महाराष्ट्र में ये तीसरी बार हो रहा है जब उद्धव सरकार को गिराने के लिए पुरजोर कोशिश हो रही है. पिछली बार का वाकया तो याद ही होगा आपको जब रातों रात नई सरकार को शपथ दिला दी गई थी. हालांकि, 24 घंटे में सब ठीक हो गया वो भी शरद पवार की मेहरबानी से. पिछली बार की तरह इस बार भी संकट के पीछे अति महत्वाकांक्षी देवेंद्र फडणवीस का ही हाथ है. महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ नेता ने पिछली बार हुए संकट के समय हमें बताया था कि फडणवीस बहुत ही महत्वाकांक्षी है, उन्हें हर हाल में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की गद्दी चाहिए. यही वजह है कि वो मौका तलाशते रहते हैं.
इस बार के सियासी संकट में टाईमिंग बहुत महत्वपूर्ण है. एक वजह है राज्य सभा और विधान परिषद चुनाव में शिव सेना और कांग्रेस उम्मीदवारों के बजाए बीजेपी उम्मीदवार का चुना जाना. इससे यह साबित हो गया कि अघाडी में सब कुछ ठीक नहीं है और अंदर ही अंदर विधायकों में असंतोष पनप रहा है. कारण जो भी है शायद उद्धव उस तरह के नेता ना हों जिसे हर वक्त कम से कम विधायकों के लिए उपलब्ध रहना पड़े या फिर आदित्य ठाकरे की जल्दबाजी में ताजपोशी.
महाराष्ट्र सरकार का इस बार का संकट शिव सेना में नंबर 1 और नंबर 2 की लड़ाई है. एकनाथ शिंदे पुराने शिव सैनिक हैं और अघोषित तौर पर नंबर-2 की हैसियत रखते हैं. मुंबई के बगल ठाणे पर उनका वर्चस्व है एक वक्त ऑटो चलाने वाले शिंदे 4 बार के विधायक हैं और ठाणे नगर पालिका शिव सेना के लिए जीतते रहे हैं. यही वजह है कि एकनाथ शिंदे को विधानसभा में शिव सेना ने विधायक दल का नेता भी बनाया था क्योंकि उद्धव विधान परिषद में चुन कर आए हैं. हालांकि,अब ये पद अजय चौधरी को दे दिया गया है.
एक और महत्वपूर्ण कारण है फोन टैपिंग मामला. कहा जा रहा है इस केस में 25 जून को चार्जशीट दाखिल होनी है और इसमें तब के मुख्यमंत्री और मौजूदा नेता विपक्ष फडणवीस के खिलाफ काफी कुछ है. जाहिर है बीजेपी ऐसा होने नहीं देना चाहती है. एक और वजह बताई जा रही है वो है कांग्रेस, एनसीपी नेताओं पर सेंट्रल एजेंसियों का कसता शिकंजा खासकर ईडी और सीबीआई का. इससे सत्ता पक्ष के विधायकों में भय का माहौल बना दिया. इन्हीं सब की वजह से ऑपरेशन कमल को अंजाम दिया गया. इस बार इस ऑपरेशन के लिए गुजरात को चुना गया जो सबसे सुरक्षित जगह है.
नवसारी के सांसद और गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सी आर पाटिल को ये जिम्मेदारी दी गई है. आपको बता दूं कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस की जिम्मेदारी भी सीआर पाटिल के पास ही है. वही बनारस के केयरटेकर हैं. बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को उप-मुख्यमंत्री का पद ऑफर दिया है जो फिलहाल अघाडी में अजित पवार के पास है. वैसे शिंदे के पास शहरी विकास मंत्रालय था जो काफी महत्वपूर्ण माना जाता है मगर ये भी खबर है कि वो अपने मंत्रालय से संबंधित फाईल भी क्लीयर नहीं कर पाते थे और यह सब मुख्यमंत्री कार्यालय के शह पर हो रहा था.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि आगे क्या होगा. क्या एक बार फिर शरद पवार संकट मोचक की भूमिका में होंगे क्योंकि सबको मालूम है कि अघाड़ी की सरकार उन्हीं की बनाई हुई है और वही इसके चाणक्य और भीष्म पितामह हैं. लेकिन पवार ने कहा है कि ये संकट शिव सेना का है और एनसीपी और कांग्रेस साथ है. शरद पवार ने गेंद शिव सेना के पाले में डाल दी है अब शिव सेना को इस संकट से निपटना है तो क्या शिव सेना एकनाथ शिंदे को अलग-थलग कर बाकी बागी विधायकों को मना पाएगी या अघाड़ी की सरकार गिर जाएगी.
एक और मजेदार बात है शिव सेना और बीजेपी का गठबंधन टूटा था ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद को लेकर. शिवसेना पहले अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी, जिसके लिए बीजेपी तैयार नहीं हुई और फिर शरद पावर ने अलग-अलग चुनाव लडने वाली तीन दलों शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन बना कर उद्धव को मुख्यमंत्री बनवा दिया. सब यह भी जानते हैं कि इस सरकार को यदि बचाना है तो वो पवार ही हैं जो इसे बचा सकते हैं. वैसे शरद पवार ने कहा है कि पिछली बार की तरह इस बार भी अघाड़ी की सरकार बच जाएगी. मगर तब तक के लिए महाराष्ट्र में महाभारत जारी है. महाराष्ट्र में अक्टूबर 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं.
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...
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