बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) नीति आयोग (Niti Aayog) से ख़फ़ा हैं क्योंकि उसके विकास के पैमाने के हर सूचकांक पर बिहार फिसड्डी रहता है. हालांकि, अब उन्होंने (नीतीश कुमार ने) साफ़-साफ़ कहा है कि आज जो विकास हो रहा हैं, उसमें लाख भी करेंगे तो भी जो राष्ट्रीय औसत है उसके नीचे ही रहेंगे, लेकिन अगर विशेष राज्य का दर्जा मिल गया तो बहुत आगे बढ़ जाएंगे.
नीतीश कुमार ने जनता दरबार के बाद मीडिया के सवाल के जवाब हुए सोमवार को कहा कि राज्य की आबादी प्रति वर्ग किलोमीटर देश में सर्वाधिक है. ऐसे में हम लोग जितना भी विकास का काम करते हैं, उससे विकास की दर तो बढ़ी है, लेकिन राष्ट्रीय औसत से वो काफ़ी कम हैं. उन्होंने प्रति व्यक्ति आय की चर्चा की और कहा कि जहां देश का राष्ट्रीय औसत सवा लाख के क़रीब है. वहीं बिहार अब 15 सालों की मेहनत से 8 हज़ार से 50 हज़ार तक पहुँचा है इसलिए कितना भी विकास कर लेंगे तो भी जो राष्ट्रीय औसत है उसके नीचे ही रहेंगे.
वहीं, सीएम नीतीश कुमार के अनुसार, अगर विशेष राज्य का दर्जा मिल जाये तो विकास के कई परियोजना में केंद्र और राज्य के खर्च का दर नब्बे -दस होगा. अभी अधिकांश योजना में या तो 60-40 या 50-50 के हिसाब से खर्च होता है. नीतीश ने माना कि फ़िलहाल विकास के कई पैमाने पर बिहार न्यूनतम स्तर पर है और उसमें लाख भी प्रयास करेंगे तो भी वर्तमान में विकास दर के हिसाब से नीचे ही रहेंगे. हालांकि, विशेष राज्य का दर्जा मिल जाये तो बहुत आगे बढ़ जाएंगे.
नीतीश ने बिहार के साथ साथ अन्य राज्यों की विशेष राज्य के दर्जे की मांग का ये कहते हुए समर्थन किया कि उन राज्यों को भी मिल जाये तो क्या हर्ज है.
नीतीश कुमार विशेष राज्य की मांग 2009 से लगातार उठा रहे हैं. उन्होंने इस सवाल का जवाब टाल दिया कि उनके साथ सरकार में सहयोगी भाजपा आख़िर इस मांग से इत्तेफाक क्यों नहीं रखती. इसके अलावा सार्वजनिक रूप से बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल से लेकर उनके मंत्रिमंडल के दोंनो उप मुख्यमंत्री समेत कई मंत्रियों ने सार्वजनिक रूप से इस मांग से अपनी असहमति ज़ाहिर की है. हालांकि, नीतीश ने सोमवार को बार बार ये बात अवश्य दोहरायी कि बिहार के विकास में एनडीए के घटक दलों ख़ासकर भाजपा की अहम भूमिका रही है.
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