फिट रोहित पर ‘अनफिट’ राजनीति!

विज्ञापन
Ashwini kumar

राजनीति के पास बहुत वक्त है. भारतीय राजनीति मोटापे को डिस्कस कर रही है. एक क्रिकेटर के कथित मोटापे को. राजनीतिक अट्रैक्शन के केंद्र में हैं रोहित शर्मा. चैंपियंस ट्रॉफी में अपनी टीम को लगातार तीन मैच जितान कर सेमीफाइनल में पहुंचाने वाले कप्तान. राजनीति का एक हिस्सा उन्हें अनफिट करार कर रहा है, तो दूसरा अनफिट कहने वालों की सोच के फिटनेस पर सवाल उठा रहा है. कांग्रेस की एक प्रवक्ता हैं, शमा मोहम्मद. शमा फरमाती हैं- “एक स्पोर्ट्समैन के लिहाज से रोहित शर्मा मोटे हैं. उन्हें वेट लूज करना चाहिए. रोहित निश्चित तौर पर अब तक के सबसे कम आकर्षक भारतीय कप्तान हैं.”

शमा की टाइमिंग खराब

फिटनेस सही न हो तो क्रिकेटर का रिफ्लेक्शन प्रभावित होता है. नतीजे में उसकी टाइमिंग बिगड़ती है. क्रिकेट में टाइमिंग की बड़ी अहमियत है और राजनीति में भी. रोहित जल्दी जरूर आउट हो जा रहे हैं, लेकिन जानकारों को उनकी टाइमिंग में कोई दिक्कत नहीं दिखती, लेकिन शमा ने जो कुछ कहा उसकी टाइमिंग जरूर खराब है. उसने यही बात ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट सीरीज के बाद कही होती, तो फिर भी कुछ समर्थक मिल जाते. शमा ने गलत टाइम चुन ली. अपनी भी फजीहत कराई, अपनी पार्टी की भी. क्योंकि कांग्रेस पार्टी से अलग रोहित की अगुवाई में टीम इंडिया का टाइम फिलहाल बढ़िया चल रहा है. 

राजनीति को अनफिट होने की छूट

शमा मैडम के हिसाब से रोहित शर्मा अनफिट हैं. राजनीति के साथ यही बहुत बड़ी सहूलियत है. आप किसी को भी अनफिट कह सकते हैं. सरकार में हैं तो विपक्ष को. विपक्ष में हैं तो सरकार को. और कहीं के ना रहें, तो फिर पलटकर वापस राजनीति को ही अनफिट घोषित करने की छूट. ये अलग बात है कि आप भले ही खुद सबसे अनफिट हों। राजनीति और राजनेताओं को अनफिट होने की छूट है. समाज को सूट न करने वाले अनफिट फैसले लेने की छूट. अनफिट बयानों की छूट. अनफिट कर्मों की छूट. हम यहां राजनेताओं के फिजिकली अनफिट होने पर बात नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हें इसकी छूट जन्मजात मिली हुई है. उनसे इसकी अपेक्षा नहीं, क्योंकि उनसे ये नहीं हो पाएगा. हां, वे फिट रोहित शर्मा को अनफिट जरूर करार कर सकते हैं. 

Advertisement

किसे कहां होना चाहिए सौगत बाबू?

टीएमसी की राय वैसे तो कांग्रेस से शायद की किसी मुद्दे पर मिलती है, लेकिन पार्टी के सीनियर सौगत रॉय इस बार बिल्कुल सहमत हैं. शमा मैडम की हां-में-हां मिला रहे हैं. दो कदम आगे बढ़कर सौगत तो कह रहे हैं कि टीम में रोहित को होना ही नहीं चाहिए. होना तो कई लोगों को कई जगह नहीं चाहिए सौगत बाबू. राजनीति में तो यह आम ही है, जिसे जहां होना चाहिए वह कहां वहां होता है! लेकिन क्या कीजिएगा! होता है, उसके होने को हमें मंजूर करना भी होता है और आखिरकार होता वही है, जो राजनीति चाहती है.

Advertisement

शमा मैडम को ‘विरोध का डेविडेंड'!

2 मार्च को अगर आप गूगल पर शमा सर्च करते, तो गूगल आपको कई विकल्प दिखाता, लेकिन उनमें से एक विकल्प शमा मोहम्मद यकीन नहीं होता. इस वक्त आप गूगल पर सर्च करें. शमा लिखें. आपको तुरंत मैडम शमा मोहम्मद नजर आ जाएंगी. कुछ उनके समर्थन में और बहुतायत में उनके विरोध में, लेकिन सोशल मीडिया के वर्चस्व के इस दौर में जिसे हम विरोध में कहते हैं, दरअसल कई बार वो चीजें भी आपको सपोर्ट ही कर रही होती हैं. मसलन, अगर शमा का विरोध उन्हें गूगल सर्च में नंबर-वन बना रहा है, तो यही तो उनकी उपलब्धि है. ‘ट्रेंड होने' का जो ट्रेंड इन दिनों है, उसमें नफा-नुकसान का कैलकुलेशन इतना आसान कहां है. सोशल मीडिया पर की गई आपकी बकवास का निवेश अक्सर आपको पॉपुलरिटी का डेविडेंड भी देता है और इन दिनों बहुतेरे हैं जो इस तरह के निवेश में यकीन रखते है. अब यह तो शमा मैडम ही बताएंगी कि उनका इरादा क्या था? 

Advertisement

अनफिट होने के पैमाने

वैसे अनफिट होने के एक पैमाने नहीं होते। सिर्फ फिजिकली ही आप फिट या अनफिट नहीं होते। अगर आप ऐसी चीजों में एक्सपर्ट बनने के कोशिश करें, जिसमें आपकी एक्सपर्टीज नहीं है, तो भी आप अनफिट होते हैं. तब आप उस काम में भी अनफिट होते हैं और आप अपनी सोच से भी खुद को अनफिट होना जाहिर करते हैं.

Advertisement

अश्विनी कुमार एनडीटीवी इंडिया में कार्यरत हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

Topics mentioned in this article