तेजस्वी यादव के पिटारे में क्या है, जो बिहार विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर होगा

महागठबंधन के ये सभी दल सौदेबाजी करने में माहिर हैं. ऐसे में गठबंधन का सबसे बड़ा दल होने के नाते आरजेडी को बड़ा दिल दिखाना होगा.

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  • बिहार विधानसभा चुनाव के लिए इंडिया गठबंधन की बैठक में कांग्रेस और घटक दलों के नेता सीट बंटवारे और तालमेल पर चर्चा करेंगे.
  • आरजेडी, माले और मुकेश सहनी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद है, जिसमें उपमुख्यमंत्री पद भी शामिल है.
  • महागठबंधन को नौकरी और मुफ्त बिजली जैसी नीतीश सरकार की घोषणाओं के बाद नई योजना पेश करना एक चुनौती है.
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बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति के लिए इंडिया गठबंधन के दलों की बैठक होने जा रही है. इसमें कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के साथ-साथ घटक दल के सभी नेता शामिल होंगे. बैठक में सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा होगी. इसके साथ ही घोषणा पत्र और सभी घटक दलों में बेहतर तालमेल जैसे मुद्दों पर भी बात होगी. इंडिया गठबंधन में सीटों को लेकर शुरुआती बातचीत शुरू हो गई है. एक दिन पहले ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, प्रभारी कृष्णा अलावुरू और अन्य नेताओं की तेजस्वी यादव के साथ लंबी चर्चा हो चुकी है. 

सीटों का कैसे होगा बंटवारा

कांग्रेस इस बार पिछली बार की 70 सीटों से कम पर लड़ने के लिए तैयार है, मगर जीतने वाली सीट मांग रही है. अब दिक्कत ये है कि जीतने वाली सीटों की पहचान कैसे हो? आरजेडी अपनी जीती हुई कितनी सीटें कांग्रेस को देगी? हालांकि, आरजेडी के एक नेता ने कहा कि पिछली बार भी आरजेडी ने दो या तीन ऐसी सीटें कांग्रेस को दी थीं, जहां उनका विधायक था. अब सीटों के बंटवारे की बात चली है तो परेशानी ये है कि 40 सीटें माले भी मांग रही है और इस बार गठबंधन के साथ जुड़े मुकेश सहनी भी 40 सीटें चाहते हैं. ऐसे में आरजेडी के पास 100 के आसपास सीटें ही बचती हैं. मुकेश सहनी तो 40 सीटों के अलावे उपमुख्यमंत्री का भी पद चाहते हैं. 

कैसे बनेगी बात

महागठबंधन के ये सभी दल सौदेबाजी करने में माहिर हैं. ऐसे में गठबंधन का सबसे बड़ा दल होने के नाते आरजेडी को बड़ा दिल दिखाना होगा. कहीं सख्त तो कहीं नरम रवैया भी अपनाना पड़ेगा. सीटों के बंटवारे में तेजस्वी यादव को राहुल गांधी का साथ चाहिए होगा, जिससे कि सबको खुश रखा जाए और गठबंधन में एकता और मजबूती बनी रहे. दूसरी सबसे बड़ी समस्या ये है कि महागठबंधन जनता को क्या ऑफर करने वाली है?

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नीतीश हर दांव कर रहे फेल

महागठबंधन को एक बड़ी ऐसी योजना का वादा करना होगा, जो गेम चेंजर हो. दिक्कत यहां पर ये है कि महागठबंधन के नौकरी देने के वादे पर नीतीश कुमार भी वादा कर चुके हैं. शायद कुछ नौकरियां बांट भी दें. युवा आयोग जो तेजस्वी का पसंदीदा प्रोजेक्ट था, उसकी घोषणा भी नीतीश कर चुके हैं. वृद्ध लोगों की पेंशन बढ़ाने की घोषणा भी हो चुकी है और 125 युनिट मुफ्त बिजली देने की भी घोषणा नीतीश सरकार कर चुकी है. ऐसे में महागठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि अब वो क्या करेंगे? 

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दोनों तरफ समस्याएं

तेजस्वी यादव का कहना है कि उन्होंने अपने पिटारे में कुछ ऐसा छुपा रखा है, जो जीतने वाला आइडिया होगा. हो सकता महिलाओं को हरेक महीने रुपये देने या बसों में फ्री यात्रा जैसी कोई भी योजनाएं हो सकती है. अभी बिहार में सभी राजनीतिक दल रणनीति के तहत अपना-अपना दांव खेल रहे हैं, चाहे वो एनडीए हो या महागठबंधन. समस्याएं दोनों तरफ है. जो जल्दी इनको दूर कर लेगा, वो चुनाव में बेहतर स्थिति में रहेगा.

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