नीतीश के 'अर्जुन' के सी त्यागी ने नीचे क्यों रख दिए हथियार, क्या हैं इसके राजनीतिक मायने?

के सी त्यागी मौजूदा समय में उन नेताओं में से एक हैं जिनकी स्वीकार्यता उत्तर भारत के साथ दक्षिण भारत की राजनीतिक में भी है.

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नई दिल्ली:

जनता दल यूनाइटेड (JDU) के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी ने पार्टी के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है. उनकी जगह राजीव रंजन प्रसाद को नया प्रवक्ता बनाया गया है. कहा जा रहा है कि के सी त्यागी को उनके इजराल-फिलिस्तीन को लेकर दिए बयान की वजह से अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. पार्टी उनके इस बयान से खुश नहीं चल रही थी. हालांकि, अभी तक केसी त्यागी ने अपने इस्तीफे को लेकर कुछ भी साफ तौर नहीं कहा है.आपको बता दें कि के सी त्यागी को सीएम नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता रहा है. ऐसा कहा जाता है कि राजनीति में ऐसे कई मौके आए जब नीतीश कुमार ने अपने 'अर्जुन' कहे जाने वाले के सी त्यागी पर भरोसा जताया और वो उनके भरोसे पर खड़े भी उतरे. ऐसे में त्यागी का पार्टी के इतने बड़े पद से त्यागपत्र देना पार्टी के लिए बड़ा झटका भी साबित हो सकता है. 

बिहार से लेकर राष्ट्रीय राजनीति तक, अपनी अलग छाप रखते हैं केसी त्यागी

के सी त्यागी को जेडीयू में नीतीश कुमार के बाद सबसे कद्दावर नेताओं में से एक माना जाता है. उनका तजुर्बा हमेशा ही पार्टी के लिए काम आया है. पार्टी को जब भी उनकी जरूरत महसूस हुई वो हमेशा ही पार्टी के लिए खड़े मिले. यही वजह है कि चाहे बात बिहार की राजनीति की हो या फिर राष्ट्रीय स्तर की राजनीति की जेडीयू के लिए के सी त्यागी बेहद अहम रहे हैं. आपको याद दिला दें कि लोकसभा चुनाव से पहले जब विपक्ष बीजेपी के खिलाफ 'इंडिया'गठबंधन को तैयार करने में जुटा था, तो उस दौरान सभी को एकजुट करने में केसी त्यागी की भूमिका बेहद अहम थी. 

उत्तर से दक्षिण तक की राजनीति को साधने के माहिर हैं त्यागी 

राजनीति के कैनवास पर अगर ऐसे कुछ नेताओं का नाम लिखा जाए जो अपने अनुभव से तमाम राजनीतिक दलों को एक साथ लाने की काबिलियत रखते हैं तो उन नेताओं में के सी त्यागी का नाम भी जरूर होगा. वो मौजूदा राजनीतिक दौर में उन चुनिंदा नेताओं में से एक हैं जो उत्तर भारत के साथ-साथ दक्षिण भारत में भी खासे स्वीकारे जाते हैं. यानी अगर वो चाह लें तो राजनीति में कोई भी लक्ष्य साध सकते हैं. 

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JDU ने हमेशा जताया केसी त्यागी पर भरोसा 

के सी त्यागी पार्टी के लिए कितने अहम थे, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पार्टी को जब भी लगा कि वो संकट में है तो उसने हमेशा त्यागी को याद किया. पिछले साल ही जेडीयू ने केसी त्यागी पर भरोसा जताते हुए पार्टी का विशेष सलाहाकार और मुख्य प्रवक्ता नियुक्त किया था. कहा जा रहा था कि पार्टी ने ये फैसला 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लिया है. 

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इस्तीफे के पीछे की कहानी क्या है ? 

जेडीयू के प्रवक्ता पद से इस्तीफा देने के बाद से ही केसी त्यागी के इस कदम को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं है. सूत्रों के मुताबिक केसी त्यागी विदेश नीति के मुद्दे पर इंडिया गठबंधन के नेताओं के सुर में सुर मिलाते देखे गए थे. उन्होंने केंद्र सरकार से भी इजरायल को हथियारों की सप्लाई रोकने का आग्रह किया था और इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा था कि भारत गाजा में शांति और युद्धविराम का समर्थन करता है. वहीं, दूसरी तरफ लैटरल एंट्री के मुद्दे पर, यूनिफॉर्म सिविल कोड, वक्फ बिल को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी केसी त्यागी ने पार्टी के साथ चर्चा किए बगैर पार्टी लाइन से अलग बयान जारी किया था. 

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