- भाजपा ने रामप्रीत पासवान के स्थान पर 30 वर्षीय सुजीत पासवान को उम्मीदवार बनाया जो छात्र राजनीति से जुड़े हैं.
- सुजीत पासवान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रहे हैं.
- रामप्रीत पासवान 2020 तक मंत्री थे और पिछली बार 19 हजार से अधिक मतों से चुनाव जीते थे.
राजनीति में कब कौन किस पर भारी पड़ जाए यह कोई नहीं जानता. भाजपा की लिस्ट से मंत्री रहे 5 नाम गायब थे. इनमें रामप्रीत पासवान का भी नाम शामिल है, जो बीते 30 साल से राजनीति में सक्रिय हैं. उनकी जगह पर पार्टी ने 30 साल के सुजीत पासवान को उम्मीदवार बनाया है. रामप्रीत पासवान पहली बार 2000 में चुनाव लड़े थे, तब सुजीत की उम्र महज 5 साल थी. अब वही सुजीत कद्दावर नेता रामप्रीत पासवान के टिकट कटने की वजह बन गए हैं.
सुजीत पासवान कौन हैं
सुजीत पासवान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं. उनकी मां 10 साल तक अपने पंचायत की मुखिया रही हैं. पिता जी किसान थे, उनका निधन हो गया. 4 भाई बहनों में वे दूसरे नंबर पर आते हैं. 2010 से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े. कॉलेज मंत्री से लेकर प्रदेश मंत्री तक बने. 2020 तक विद्यार्थी परिषद में थे. इसके बाद भाजपा युवा मोर्चा में शामिल हुए. अभी युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. छात्र राजनीति के दौरान फीस वृद्धि जैसे मुद्दों को लेकर आंदोलन किया. छात्र संघ चुनाव के दौरान उन पर मुकदमे भी हुए. बाद में उन्हें ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी का सिंडिकेट मेंबर भी बनाया गया. अब पार्टी ने उन्हें मौजूदा विधायक का टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया है. सुजीत नरेंद्र मोदी को अपना आदर्श मानते हैं. वे कहते हैं कि भाजपा संगठन आधारित पार्टी है, इसलिए किसी की नाराजगी का कोई असर नहीं होगा. वे युवा हैं, युवाओं को समझते हैं. छात्र राजनीति के दौरान उन्होंने हजारों छात्रों की लड़ाई लड़ी है.
कौन हैं रामप्रीत पासवान?
रामप्रीत पासवान ने पिछला चुनाव 19 हजार 121 वोट से जीता. उन्हें 89 हजार 459 वोट मिले थे. जबकि राजद के उम्मीदवार रामवतार पासवान को 70 हजार 338 वोट मिले थे. इससे पहले 2015 में भी वे इस सीट से विधायक चुने गए थे. 2000 में वे खजौली सीट से चुनाव लड़े.हार गए. 2005 में वे विधायक बने. 2020 में चुनाव जीतने के बाद उन्हें मंत्री बनाया गया. उनके पास लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग था. टिकट कटने से वे खासे नाराज़ हैं. उनका आरोप है कि पार्टी पर बाहरी लोगों ने कब्जा जमा लिया है, वे दलितों को पसंद नहीं करते, इसलिए उनका टिकट कट गया.