जी-7 के विश्व मंच पर भारत का बढ़ता कद

Advertisement
Harish Chandra Burnwal

इटली के खूबसूरत शहर अपुलिया में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन के आखिरी दिन एक दमदार तस्वीर देखने को मिली. यह तस्वीर जी-7 की फैमिली तस्वीर थी, जिसमें शिखर सम्मेलन में आए सभी राष्ट्राध्यक्ष हैं. इस तस्वीर में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीचों-बीच खड़े हैं और उनके दोनों तरफ जी-7 देशों के राष्ट्राध्यक्ष हैं, उनके नीचे वाली कतार में एक तरफ पोप फ्रांसिस और दूसरी तरफ इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी खड़ी हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन भी नीचे वाली कतार में एक तरफ खड़े हैं.

एक तस्वीर और बदला हुआ मानदंड

तस्वीरें मनोभावों को जितनी गहराई के साथ हमारे सामने व्यक्त कर देती हैं, उतना 10,000 शब्द भी व्यक्त नहीं कर पाते. इस तस्वीर ने यह अहसास करा दिया कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत के प्रधानमंत्री की ताकत का महत्व दुनिया के विकसित देशों के लिए कितना अधिक है, जबकि भारत जी-7 संगठन का सदस्य भी नहीं है, वह मेहमान के तौर पर इस शिखर सम्मेलन में शामिल हुआ है. भारत के बढ़ते कद का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले पांच साल से PM मोदी को लगातार जी-7 शिखर सम्मेलन में मेहमान देश के रूप में आमंत्रित किया जा रहा है. अब तो ऐसा लगने लगा है कि जी-7 संगठन का भारत स्थायी सदस्य बन गया है.

लोकतंत्र है प्रधानमंत्री मोदी की ताकत

जी-7 की फैमिली तस्वीर इस बात का भी प्रतीक है कि जब देश की जनता किसी को सिर-आंखों पर बिठाती है, तो फिर दुनिया की बड़ी-बड़ी ताकतें भी उसके दम को स्वीकार करती हैं. और फिर प्रधानमंत्री मोदी ने तो जीत की हैटट्रिक लगाई है. दरअसल जी-7 के सभी देशों - अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, जापान और कनाडा - में भारत ही की तरह लोकतांत्रिक व्यवस्था है, लेकिन सिर्फ इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ही हाल के चुनाव में सफल रही हैं, नहीं तो अन्य सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष, जो चुनाव के दौर में हैं, उनकी स्थिति अपने-अपने देशों में बहुत नाजुक है. तभी तो प्रधानमंत्री मोदी ने जी-7 को संबोधित करते हुए कहा - "भारत के लोगों ने इस ऐतिहासिक जीत के रूप में जो आशीर्वाद दिया है, वह लोकतंत्र की जीत है..." उन्होंने कहा कि यह पूरे लोकतांत्रिक विश्व की 'जीत' है.

Advertisement

जी-7 में पहली बार पोप का संबोधन

जी-7 का सम्मेलन एक मायने में इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण रहा कि पहली बार कैथोलिक चर्च के प्रमुख ने जी-7 के शिखर सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का गले लगाकर अभिवादन किया. इस मुलाकात में दोनों के बीच एक जबरदस्त गर्मजोशी दिखी. इस मुलाकात पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक्स (अतीत में ट्विटर) अकाउंट पर एक पोस्ट में कहा, "जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान पोप फ्रांसिस से मुलाकात की... मैं लोगों की सेवा करने और हमारे ग्रह को बेहतर बनाने की उनकी प्रतिबद्धता की प्रशंसा करता हूं... साथ ही उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी दिया..."

Advertisement

प्रधानमंत्री मोदी की सरप्राइजिंग कैमिस्ट्री

शिखर सम्मेलन की एक खास बात यह भी रही है कि इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने सभी देशों के राष्ट्रध्यक्षों का गर्मजोशी से स्वागत तो किया, लेकिन उन्होंने सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के साथ वीडियो रील बनाकर अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया, जो तुरंत वायरल हो गया और सभी देशों में चर्चा का विषय बन गया. इस वीडियो में प्रधानमंत्री मेलोनी ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करते हुए उनके साथ जो सेल्फी वीडियो बनाई, उसमें उन्होंने कहा कि 'हेलो फ्रॉम द मेलोडी टीम...' इटली की प्रधानमंत्री का इंस्टाग्राम पर यह वीडियो कुछ मिनटों में ऐसा वायरल हुआ कि इंटरनेट पर धूम मच गई. चंद घंटों के भीतर इस वीडियो को इंस्टाग्राम और ट्विटर पर 5 करोड़ से अधिक लोगों ने देखा, लाखों लोगों ने रीपोस्ट किया. #Melodi कई घंटों तक एक्स पर नंबर 1 ट्रेंड करता रहा.

Advertisement

कूटनीति का मोदी एलिमेंट

प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व से जी-7 शिखर सम्मेलन में जहां भारत का दम दिखा, वहीं अलग-अलग देशों के राष्ट्रध्यक्षों से मुलाकात में भी कूटनीति की दृष्टि से एक नया आयाम देखने को मिला. प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से सरप्राइज़ मुलाकात करके सभी कूटनीतिक विश्लेषकों को भारत की रणनीति को नए सिरे से समझने को मजबूर कर दिया. जस्टिन ट्रूडो, जी-20 के दिल्ली शिखर सम्मेलन में पिछले साल भारत आए और उसके बाद दोनों देशों के बीच खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कूटनीतिक विवाद खड़ा हुआ. जाहिर है इससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास आ गई थी. इसका असर जस्टिन ट्रूडो को अपने देश में जबरदस्त झेलना पड़ा और आज कनाडा में उनकी स्थिति ऐसी है कि अब उन्होंने अगला चुनाव लड़ने से अपने को अलग कर लिया है. इस विवाद के बीच प्रधानमंत्री मोदी की जस्टिन ट्रूडो से विश्व मंच पर सरप्राइज़ मुलाकात, सभी को उनकी एक सरप्राइज़ करने वाली कूटनीति लगी.

Advertisement

रूस-यूक्रेन युद्ध पर दो टूक

जस्टिन ट्रूडो के साथ मुलाकात जहां सभी को सरप्राइज़ कर गई, वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात बहुत खास थी. पीएम मोदी ने इस दौरान साफ-साफ कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध के लिए 'शांति का मार्ग' 'संवाद और कूटनीति' से होकर गुजरता है. राष्ट्रपति जेलेंस्की से प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना उस कूटनीति की याद दिलाता है, जिसके लिए वह विश्व मंच पर जाने जाते हैं और जिसका लोहा सभी मानते हैं. सितंबर, 2022 में शंघाई में हुए एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान, रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के समय भी ठीक इस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'मैं जानता हूं कि आज का युग युद्ध का नहीं है और हमने आपसे कई बार फोन पर इस विषय पर बात की है कि लोकतंत्र और कूटनीति तथा संवाद ये सभी ऐसी चीजें हैं, जो दुनिया को छूती हैं...' प्रधानमंत्री मोदी की इस कूटनीतिक पहल का महत्व और अधिक है, क्योंकि रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने जी-7 शिखर सम्मेलन के शुरू होने के साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए अपनी तरफ से शर्तों को दुनिया के सामने रखते हुए कहा था कि यूक्रेन को NATO में शामिल होने की महत्वाकांक्षा छोड़नी पड़ेगी और उन चार प्रांतों को रूस को वापस करना होगा, जिस पर रूस दावा करता है. रूस के इस प्रस्ताव के बीच, प्रधानमंत्री मोदी की राष्ट्रपति जेलेंस्की से 'संवाद और कूटनीति' की बात कहना, यह साफ करता है कि प्रधानमंत्री मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध पर तटस्थ होते हुए भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जिसे दोनों ही देश भलीभांति समझ भी रहे हैं.

भारत के प्रस्ताव का समर्थन

जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत को एक मेहमान के रूप में आमंत्रित किया गया, लेकिन इसी शिखर सम्मेलन में भारत द्वारा दिल्ली के जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रस्तावित भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) को बनाने का प्रस्ताव स्वीकार किया गया. प्रस्ताव में कहा गया है कि इस गलियारे पर तेजी से काम होगा और जल्द पूरा किया जाएगा. इस गलियारे के निर्माण के लिए अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ सभी देश एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इस गलियारे के ज़रिये रेलवे ट्रैक और शिपिंग मार्गों के नेटवर्क के माध्यम से भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच व्यापार को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा.

मजबूत हुई सामरिक रणनीति

प्रधानमंत्री मोदी 2047 तक विकसित भारत का संकल्प लेकर अपनी कार्ययोजना को गति दे रहे हैं. यहां यह समझना दिलचस्प होगा कि 'विकसित भारत' टर्म पीएम मोदी के लिए सिर्फ शब्दों का मायाजाल नहीं है, बल्कि नेतृत्व क्षमता में भी इसकी भावना प्रदर्शित होती है. इसी की एक झलक जी-7 के शिखर सम्मेलन में दिखाई पड़ती है. विकसित भारत के इस लक्ष्य में कूटनीति और आर्थिक रणनीति का जितना महत्व है, उतना ही महत्व सामरिक रणनीति का भी है. इसी सामरिक रणनीति के लिए शिखर सम्मेलन में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से द्विपक्षीय मुलाकात भी महत्वपूर्ण रही, क्योंकि भारत फ्रांस से 26 राफेल एम की खरीद की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाना चाहता है. भारत नौसेना के लिए राफेल एम खरीदना चाहता है, जिससे हिन्द महासागर के साथ-साथ पूरे समुद्री क्षेत्र पर वर्चस्व स्थापित किया जा सके. राफेल एम, अमेरिका के जंगी जेट F-16 और चीनी जेट J-20 से अधिक शक्तिशाली है. राफेल एम को INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत के साथ भारतीय नौसेना के सभी विमान वाहक युद्धपोतों में शामिल किया जा सकता है.

लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभालने का रिकॉर्ड बनाने वाले प्रधानमंत्री मोदी की यह पहली विदेश यात्रा थी और इस शिखर सम्मेलन में शामिल हुए देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने जिस गर्मजोशी से प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और सम्मान दिया, उससे साफ है कि विकसित देशों के सामने भारत के दम को स्वीकार करके आगे बढ़ने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है.

हरीश चंद्र बर्णवाल वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.