This Article is From Dec 23, 2021

नरसंहार के लिए ललकारते धर्म के ठेकेदारों पर कानून क्यों चुप है?

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Ravish Kumar

भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की शपथ दिलाई जा रही है, ज़रूरत पड़ने पर मरने और मारने की शपथ दिलाई जा रही है. ये दिल्ली में हुआ. हरिद्वार में भी ऐसा ही कुछ हुआ और वहां एक धर्म विशेष का सफाया करने के लिए नारे लगे. मारने की बात कही गई. हथियार उठाने की बात कही गई. नरसंहार के नारे लगाए जा रहे हैं. ऐसे भाषणों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए संविधान ने पुलिस को पर्याप्त अधिकार दिए हैं लेकिन अब इन कार्रवाइयों पर बात करने का कोई मतलब नहीं रह गया है. इसी तरह के नारे दिल्ली में जंतर-मंतर पर भी लग चुके हैं और जहां तहां लगते रहते हैं. नारे लगाने वाले कई लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में भी नारे लगाते देखा जा सकता है.

सुदर्शन न्यूज़ के सुरेश चव्हाणके ने प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर यह ट्वीट किया है कि हिन्दुस्थान को सर्वशक्तिमान सत्ता बनाने के लिए आगे बढ़ रहे महानायक माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को जन्मदिन पर कोटि कोटि शुभकामनाएं. आपने बहुत कुछ किया है. ईश्वर आपको हिंदूराष्ट्र घोषित करने का भी अवसर दे, यह प्रार्थना. सुशेर चव्हाणके की प्रोफाइल में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह से मुलाकात की तस्वीर है.

प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन में अनेक ट्वीट सुरेश चव्हाणके के मिल जाएंगे. आपको याद होगा कि पिछले साल जब UPSC के नतीजे आए थे तब सुदर्शन टीवी ने UPSC Jihad नाम से कुछ कार्यक्रम किए थे. जामिया के छात्रों को टारगेट किया जाने लगा था. उस कार्यक्रम के कुछ एपिसोड पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. आप उम्मीद कर सकते हैं कि प्रधानमंत्री ऐसी बातों को संविधान और बाबा साहब के सम्मान के ख़िलाफ़ बता देंगे, निंदा करेंगे?

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''संविधान भारत का बनवनाने, नए देश को नई राह दिखलाने वाले तुम थे. भारत के निर्माण की हिस्सेदारी तुमने ली थी, भारत बने महान ये जिम्मेदारी तुमने ली थी …बाबा साहब बाबा साहब बाबा साहब….'' 

अंबेडकर की आत्मा तक पहुंचने की कोशिश करती इस पुकार की विडंबना को उसकी तान पर छोड़ देते हैं. बाबा साहब अंबेडकर की पुण्यतिथि पर उनकी प्रशस्ति में गायकों का दल संविधान बनाने में उनकी भूमिका को याद कर रहा है और यहां प्रधानमंत्री नीले रंग की चादर ओढ़ कर आए हैं. डॉ अंबेडकर की परंपरा में नीले रंग का खास महत्व है इसलिए यह चादर याद दिला रही है कि प्रधानमंत्री को वह परंपरा अच्छी लगती है. लेकिन काशी के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने जिन गमछों और शॉल का इस्तमाल किया है उनके रंग कुछ अलग हैं. यहां नीला रंग नहीं है. जिन लोगों ने राजनीति को नेटफ्लिक्स और एमेज़ॉन प्राइम की तरह ओटीटी प्लेटफार्म समझ लिया है उनके लिए अंबेडकर की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नीले चादर में हैं और काशी में गेरूआ रंग के अलग अलग भाव लिए रंगों के कपड़े में हैं. लाल रंग भी है जिसमें प्रधानमंत्री अकेले स्नान कर रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्नान नहीं कर रहे हैं. कहने का मतलब है कि हर कोई अपनी अपनी आशंका के हिसाब के आश्वस्त हो सके इसके लिए प्रधानमंत्री के पास हर रंग के कपड़े हैं. नीला भी है और गेरूआ भी.

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यह वीडियो दिल्ली का है और छह दिसंबर का है. डॉ अंबेडकर की पुण्यतिथि पर संविधान की गरिमा को लेकर प्रधानमंत्री काफी गंभीर नज़र आते हैं लेकिन उसी दिल्ली में 13 दिन बाद उनके समर्थक, संविधान के वजूद को मिटा देने के नारे लगाते हैं और भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की शपथ लेते हैं और शपथ दिलाते हैं. इनमें से एक वही हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री को उनके जन्मदिन पर बधाई देते हुए लिखा था कि ईश्वर आपको हिन्दू राष्ट्र बनाने का अवसर प्रदान करे.

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इस मंच पर हिन्दू युवा वाहिनी लिखा है जिसकी स्थापना यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की है. मंच के पोस्टर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ की तस्वीर भी है और यूपी सरकार के राज्य मंत्री राजेश्वर सिंह की भी तस्वीर है जिन्हें हिन्दू युवा वाहिनी का मंडल प्रभारी बताया गया है. इसे देखकर तो आप प्रधानमंत्री मोदी और योगी आदित्यनाथ को एक दूसरे से अलग कर सकते हैं. आप यह भी नहीं कह सकते कि इस कार्यक्रम में शामिल लोग प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री में आस्था नहीं रखते हैं. यह भी नहीं कह सकते कि इन सभी को दोनों का संरक्षण प्राप्त नहीं है. 19 दिसंबर की सुबह दक्षिण दिल्ली के बनारसीदास चांदीवाला आडिटोरियम में यह सभा हुई जिसमें सुदर्शन टीवी के प्रमुख संपादक सुरेश चव्हाणके ने भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की शपथ दिलाई. इसका वीडियो ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा कि हिन्दू युवा वाहिनी के शेर और शेरनी हिन्दू राष्ट्र बनाने की शपथ ले रहे हैं. यह कोई गुप्त सभा नहीं थी. नारों के वीडियो बनाए जा रहे थे.

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सुरेश चव्हाणके के भाषण का कुछ अंश हम आपको सुनाने जा रहे हैं लेकिन पहले ही सतर्क कर देना चाहते हैं. इसमें नफरत का टोन है. मरने मारने की बात है. इसे हेट स्पीच की श्रेणी में आराम से रखा जा सकता है. आपको यह बताना ज़रूरी है कि ये अब हाशिये की आवाज़ नहीं रही है. इनके बीच आधिकारिक और अनधिकारिक का कोई अंतर नहीं है. सारे लोग और उनकी सारी बातें आधिकारिक ही है. सभी एक ही राजनीतिक और धार्मिक धारा के हैं. इन सबका मालिक एक है. हम इसलिए यह नफरती भाषण दिखा रहे हैं ताकि दर्शकों को सतर्क कर सके. दुनिया के कई देशों में इस तरह के भाषणों के बाद लाखों लोगों का नरसंहार हुआ है. सुदूर इतिहास में जर्मनी में, रवांडा में और हाल के दिनों में भारत के पड़ोसी देश म्यानमार में. अब आप इसे ध्यान में रखते हुए सुरेश चव्हानके को सुनिए.

“वचन देते हैं संकल्प लेते हैं अपने अंतिम प्राण के क्षण तक इस देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए बनाए रखने के लिए, आगे बढ़ाने के लिए लड़ेंगे, मरेंगे, ज़रूरत पड़ी तो मारेंगे, किसी भी बलिदान के लिए किसी भी कीमत पर एक क्षण भी पीछे नहीं हटेंगे. हमारा यह संकल्प पूरा करने के लिए हमारे गुरुदेव हमारे कुल देवता, हमारे ग्राम देवता, भारत माता, हमारे पूर्वज हमको शक्ति दें, शक्ति दें, जय दें विजय दें, विजय दें, विजय दें, विजय दें. विजय दें. भारत माता की जय.” यदि किसी को बुरा लगे तो मैं अपने शब्द वापस नहीं लूंगा क्योंकि मैंने सुनाने के लिए ही बोला हूं.''

ये चाहते हैं कि आप सुनें. इसे वापस नहीं लेंगे. राजधानी दिल्ली में हिन्दू राष्ट्र के लिए शपथ दिलाई जा रही है. इसमें सबका आह्वान किया जा रहा है, भारत के उस संविधान का आह्वान नहीं है, जिसे आज़ादी की लड़ाई से निकले तमाम लोगों ने महीनों बैठकर बनाया था और 1947 की धर्म के नाम पर हुई भीषण हिंसा की आंच से दूर रखा. भारत को धर्म विशेष का राष्ट्र घोषित नहीं किया.

तभी मैंने एक सवाल किया कि छह दिसंबर को पुण्यतिथि के मौके पर प्रधानमंत्री जिस पवित्रता का प्रदर्शन इतनी गंभीरता से कर रहे हैं, क्या वो 19 दिसंबर के इस कार्यक्रम में शामिल लोगों से खुद को अलग कर सकते हैं? कह सकते हैं कि इन लोगों ने बाबा साहब का अपमान किया है. क्या बोल सकते हैं कि हिन्दू राष्ट्र की बात करना डॉ अंबेडकर और उनके बनाए संविधान का अपमान है?

आपको याद होगा अगस्त 2016 में प्रधानमंत्री ने गौ रक्षा के नाम पर हो रही हत्याओं को लेकर साफ साफ बोल दिया था. हम यह भी बताना चाहते हैं कि 18 अगस्त 2021 की द हिन्दू की खबर के अनुसार हरियाणा में सरकारी तौर पर गोरखधंदा शब्द के इस्तमाल पर रोक लग गई है लेकिन प्रधानमंत्री का यह भाषण 2016 का है. प्रधानमंत्री ने कहा है कि गौ रक्षा के अभियान में शामिल सत्तर अस्सी गौ रक्षा के नाम पर गोरखधंधा करते हैं.
6 अगस्त 2016 को प्रधानमंत्री ने कहा था, “कभी कभी ये जो गौ रक्षा के नाम पर कुछ लोग अपनी दुकानें खोलकर बैठ गए हैं मुझे इतना गुस्सा आता है, गौ वध अलग है, गौ सेवक अलग है. मैंने देखा है कि कुछ लोग जो पूरी रात एंटी सोशल काम करते हैं, लेकिन दिन में गौ रक्षक का चोला पहन लेते हैं. मैं राज्य सरकारों को अनुरोध करता हूं कि ऐसे जो स्वयंसेवी निकले हैं अपने आप को ब़ड़ा गौ रक्षक मानते हैं उनका डोज़ियर तैयार करो, सत्तर अस्सी परसेंट ऐसे निकलेंगे जो ऐसे गोरख धंधे करते हैं जो समाज स्वीकार नहीं करता है लेकिन अपनी बुराइयों से बचने के लिए गौ रक्षा का चोला पहनकर निकलते हैं.”

क्या प्रधानमंत्री इस बार कुछ कहना चाहेंगे कि जो लोग धर्म का चोला पहन कर संविधान और कानून हाथ में लेने की बात करते हैं, उनमें से सत्तर अस्सी परसेंट लोगों का धर्म से कोई लेना देना नहीं है? दिल्ली में हिन्दू राष्ट्र के संकल्प के बाद अब चलते है हरिद्वार. यहां पर 17 से 19 दिसंबर को धर्म संसद का आयोजन हुआ. इस धर्म संसद में जिस तरह के भाषण दिए गए हैं उसे पता चलता है कि आपकी सहमति और भागीदारी से भारत कितना बदल गया. फिर भी मैं मानने को तैयार नहीं हूं कि अच्छे स्कूल की तलाश में भटकने वाले लोग अपने बच्चों को नरसंहार की इस राजनीति में झोंकने के लिए तैयार हैं. वैसे एक बार रिश्तेदारों के व्हाट्सएप ग्रुप में फिर से कंफर्म कर लीजिएगा. संविधान का आर्टिकल 51A कहता है कि हमें अपनी सांझी विरासत का सम्मान करना है और उसे बचाकर रखना है. संविधान की इस भावना पर लगातार हमले हो रहे हैं. 

क्या हम ऐसा भारत चाहते हैं जहां आपके बच्चे कापी किताब को रखकर हत्यारे बन जाएं? याद रखिएगा, इन भाषणों की चपेट में आपका ही बेटा आने वाला है. समाज में इनकी स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है और कानून इनके सामने चुप है. लोग तालियां बजा रहे हैं.

निरंजनी अखाड़ा की महामंडलेश्वर और हिन्दू महासभा की महासचिव साध्वी अन्नपूर्णा ने हथियार उठाकर एक समुदाय के बीस लाख लोगों को मार देने की बात कही. नफरत से भरा ऐसा भाषण अगर किसी और ने दिया होता तो अब तक जेल में होता.

इसे कुछ और नहीं, केवल हेट स्पीच कहते हैं. नफरती भाषण. समाज को दंगों की आग में झोंक देने वाला भाषण. साध्वी अन्नपूर्णा का एक अवतार आप पहले भी देख चुके हैं. गणित की प्रोफेसर हैं. आपका ऐंकर गणित में कमज़ोर है फिर भी ऐसे प्रोफेसर से दूर ही रहेगा. पूजा शकुन पांडे अलीगढ़ की रहने वाली हैं. 30 जनवरी 2019 के रोज़ इनकी एक तस्वीर आई थी जिसमें ये गांधी की तस्वीर पर नकली पिस्तौल से गोली चला रही हैं. उसकी आवाज़ से गुब्बारा फटता है और गांधी जी की तस्वीर से ख़ून बहता है. यही पूजा अब साध्वी अन्नपूर्णा बनकर हिन्दू धर्म की रक्षक बन रही हैं. बच्चों से कापी किताब छोड़ कर हथियार उठाने की बात कर रही हैं उस गांधी जी को मारने के लिए जो जीवन भर खुद को हिन्दू कहते रहे.

साध्वी अन्नपूर्णा जैसों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने वाली है. गिरफ्तारी भी होगी तो ज़मानत मिल जाएगी. 

कितनी सहजता से कह रही हैं कि संविधान ग़लत है, संविधान बदल देना चाहिए. गोड्से की पूजा करनी चाहिए. इंतज़ार कीजिए कि बीजेपी इनके बारे में क्या कहती है या कहने के नाम पर कुछ कह देगी जैसे प्रधानमंत्री अंबेडकर जयंती पर विशेष रूप से नीले रंग की चादर पहन लेते हैं. अमर उजाला की एक खबर के अनुसार साध्वी अन्नपूर्णा ने कभी बीजेपी को आस्तीन का सांप कहा था. इसलिए बता रहा हूं ताकि बीजेपी अगर कार्रवाई करना चाहे तो यह जानकारी काम आ जाए. वैसे भी प्रधानमंत्री गांधी के हत्यारे को देशभक्त कहने पर कहां माफ करते हैं. जिसे माफ नहीं करते हैं वह उन्ही की पार्टी की सांसद हैं. भोपाल से.

26 नवंबर संविधान दिवस, 14 अप्रैल बाबा साहब का जन्मदिन या फिर छह दिसंबर उनकी पुण्यतिथि, इन तीनों तारीखों पर प्रधानमंत्री संविधान और डॉ अंबेडकर को खूब याद करते हैं. इन कार्यक्रमों से लगता है कि प्रधानमंत्री संविधान का कितना आदर करते हैं. मगर प्रधानमंत्री उन लोगों को कुछ नहीं कहते जो उनका तो आदर करते हैं मगर भारत के संविधान का आदर नहीं करते हैं. जिसे बाबा साहब ने बनाया. जैसे हरिद्वार के वीडियो में अश्विनी उपाध्याय संविधान की एक किताब दिखाते हैं जिसके कवर का रंग भगवा है. यह वीडियो हरिद्वार के उसी कार्यक्रम का है जिसमें संविधान की भावना के खिलाफ नरसंहार के नारे लगाए गए. इस वीडियो को अश्विनी उपाध्याय ने ही ट्वीट किया है.

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