This Article is From Sep 29, 2022

अशोक गहलोत की कुर्सी खतरे में - पिक्चर अभी बाकी है

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Manoranjan Bharati

अशोक गहलोत की सोनिया गांधी से मुलाकात हुई. वो एक माफीनामा लेकर उनके पास गए थे. उन्होंने सोनिया गांधी से कहा कि उनसे बहुत बड़ी गलती हो गई है कि वो एक लाइन का प्रस्ताव विधायकों की बैठक में पारित नहीं करवा सके, जिसमें कांग्रेस आलाकमान को अधिकृत किया जाए कि वो विधायक दल का नेता चुने. कांग्रेस की यही परंपरा रही है. मगर इस परंपरा को नहीं निभाया गया.

गहलोत का कहना है कि वे इस घटना से हिल गए. इसलिए उन्होंने सोनिया गांधी से माफी मांगी है. जब ये सब बातें अशोक गहलोत मीडिया से कर रहे थे, उस वक्त वेणुगोपाल,  जो संगठन के महासचिव हैं,  चुपचाप खड़े हो कर सुन रहे थे यानि जो ब्रीफ अशोक गहलोत को दिया गया उससे ज्यादा वो मीडिया को न बोल दें. 

सोनिया गांधी के पास गहलोत से बैठक के पहले पर्यवेक्षकों की वो रिपोर्ट भी थी जो अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने जयपुर से आने के बाद सौंपी थी. पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में गहलोत को क्लीन चिट नहीं दी है मगर उन्हें सीधे-सीधे दोषी भी करार नहीं दिया. पर्यवेक्षकों ने लिखा है कि हमने निष्पक्ष होकर काम किया और कभी भी सचिन पायलट का पक्ष नहीं लिया. एक पर्यवेक्षक ने तो यहां तक कहा कि गहलोत जब 1998 में मुख्यमंत्री बने थे तब विधायक उनके पास नहीं थे कांग्रेस आलाकमान के कहने पर ही बने थे. 

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उधर, पायलट कैंप का कहना है कि मुख्यमंत्री गहलोत के घर पर 5 बजे जो बैठक बुलाई गई, वो पूर्व निर्धारित थी. बाद में शाम 7 बजे बैठक की जगह बदली गई. विधायकों से अलग-अलग बात की जानी चाहिए और उन्हें गांधी परिवार पर पूरा भरोसा है सही निर्णय लिया जाएगा. अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या अशोक गहलोत की कुर्सी बच गई है या मामले को सोनिया गांधी ने कुछ दिनों तक टाल दिया है.

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दरअसल, सोनिया गांधी के पास पहली प्राथमिकता अध्यक्ष पद का चुनाव सही ढंग से करवाना है. कांग्रेस अध्यक्ष के लिए 30 सितंबर तक नामांकन किया जा सकता है. 17 अक्टूबर को वोटिंग होनी है और 19 अक्टूबर को वोट गिने जाने हैं यानि तब तक सोनिया गांधी के लिए अशोक गहलोत प्राथमिकता नहीं है.

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यह भी दलील दी जा रही है कि दिसंबर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और गुजरात के इंचार्ज अशोक गहलोत हैं तो तब तक उन्हें परेशान नहीं किया जाए. गुजरात के नतीजों के बाद ही कोई कदम राजनैतिक रूप से ठीक रहेगा. मगर कांग्रेस के कई नेताओं का कहना है कि अशोक गहलोत के भविष्य पर फैसला जल्द से जल्द लेना चाहिए क्योंकि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को चुनौती दी है क्योंकि जो पर्यवेक्षक जयपुर गए थे वो कांग्रेस अध्यक्ष के प्रतिनिधि थे. इसलिए फिर से पर्यवेक्षक जयपुर भेजा जाना चाहिए और नए नेता का चुनाव करना चाहिए. ताजा खबरों को माने तो 30 सितंबर के बाद सोनिया गांधी अशोक गहलोत के भविष्य तय करेंगी यानि अशोक गहलोत के लिए अब लगता है वक्त काफी कम है. ऐसे में सचिन पायलट के लिए फिलहाल राहत की बात है कि उनके लिए अब जयपुर दूर नहीं है

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मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.