"जुमला नहीं, हकीकत...", "मन की नहीं, काम की..." - नए प्रचार अभियान में इन नारों के साथ लगी नीतीश कुमार की तस्वीर से लगता है कि उन्होंने खुद को 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चुनती के रूप में पेश कर दिया है.
इन नारों का निशाना वे है, जिन्हें PM का समर्थन हासिल है, और ये नारे असल में कोई भी उपलब्धि नहीं होने को छिपाने के लिए उनका मज़ाक भी उड़ाते हैं.
यह प्रचार सामग्री नीतीश कुमार के करीबी सहयोगियों ने कल जारी की थी, और यह नतीजा था नीतीश कुमार की तेलंगाना के मुख्यमंत्री KCR से उनकी मुलाकात का, जो अगले लोकसभा चुनाव से पहले BJP-विरोधी ताकतों को एकजुट करने के लिए एक साथ आए.
अब एक ही महीने में नीतीश कुमार ने अपनी छवि को बदल लिया है, और वह अपने गठबंधन सहयोगी BJP के साथ लगातार असंतोष की हालत में काम करते सुस्त मुख्यमंत्री से ऐसी सरकार के मुखिया लगने लगे हैं, जिनमें उनके साथ उपमुख्यमंत्री तेदस्वी यादव हैं, जो उनसे आधी ही उम्र के हैं.
नीतीश कुमार के एक करीबी सहायक का कहना है, "BJP का साथ छोड़ देने के बाद नीतीश कुमार अपने पसंदीदा क्षेत्र राष्ट्रीय राजनीति में लौट आए हैं... सात बार मुख्यमंत्री बन चुका नीतीश बाबू जैसा कोई नेता ही मोदी का मुकाबला कर सकता है... जब वह BJP के साथ थे, रोज़मर्रा किए जाने वाले अपमान के चलते चिड़चिड़े-से रहते थे... अब वह फॉर्म में लौट आए हैं..."
चूंकि अब नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने को लेकर अपनी रुचि को छिपा नहीं रहे हैं, इस बारे में भी ज़्यादा जानकारी मिल रही है कि वह इसे कैसे हासिल करना चाहते हैं. सो, शायद तेजस्वी यादव से वादा कर लिया गया है कि 'उप' शब्द को उनके पदनाम से हटा दिया जाएगा, और संभवतः एक साल के लिए उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, जब नीतीश कुमार सांसद बनकर दिल्ली चले जाएंगे, ताकि वह उन अवज्ञाकारी विपक्षी नेताओं को सीधा करने पर पूरी तरह फोकस कर सकें, जो खुद भी PM बनने के लिए लालयित हैं.
सूत्रों के अनुसार, KCR ने नीतीश कुमार से वादा किया है कि वह BJP से मुकाबिल होने के लिए साझा एजेंडा तैयार करने की खातिर प्रमुख विपक्षी नेताओं के साथ संपर्क बनाएंगे. वह जिन लोगों से मुलाकात करने वाले हैं, उनमें ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल और एम.के. स्टालिन शामिल हैं.
दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल पहले ही एक राष्ट्रीय अभियान लॉन्च कर चुके हैं, और उधर, शरद पवार ने अपनी उम्र को PM बनने के लिए उठाए जाने वाले किसी भी कदम के खिलाफ कारक बताया है.
एकता के लिए की जा रही इस नई कोशिश की पृष्ठभूमि में बेहद महत्वपूर्ण है कि इसमें मौजूदा वक्त में कांग्रेस शामिल नहीं है, और यह जनता दल के वक्त की बुरी यादें सामने लाती है, जो अपने ही नेताओं की महत्वाकांक्षाओं के बोझ तले ढह गई थी. नीतीश कुमार और KCR के दिमाग में साफ है कि सिर्फ एक क्षेत्रीय और ज़मीन से जुड़ा विपक्ष ही BJP से मुकाबिल हो सकता है, और अंततः इस कोशिश में कांग्रेस को भी शामिल करना ही होगा, जो फिलहाल अपने भीतर बन चुके कड़वे माहौल और नेतृत्व संकट को हल करने की हालत में नहीं दिख रही है. वैसे, पिछले आम चुनाव में 20 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करने वाली कांग्रेस को विपक्ष से दरकिनार नहीं किया जा सकता है.
वैसे, अधिकतर विपक्षी नेताओं के रिश्ते और समीकरण मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ अच्छे हैं, लेकिन उनके पुत्र राहुल गांधी के साथ ऐसा नहीं है, जिन्हें कांग्रेस PM पद के लिए पेश करना चाहेगी. लेकिन अब विपक्ष के लिए ज़रूरी है कि वह एक दूसरे के उद्देश्यों की काट किए बिना काम करे. नीतीश कुमार की पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, "ये सभी नेता PM बनना चाहते हैं, लेकिन BJP द्वारा जांच एजेंसियों के दुरुपयोग ने हमें एक कर दिया है... इस बात से कोई भी नेता इंकार नहीं कर सकता कि BJP से मुकाबला करने के लिए उन्हें सही-सलामत रहना होगा, क्योंकि जेल में बैठकर BJP से मुकाबला नहीं हो सकता..."
मैंने इस कॉलम को लिखने के लिए विपक्ष के सात नेताओं से बात की और इस बात पर सभी एकमत थे कि केंद्र सरकार द्वारा CBI और ED जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के बड़े स्तर पर दुरुपयोग ने ही असल में विपक्ष को एकजुट कर दिया है. असल में ज़िक्र के काबिल हर नेता के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय में क केस दर्ज है, जिनमें ताज़तरीन मामला AAP के मनीष सिसोदिया का है, जो कथित रूप से शराब घोटाले में फंसे हैं.
नीतीश कुमार के पास तजुर्बा भी है, उम्र भी, जिससे वह देश के शीर्ष पद पर जायज़ दावा ठोक सकें. अब विपक्ष के बाकी नेता इसे हज़म कर पाते हैं या नहीं, इसे जल्द ही तय करना होगा. 2024 शुरू हुआ ही समझो...
स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.