करीब करीब दो घंटे पहले का फ्लैश बैक: मजबूत शरीर वाली वो औरत कंधों पर 138 करोड़ लोगों की उम्मीदों का भार लिए अपनी ही सी क्षमता वाली दूसरी औरत से लड़ रही थी... ऐसा नहीं है कि उसके लिए ये भार नया था, बल्कि उसे तो इससे प्यार था. वो बार-बार इस भार को अपने कंधों पर उठाना चाहती थी, वो बार-बार अपने और देश के हर नन्हें बच्चे को ये बताना चाहती थी कि जिंदगी में जो हो जाए कभी हार नहीं मानना... उसने तीन में से दो राउंड में अच्छा खेला है और वह जानती हैं कि वह जीतने वाली है... वह अपनी जीत को लेकर निश्चिंत है और सारी औपचारिकताएं निभा रही है...
इसके करीब 2 घंटे बाद
कोच आकर उस मजबूत औरत के कान में कुछ कहते हैं... वह एक बार हिल जाती है और मन की भांप रास्ता पाते ही आंखों से बाहर निकल जाती है... कुछ देर में वह अपना सीना फिर गर्व से चौड़ा कर लेती है और तिरंगे को अपने बदन से लगा लेती है...
खबरों और फैक्टर के अनुसार
इस औरत का नाम : मैरी कॉम
इस औरत की उम्र : 38 साल
इस औरत का वजन : 51 किग्रा
मुकाबला : महिला बॉक्सिंग का प्री-क्वॉर्टर फाइनल (तोक्यो ओलंपिक)
खेल के दौरान : तीन में से दो राउंड में जीत
नतीजा : स्प्लिट डिसीजन में 3-2 से हार
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असली विजेता तो तुम ही हो...
रिंग के अंदर या बाहर तिरंगे में लिपटी मैरी कॉम की आंखों के आंसू सब कह गए. मुकाबला हार कर, उसके नतीजे से सहमत न होते हुए भी, जब मैरी ने अपनी प्रतिद्वंदी को गले लगाया, तो मानों खुद उस कोलंबियाई बॉक्सर ने अंदर से कहा होगा, ''असली विजेता तो तुम ही हो मैरी... असली विजेता तो तुम ही हो...''
यहां है मैरी कॉम का एकछत्र राज...
मैरी अपने युग की सबसे प्रतिभाशली और सफल मुक्केबाज रही हैं. 6 बार विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली एकलौती महिला मुक्केबाज मैरी कॉम हर पहले 7 विश्व चैंपियनशिप में मैडल जीतने का खिताब भी अपने कब्जे में रखती हैं. यहां तक तो बात थी महिला मुक्केबाजों की, लेकिन मैरी पुरुष और महिला दोनों ही वर्गों में सबसे ज्यादा विश्व चैंपियनशिप मैडल जीतने वाली एकमात्र बॉक्सर हैं...
यहां जिसे बार-बार कहा जा रहा है कि तुम्हारा सपना टूट गया... क्या ऊपर दिए उदाहरणों से आप यह समझ पा रहे हैं कि ऐसे इंसान के सपने टूटते नहीं हैं. जिसको कहा जा रहा है कि तुम्हारा सफर यहां समाप्त हुआ, वह एशियन गेम्स चैम्पियन (2014), कॉमन वेल्थ गेम्स चैम्पियन (2018), ऑलंपिक पदक विजेता (2012) है...
यूं ही खबर को पढ़ कर छोड़ देने वालों से मैं पूछना चाहती हूं कि क्या उन्हें अंदाजा है किस स्तर की फाइटर हैं वो... ऐसी शब्सियत के सपने टूटा नहीं करते... ये रोप दिए जाते हैं एक जगह से दूसरी जगह... ये मौसम के साथ उग आई खरपतवार या अपनी समय सीमा के बाद छड़ जाने वाली लताएं नहीं, बरगद होते हैं, जिनमें लाखों सपनों को सहेजने और उन्हें पनपने देने की क्षमता होती है... जिजीविषा से भरे ये सपने टूटते या बिखरते नहीं हैं, ये अंधेरे आसमान में चमकते सितारे होते हैं, जो घनी अंधेरी रात में रास्ता दिखाते हैं... कितना ठीक है यह कह देना कि मैरी का समना टूट गया... जबकि खुद मैरी कॉम ने हार नहीं मानी.
मैरी, 1998 में एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतकर जो डिंको सिंह ने तुम्हारे लिए किया था, वो आज तुमने हजारों के लिए किया है...
आनंद नहीं मरा...
मैरी कॉम का चेहरा देखकर मुझे बस एक ख्याल आ रहा था कि आप उसे कैसे हरा सकते हैं, जो खुद को ही जीत मान चुका हो, जो ये जान चुका हो कि जिंदगी ठहरने के लिए नहीं लड़ने के लिए बनी है... कितनों ने कहा कि वो लड़ना छोड़ देंगी, लेकिन नहीं... उसने हार नहीं मानी है, ये याद रखना कि उसने हार नहीं मानी है, चाहे तुम कितना ही कह लो कि वह हार गई... उसका बस एक सफर खत्म हुआ है, वो दूसरे सफर पर बढ़ेगी... वो जिंदगी में हर जंग जीतेगी. मैरी रिंग से बाहर नहीं हुईं हैं, वो रिंग से बाहर कैसे हो सकता है, जिसने जिंदगी को ही रिंग बना लिया हो...
आनंद फिल्म याद है आपको...? मुझे उसका लास्ट डायलॉग याद आ रहा है... 'मैरी नहीं हारी, मैरी हारा नहीं करतीं...' ओह माफ कीजिएगा क्या मैं गलत लिख गई?
मैरी कॉम को ढ़ेर सारी शुभकामनाएं और उनकी जलाई मशालों के लिए धन्यवाद...
(इस ब्लॉग में मैंने मैरी कॉम के लिए कई बार तुम और उसे का इस्तेमाल किया है. यह केवल उनके लिए मेरी भावनाओं को प्रकट करता है. मेरे मन में उनके प्रति आदर को दर्शाने के लिए मुझे आप या उन्हें कहने की शायद उतनी जरूरत इस लेख में नहीं थी. मेरे भावों से एकसार महसूस कर रहे पाठक शायद समझ पाएं.)
अनिता शर्मा NDTVKhabar.com में एसोसिएट एडिटर हैं...
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