सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी के आरोप के बाद दोपहर तीन बजे प्रेस कांफ्रेस कर इस आरोप की धज्जी उड़ा दी.
सौरव भारद्वाज- भारत की सबसे अमीर पार्टी भाजपा है, इनके पास इतना पैसा है तो आपने 8 सालों में पेड़ न्यूज क्यों नहीं छपवा दिया, एक छपी थी, इन लोगों ने न्यू यॉर्क टाइम्स को फोन करके कहा कि पैसा लेकर खबर छाप दो, मैं इन्हें चुनौती देता हूं कि आप लोग अपनी पूरी ताकत और पैसा लगाकर कल के न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार में आप विश्व गुरु की तस्वीर छपवा दीजिए.
भारतीय जनता पार्टी के कुछ अनपढ़ नेता ये दर्शाने की कोशिश कर रहे हैं, थोड़ी बहुत विदेशों की भी जानकारी होने चाहिए, लेकिन इन्हें पता ही नहीं है कि न्यू यॉर्क टाइम्स क्या अखबार है, ये बोल रहे हैं कि न्यू यॉर्क टाइम्स ने फ्रंट पेज पर पेड़ न्यूज छाप दी, लेकिन वो अखबार एडोटोरियल नहीं छापता, जिस खबर के लिए उन्हें खुश होना चाहिए वो पेड़ न्यूज है. ये कह रहे हैं कि खलीज टाइम्स में भी वही खबर छपी जो न्यू यॉर्क टाइम्स में छपी है, लेकिन इनको बिल्कुल अंदाज़ा नहीं है, न्यू यॉर्क टाइम्स में अखबार में रिपोर्टर का नाम लिखा है, खलीज टाइम्स में न्यू यॉर्क टाइम्स की कर्टसी देकर छापा है, दोनों अखबारों में एक ही रिपोर्टर का नाम है.
दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर छापे पड़े हैं, CBI ने FIR दर्ज कर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाए हैं. इसमे कथित रुप से 143 करोड़ के राजस्व नुकसान का आरोप लगाया जा रहा है. इसे लेकर सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 21 जगहों पर छापे पड़े हैं.
आज कृष्ण जन्माष्टमी है.आज के दिन सरकारी छुट्टी होती है लेकिन सीबीआई के अधिकारियों देश भर में अलग अलग ठिकानों पर छापे मारते रहे. आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर कई घंटे तक छापेमारी हुई. यहां तक मनाीष सिसोदिया की सरकारी कार की भी तलाशी ली गई है. CBI ने दिल्ली की नई आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार के आरोप में मनीष सिसोदिया के अलावा एक्साइज कमिश्नर और डिप्टी कमिश्नर रहे अधिकारियों के घर भी छापे मारे।FIR में 15 लोगों के नाम हैं. मनीष सिसोदिया आरोपी नंबर वन हैं. FIR 17 अगस्त को दर्ज हुई है. मीडिया में आबकारी नीति को लेकर जो छपा है उसके आधार पर ही हम बता रहे हैं कि नई शराब नीति का प्रस्ताव 2020 में आया लेकिन यह प्रभावी हुआ नवंबर 2021 में. इसके तहत दिल्ली के सरकारी वेंडरों को हटाकर प्राइवेट वेंडरों को शराब बेचने की छूट दी गई. यही नहीं उन्हें अपने हिसाब से दाम रखने की छूट दी गई. जिससे शराब को लेकर डिस्काउंट की होड़ मच गई. लाइसेंसधारियों को जब दुकान खोलने की अनुमति नहीं मिली, कहा गया कि जनता , विपक्ष और एम सी डी की आपत्तियों के कारण दुकानें खोलने की जगह नहीं मिल रही है तब नीति बदल दी गई. एक्सप्रेस ने लिखा है कि जो पहले ले तय जगह हैं वहां पर अतिरिक्त दुकानें खोली जा सकती हैं और इसके लिए अनुमति की ज़रूरत नहीं है, इस तरह पिछले साल दिल्ली सरकार ने 849 दुकानों के लाइसेंस जारी कर दिए, लेकिन कई दुकानें घाटे के कारण बंद हो गईं. मई आते आते 849 से 649 हो गई और जून में 464 हो गईं. छापों को लेकर मीडिया रिपोर्ट में CBI के हवाले से लिखा जा रहा है कि शराब बनाने वालों को ही शराब बेचने का काम दिया गया,इसके बदले आम आदमी पार्टी को कथित रुप से मोटा कमीशन मिला. दिल्ली के मुख्य सचिव ने दिल्ली की नई आबकारी पॉलिसी के बारे में जो रिपोर्ट दी उस में कथित भ्रष्टाचार की बात की गई जिसके बाद उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.
इन छापों को लेकर आज दिल्ली आरोप- प्रत्यारोपों के बयानों और प्रेस कांफ्रेंस से गूंजती रही.आलम यह था कि एक ही साथ बीजेपी और आम आदमी पार्टी की प्रेंस कांफ्रेंस हो गई इस तरह दोनों पक्ष के लोग चैनलों पर लगातार बने रहे और अपने-अपने दावे करते रहे. इन बयानों की बारंबरता और घनत्व देखने से पता चल जाएगा कि इन छापों के पीछे की राजनीतिक तैयारी कितनी ठोस है. छापे की खबर आते ही बीजेपी ने हिमाचल, आंध्र सहित दिल्ली से केजरीवाल सरकार पर हमला बोलने शुरू कर दिया.
बीजेपी की तरफ से केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद प्रवेश वर्मा, सांसद हर्षवर्धन सांसद गौतम गंभीर और सासंद मनोज तिवारी,बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता,भाजपा विधायक राम कदम ने प्रेस से बात की. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि भ्रष्टाचारी जितना भी ईमानदारी का चोला पहन ले वो भ्रष्टाचारी ही रहता है और आम आदमी पार्टी का भ्रष्टाचार कई बार सामने आ चुका है. दिल्ली में शराब के ठेकों में खूब भ्रष्टाचार हुआ है. अगर घोटाला नहीं हुआ था तो इन्होंने शराब नीति को वापस क्यों लिया?" इसलिए केजरीवाल राष्ट्र के नाम संदेश देना बंद कर दें. आम आदमी पार्टी हिमाचल में विस्तार के सपने देख रही है तो हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का भी बयान आया. यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य का भी बयान आया. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर पी सिंह का बयान आया. बीजेपी नेता नवल किशोर का बयान आया.बीजेपी ने छापे के साथ-साथ मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की बात भी शुरु कर दी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए. दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता अजय सहरावत का बयान है कि क्या जेल मे सत्येंद्र जैन मनीष सिसोदिया को पहचान पायेगा? मनीष सिसोदिया की भी याददाश्त जाने वाली हैं. ये उनके ही शब्द हैं. आंध्र बीजेपी के महासचिव वी वी रेड्डी, केजरीवाल सरकार के दूसरे मंत्री गिरफ्तार हुए हैं. फिर भी केजरीवाल जी खुद को मिस्टर क्लीन कहते हैं और विज्ञापन के ज़रिए मीडिया का मुंह बंद रखते हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत पांडा ने ट्विट किया कि उम्मीद करते हैं कि आपकी याद्दाश्त नहीं चली जाएगी. बिना आग के धुआं नहीं होता है. दिल्ली के कोषाध्यक्ष विष्णु मित्तल का ट्विट है कि मनीष सिसोदिया केजरीवाल गैंग के नंबर 2 हैं और छटे हुए 2 नंबरी भी. सीबीआई का छापा दिल्ली को शराब का अड्डा बना देने और उसमें किए भ्रष्टाचार के लिए पड़ा है और ये सब कुछ भी बोल कर खुद को बेचारा सिद्ध करने में लग गए हैं. इनसे कुछ नहीं होगा मनीष सिसोदिया जी, सीबीआई का सहयोग कीजिए.
हमले का स्केल बता रहा है कि बीजेपी मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई के छापे को किस तरह से देख रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2 जून को ही कहा था कि मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार करने की साज़िश चल रही है. उन्होंने यही बात स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी से भी पहले कही थी और वे गिरफ्तार हो गए. आप ने भी आज बीजेपी का जवाब देने के लिए अपने सारे नेताओं को मैदान में उतार दिया. प्रेस कांफ्रेंस की झड़ी लग गई तो विधायक मंत्री रिपोर्टर से बात करने लगे और ट्विटर पर भी आप नेताओं ने जवाब देना शुरू कर दिया.
आम आदमी पार्टी की तरफ से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान,राज्य सभा सांसद संजय सिंह औऱ,राघव चड्ढा,विधायक सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कांफ्रेंस और ट्विट के ज़रिए बयान दिए. कहा कि पहले भी छापे पड़े हैं, कुछ नहीं निकला और न निकलेगा. सीबीआई का स्वागत है, हम कट्टर ईमानदार हैं. श्रम मंत्री गोपाल राय ने ट्विट किया कि अच्छे काम को रोकने के लिए सीबीआई की रेड करवाई जा रही है. आप विधायक नरेश बलयान ने ट्विट किया कि जितनी रेड होगी गुजरात में आप की उतनी ही सीटें बढ़ेंगी. एक और विधायक दिनेश मोहनिया ने भी ट्विट किया है कि शिक्षा क्रांति के नायक मनीष सिसोदिया के घर भाजपा की CBI ने रेड कर दी. वह देश को अनपढ़ रखना चाहती है जिससे हिन्दू मुस्लिम की राजनीति चलती रहे. विधायक आतिशी का बयान आया कि बीजेपी आप की लोकप्रियता से घबरा कर छापे डलवा रही है. कुलदीप कुमार से लेकर राज्य सभा सांसद संदीप पाठक ने भी बयान जारी किया.
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने ट्विट किया कि केजरीवाल की पार्टी आगे बढ़ रही है इसलिए सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को टारगेट किया जा रहा है. विपक्षी दलों में तृणमूल कांग्रेस के सौगाता रॉय, समाजवादी पार्टी की तरफ से अखिलेश यादव, अमीक जमाई, सुनील सज्जन राजद की तरफ से मनोज झा और डीएमके नेता एलनगोवन भी बयान जारी कर मनीष सिसोदिया के घर पड़े छापे को लेकर केंद्र पर निशाना साधा. कांग्रेस भी पीछे नहीं रही, कांग्रेस ने एक तरफ आप पर निशाना साधा तो दूसरी तरफ विपक्ष के खिलाफ जांच एजेंसियों के इस्तेमाल की बात भी उठाई.
एक तरफ आम आदमी पार्टी इस छापे को केजरीवाल बनाम मोदी बनाए रख रही थी तो दूसरी तरफ विपक्ष के नेता मोदी सरकार पर हमले कर रहे थे. कांग्रेस का रुख अलग था.
आज न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच घमासान मचा तो दूसरी तरफ बिज़नेस स्टैंडर्ड की पत्रकार श्रेया जय को लेकर ऊर्जा मंत्रालय ने अपने ट्विट में ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया, जिससे बचा जा सकता था. ऊर्जा मंत्रालय की भाषा से सवाल उठ सकता है कि क्या अब मंत्रालयो से पत्रकारों को अपने बौद्धिक स्तर का प्रमाण पत्र भी लेना होगा? यह सवाल इसलिए अहम है कि जब पत्रकार ही नहीं बचेंगे, उन पर इस तरह से हमले होंगे तब फिर ख़बरों का भी रोल समाप्त हो जाएगा। फिर आप जनता का भी रोल समाप्त हो जाएगा.
यह वो ट्विट है जिसे आज ऊर्जा मंत्रालय ने बिज़नेस स्टैंडर्ड की पत्रकार श्रेया जय को टैग करते हुए यानी उनके हैंडल को जोड़ते हुए लिखा है कि बिज़नेस स्टैंडर्ड की संवाददाता श्रेया जय के ट्विट का जवाब देते हुए लिखा है पहले अंग्रेज़ी में पढ़ता हूं. ऊर्जा मंत्रालय ने लिखा है कि This refers to the tweet of one @shreya_jai – said to be a correspondent of Business Standard. The tweet displays an utter ignorance of the sector which she is reported to be covering. @OfficeOfRKSingh @PIB_India, कमाल की बात है कि मंत्रालय ने इस भाषा में ट्विट कर बिजली मंत्री आर के सिंह और PIB को भी ट्विट किया है. इस ट्विट का हिन्दी में मतलब है कि मंत्रालय का यह ट्विट श्रेया जय के बारे में हैं जिन्हें बिज़नेस स्टैंडर्ड का संवाददाता कहा जाता है. उनका ट्विट बताता है कि इस सेक्टर के बारे में को निपट अज्ञानता से भरा हुआ है, जिसे वे कवर करती हैं। इसके आगे मंत्रालय लिखता है कि कोई भी जिसके पास न्यूनतम बुद्धि है, इसे समझ सकता है, दुर्भाग्य से यह संवाददाता नहीं समझती हैं. अंग्रेज़ी में लिखा है कि Anyone with minimal intelligence will understand this. Unfortunately, this correspondent does not.
एक पत्रकार के बारे में ऊर्जा मंत्रालय ट्विट करे कि उन्हें न्यूनतम बुद्धि नहीं है, minimum intelligence नहीं हैं,इसका मतलब है कि मंत्रालय की तरफ से ट्विट लिखने वाला maximum arrogance से भरा हुआ है, जिसे हिन्दी में अधिकतम अहंकार कहते हैं. पत्रकार की रिपोर्ट या ट्विट पर मंत्रालय खंडन कर सकता है,अपना पक्ष रख सकता है,लेकिन अगर सरकार की तरफ से इस भाषा का इस्तेमाल हो कि महिला पत्रकार की न्यूनतम बौद्धिक क्षमता नहीं है तो इसका मतलब है कि भारत में जो भी दस बीस पत्रकार बचे हैं, उन्हें भारत की खबरें छोड़ कर घाना, जावा सुमात्रा और मालदीव की खबरें करनी चाहिए ताकि वे इस तरह से अपमानित होने से बच जाएं और खबर लिखने का अभ्यास भी बचा रह जाए. क्या मंत्रालय 15 अगस्त का प्रधानमंत्री का भाषण भी भूल गया है?
2014 में प्रधानमंत्री मोदी का एक प्रिय नारा था minimum government, maximum governance, लेकिन यह ट्विट बता रहा है कि सरकार का न्यूनमत अधिकतम हो चुका है और अब पत्रकारों की न्यूनतम बुद्धि साबित करने में अधिकतम हस्तक्षेप किया जा रहा है
द वायर के लिए लिखने वाली पत्रकार रोहिणी ट्विट ने जवाब लिखा है कि जिस किसी की भी न्यूनतम परिपक्वता होती है वह जानता है कि भारत सरकार की तरफ से कैसे प्रतिक्रिया दी जाती है, ताकि केंद्र सरकार ढीढ स्कूली बच्चे की तरह न लगे. दुर्भाग्य से लगता है कि कोई ट्रोल इस हैंडल को चला रहा है.
नरेंद्र नाथ मिश्रा ने अपने ट्विट में लिखा है कि यह आधिकारिक हैंडल है. आप किसी रिपोर्टर को इस तरह ट्रोल नहीं कर सकते. @shreya_jai बहुत अच्छी रिपोर्टर है जो काफ़ी मेहनत और रीसर्च से रिपोर्ट करती है. अगर किसी रिपोर्ट से आपत्ति है तो फ़ैक्ट्स से काउंटर करें,ट्रोल कर नहीं.
एक और पत्रकार Sandeep Pai My friend @shreya_jai thank you for your journalism. Speaking truth to power is always challenging.
श्रेया जय ऊर्जा क्षेत्र कवर करती हैं. बिज़नेस स्टैर्ड में ही हमने सर्च किया तो उनके नाम से 60 रिपोर्ट के लिंक मिले. अगर ऊर्जा विभाग अपने ट्विट में इस पत्रकार की बौद्धिक क्षमता पर सवाल उठाता है तो एक तरह से वह बिज़नेस स्टैंडर्ड अखबार की संपादकीय क्षमता पर भी सवाल करता है, मज़ाक उड़ाता है जिसने श्रेया की एक सेक्टर पर 60 रिपोर्ट छापी है. अक्सर आलोचना के बाद ऐसे ट्विट हटा लिए जाते हैं मगर काफी देर तक ट्विट बना ही रहा. ऐसा लगता है कि पत्रकारिता की किसी को ज़रूरत ही नहीं है. एक दिन जनता भी सड़क पर आएगी कि हमें झूठी खबरों दो, हम सच नहीं सुनना चाहते हैं, हमें प्रोपेगैंडा दो, हम झूठे हो चुके हैं. तब आप क्या करेंगे, वो दिन आएगा. जब पत्रकारिता ही नहीं बचेगी तब खबर भी नहीं बचेगी. यह बात आज समझ लें या बीस साल बाद, यह आपकी मर्ज़ी है. आज के इंडियन एक्सप्रेस में एक और खबर छपी है, एक्सप्रेस के संवाददाता हरिकिशन शर्मा की रिपोर्ट है कि नीति आयोग ने अपने अधिकारियों से कहा है कि अखबारों में लेख लिखने से पहले आयोग के CEO से मंज़ूरी ले लें. यह निर्देश अधिकारियों से के साथ-साथ नीति आयोग के साथ काम करने वाले सलाहकारों के लिए भी है.आदेश पत्र में लिखा है कि इसका सख्ती से पालन करना होगा. इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि निर्देश के अनुसार जितने भी लेख अखबारों में छपने के लिए लिखे जाएंगे उन्हें Communications Vertical भेजा जाएगा. नीति आयोग के CEO परमेश्वरन अय्यर हैं. एक्सप्रेस ने नीति आयोग का भी पक्ष लिया है जिसमें कहा गया है कि आयोग समय समय पर प्रक्रियाओं के पालन के लिए निर्देश जारी करता रहता है. दुर्भाग्य की बात है कि इंडियन एक्सप्रेस रुटीन के निर्देशों का गलत मतलब निकाल रहा है. नीति आयोग अपने अधिकारियों को प्रोत्साहित करता है कि वे think करें यानी सोचें और रचनात्मक रुप से व्यक्त करें. बस सरकार के आचरण संबंधी नियमों का ध्यान रखें.
नीति आयोग के सीईओ परमेश्वरन अय्यर इंडियन एक्सप्रेस में नियमित रुप से लिखते रहते हैं, उसी एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर यह खबर छापी है. क्या उनका लेख भी कोई और मंज़ूर करता होगा? रहस्य सा लगता है. मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी लाचार है, इसकी कई तस्वीरें हम आपको दिखाते रहे हैं, दो दिनों पहले भिंड से तस्वीर आई थी कि कैसे एम्बुलेंस नहीं मिली तो बीमार पिता को बेटा ठेले पर अस्पताल ले गया ... प्रशासन ने ठेले का इंतज़ाम तो नहीं किया, बल्कि जांच की और जांच के बाद खबर बनाने वालों पर एफआईआर दर्ज कर ली ...