इस समय पूरे देश में चर्चा आम चुनाव 2024 को लेकर है. 3 दिसंबर को आए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद तो BJP और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जबरदस्त संवेग मिल गया है. नतीजे आने से पहले तक बहुत-से लोगों को लग रहा था कि कांग्रेस यहां BJP को पटखनी देकर आम चुनाव में अपने INDIA गठबंधन के ज़रिये कड़ी टक्कर देने की स्थिति में खड़ी हो जाएगी. अगर हम ताज़ा प्रदर्शन को किनारे रख दें और इन तीन राज्यों समेत उन नौ राज्यों में वर्ष 1998 से हुए लोकसभा चुनावों के आंकड़ों की बात करें, जहां दोनों पार्टियां आमने-सामने हैं, तो क्या तस्वीर सामने आएगी...? आइए, देखते हैं...
ऐसे कुल नौ राज्य हैं, जहां इस समय BJP व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है - असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड. इन राज्यों में लोकसभा की कुल 152 सीटें हैं, जो लोकसभा की कुल सीटों का लगभग 28 फ़ीसदी हैं. वर्ष 2019 के चुनाव में इनमें से BJP ने 140 सीटें जीती थीं और कांग्रेस के हिस्से आई थीं सिर्फ 7 सीटें. इन राज्यों में BJP का मत प्रतिशत रहा था 56.64 फ़ीसदी और कांग्रेस को मिले थे 33.23 फ़ीसदी वोट. इन आंकड़ों के पीछे जाने पर पता चलता है कि यह सिर्फ़ मोदी जी का जादू है या कुछ और...
कितनी सीटें - कितने वोट...
1998 से हुए हर चुनाव में (2009 को छोड़कर) BJP की सीटें बढ़ती ही रहीं और कांग्रेस की सीटें घटती ही रहीं (देखें तालिका 1). 2009 में BJP को 71 और कांग्रेस को 72 सीटें मिली थीं. पिछले छह चुनाव में यही एक चुनाव ऐसा था, जब कांग्रेस को BJP से ज्यादा सीटें मिली थीं, हालांकि बढ़त सिर्फ़ एक सीट की थी. अलबत्ता, इन नौ राज्यों में वोट प्रतिशत के मामले में कांग्रेस ज़रूर 2009 तक BJP पर बढ़त बनाए हुए थी. यह बढ़त भी हरियाणा, असम व कर्नाटक के चलते थी, जहां BJP अपने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सहयोगियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ती थी, लेकिन 2009 के बाद BJP ने वोट प्रतिशत के मामले में ज़बरदस्त छलांग लगाई और उसका वोट प्रतिशत 2009 के 36.2 फ़ीसदी से बढ़कर 2014 में 49.46 फ़ीसदी और 2019 में 56.65 फ़ीसदी पहुंच गया. दूसरी ओर कांग्रेस जो 2009 तक 40-41 फ़ीसदी का स्तर बनाए हुए थी, 2019 में लुढ़ककर 33.23 फ़ीसदी पर आ गई.
फिर बढ़ते गए BJP के वोट...
1998 से 2009 और 2009 से 2019 के बीच दोनों पार्टियों के वोटों में वृद्धि के आंकड़े चौकाने वाले हैं. इन नौ राज्यों में 1998 से 2009 के बीच कांग्रेस के वोट 89.26 लाख बढ़े, यानी लगभग 24 फ़ीसदी और BJP के वोट 22.79 लाख, यानी सिर्फ़ 5.6 फ़ीसदी बढ़े. लेकिन अगले 10 साल, यानी 2009 से 2019 के बीच BJP के वोटों में 6.13 करोड़, यानी 143 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई और कांग्रेस के वोट 1.68 करोड़ (36 फ़ीसदी) बढ़े. यानी 2019 में कांग्रेस को इन नौ राज्यों में कुल जितने वोट (6.31 करोड़) मिले, लगभग उतने ही वोट (6.13 करोड़) 2009 के मुकाबले BJP के बढ़ गए.
कुल जीती सीटों में नौ राज्यों की हिस्सेदारी...
यह देखना रोचक होगा कि पिछले सभी आम चुनावों में BJP और कांग्रेस द्वारा कुल जीती सीटों में इन राज्यों का योगदान क्या रहा है. आंकड़ों से पता चलता है कि 1998 से अब तक BJP की निर्भरता इन राज्यों पर बहुत ज़्यादा रही है, जबकि BJP के मुकाबले कांग्रेस की इन राज्यों पर निर्भरता तुलनात्मक रूप से कम रही है. जब 1998 व 1999 में BJP के नेतृत्व में सरकार बनी थी, तब BJP की कुल सीटों में से क्रमश: 42.30 फ़ीसदी व 47.25 फ़ीसदी सीटें इन्हीं राज्यों से आई थीं. इसी तरह, जब 2014 व 2019 में BJP की सरकार बनी, उसकी क्रमश: 45.39 फ़ीसदी व 46.20 फ़ीसदी सीटें इन राज्यों से आईं. दूसरी ओर, 2004 व 2009 में जब कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बनी, तब कांग्रेस की कुल सीटों में लगभग 35-36 फ़ीसदी सीटें ही इन राज्यों से आईं. यहां खास बात यह है कि 2009 में जब कांग्रेस ने 1998 के बाद से अब तक की सबसे ज़्यादा 206 सीटें जीती थीं, तब भी उसकी इन राज्यों पर निर्भरता लगभग एक-तिहाई ही थी. यहां ध्यान देने की बात है कि BJP जब 2019 में अब तक की सर्वाधिक सीटें 303 सीटें जीती, तो उसकी 46 फ़ीसदी, यानी लगभग आधी सीटें इन राज्यों से ही आईं.
उपरोक्त आंकड़ों से निम्न बिन्दु स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आते हैं...
- आमने-सामने वाले राज्यों में 1998 से BJP अमूमन कांग्रेस से कहीं बेहतर प्रदर्शन करती रही है.
- कांग्रेस के मुकाबले BJP की निर्भरता इन राज्यों पर ज़्यादा है, लेकिन यहां अब बढ़त की गुंजाइश न के बराबर है, इसलिए यदि BJP को अपना पिछला प्रदर्शन सुधारना है या कुछ दूसरी जगहों पर संभावित नुकसान की भरपाई करनी है, तो उसे उन राज्यों में प्रदर्शन बेहतर करना होगा, जहां उसका मुकाबला क्षेत्रीय दलों से है.
- दोनों पार्टियों का वोट पिछले 25 साल में बढ़ा है, लेकिन यहां खटकने वाली भी एक बात है, जो BJP को चिंता में डाल सकती है. वह बात है, BJP के वोट में पिछले 10 साल, यानी 2009 से 2019 के बीच असामान्य 143 फ़ीसदी की वृद्धि, जबकि 1998 से 2009 के दौरान BJP का वोट मात्र 5.6 फ़ीसदी बढ़ा था. दूसरी ओर, कांग्रेस का वोट 1998-2009 के दौरान करीब 24 फ़ीसदी और 2009-2019 के दौरान करीब 36 फ़ीसदी बढ़ा. दरअसल असामान्य वृद्धि को टिकाए रखना काफी दुरूह होता है, और तनिक भी सावधानी हटी, तो जिस गति से वोट बढ़ा, उसी गति से फिसल भी सकता है.
- कुल मिलाकर देखा जाए, तो BJP के लिए इन राज्यों में अपने मौजूदा स्तर पर टिके रह पाने की चुनौती है. कांग्रेस की थोड़ी भी सफलता BJP के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी करने वाली साबित हो सकती है. दरअसल, पिछले दोनों लोकसभा चुनावों में क्षेत्रीय दलों के प्रभाव वाले अधिकतर राज्यों में BJP के लिए तुलनात्मक रूप से कठिन चुनौती रही है.
- कांग्रेस के सामने चढ़ने के लिए एवरेस्ट पहाड़ है. पिछले 25 साल के आंकड़े उसके खिलाफ गवाही दे रहे हैं. कई बार सामने वाला टिक नहीं पाता, तो उसका फायदा मिलता है, लेकिन यदि कांग्रेस के भाग्य से छींका टूट भी जाए, तो क्या वह छींके की मलाई खा पाने में सक्षम दिखाई दे रही है...? ये आंकड़े यही महत्वपूर्ण सवाल पूछ रहे हैं, जिसका जवाब कांग्रेस को देना है.
राजेंद्र तिवारी वरिष्ठ पत्रकार है, जो अपने लम्बे करियर के दौरान देश के प्रतिष्ठित अख़बारों - प्रभात ख़बर, दैनिक भास्कर, हिन्दुस्तान व अमर उजाला - में संपादक रहे हैं...
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