- तेजस्वी यादव की 'बिहार अधिकार यात्रा' आज समाप्त हो गई. इस यात्रा से राजद को क्या कुछ मिला, समझें.
- यात्रा के दौरान तेजस्वी ने बेरोजगारी, पलायन, कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे उठाए.
- तेजस्वी यादव ने यात्रा के माध्यम से विपक्षी गठबंधन में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर अपनी राजनीतिक ताकत मजबूत की.
Bihar Adhikar Yatra: RJD नेता तेजस्वी यादव की 'बिहार अधिकार यात्रा' शनिवार 20 सितंबर को समाप्त हो गई. राहुल गांधी के साथ 'वोटर अधिकार यात्रा' में बिहार के 22 शहरों की नब्ज टटोलने के बाद तेजस्वी को दूसरी यात्रा निकालने की जरूरत क्यों पड़ी? तेजस्वी को इस यात्रा से क्या कुछ हासिल हुआ? इस यात्रा से बिहार विधानसभा चुनाव में RJD कितना आगे बढ़ी या कितना पीछे गई? आइए समझते है इन सब सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में.
16 सितंबर से शुरू हुई थी यात्रा
RJD नेता तेजस्वी यादव ने इस यात्रा का मकसद सिर्फ अभियानों-प्रदर्शनों का सिलसिला नहीं है, बल्कि यह उनकी पार्टी की राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना भी है. यात्रा 16 सितंबर 2025 को पटना से शुरू हुई. पहले ही दिन तेजस्वी जहानाबाद और नालंदा आदि इलाकों में भी पहुंचे.
उन शहरों में पहुंचे तेजस्वी, जो वोटर अधिकार यात्रा में छूट गए थे
बिहार अधिकार यात्रा की शुरुआत के समय तेजस्वी ने बताया कि ये यात्रा उन जिलों से होकर गुजरेगी जो पहले ‘वोटर अधिकार यात्रा' में शामिल नहीं थे. इनमें नालंदा, बेगूसराय, खगड़िया, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, समस्तीपुर, वैशाली जैसे जिले और इलाक़े शामिल रहे.
बेरोजगारी, पलायन जैसे पुराने मुद्दों को तेजस्वी ने उठाया
यात्रा के दौरान तेजस्वी ने बेगूसराय में सभा की. खगड़िया सहित अन्य जिलों में जनता के बीच जाकर सरकार की खामियों को उजागर किया. तेजस्वी यादव ने यात्रा में कई तात्कालिक और व्यापक मुद्दे उठाए हैं. मुख्यत बेरोज़गारी, युवक-युवतियों के लिए रोजगार की कमी, गाँवों से बाहरी राज्यों की ओर पलायन.
तेजस्वी की इस यात्रा के जगह-जगह लोगों की भारी भीड़ उमड़ी.
कानून-व्यवस्था और करप्शन पर भी उठाए सवाल
इसके अलावा अपराध एवं कानून-व्यवस्था पर भी खुल के बोले. तेजस्वी ने कहा कि अपराध बढ़ गया है, महिलाओं की सुरक्षा कम हुई है, पुलिस थाने व सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार और दबाव बढ़े हैं. जनता को अब अपने घरों में भी सुरक्षित महसूस नहीं होता.
बिहार की बुनियादी मुद्दों को उठाते दिखे राजद नेता
तेजस्वी ने भ्रष्टाचार, वसूली, जमीन-जमाव, सरकारी कार्यालयों में वसूली, अधिकारी-अधिकारियों द्वारा गलत काम, योजनाओं में लापरवाही आदि पर आरोप आदि मुद्दों को भी पुरजोर तरीके से उठाया. तेजस्वी के यात्रा में बुनियादी मुद्दे जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला अधिकार, स्कूल-कॉलेजों की स्थिति, स्वास्थ्य सुविधाएं, महिला सुरक्षा, शिक्षक सम्मान भी छाये रहे.
सीएम फेस को लेकर भी तेजस्वी ने मजबूत किया दावा
तेजस्वी ने यह भी संकेत दिए हैं कि विपक्षी गठबंधन (महागठबंधन/INDIA ब्लॉक) में मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय होने का वक्त नजदीक है. उन्होंने “नकल CM या असली CM” जैसा सवाल जनता से पूछा है. हालांकि इस यात्रा में यह मुद्दा राहुल गांधी के ‘वोटर अधिकार यात्रा' की तरह प्रमुख नहीं है, लेकिन तेजस्वी ने इस विषय को पूरी तरह से त्यागा नहीं है.
लोगों की भीड़ के बीच से गुजरती तेजस्वी की बिहार अधिकार यात्रा.
वोट चोरी के मुद्दें से आगे बढ़े तेजस्वी
तेजस्वी यादव की यात्रा इस तरह आयोजित की गई है कि जिलों में असर दिखे, ताकि पार्टी का विस्तार हो. उन्होंने ‘वोटर अधिकार यात्रा' की छाया से अलग अपनी विषय को सामने रखा. जबकि राहुल गांधी ने वोट-चोरी और निर्वाचन आयोग की भूमिका को अधिक उठाया, तेजस्वी ने सरकारी कल्यों, विकास और रोज़मर्रा की समस्याओं पर जोर दिया.
यात्रा से तेजस्वी को क्या मिला?
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस यात्रा से तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी (RJD) को कहाँ-कहाँ से संभवतः राजनीतिक लाभ होगा, और कहाँ कमजोरियाँ हो सकती हैं. जनता के बीच तेजस्वी यादव का चेहरा “अगले मुख्यमंत्री संभावित उम्मीदवार” के रूप में पेश हो रहा है और यदि यह धारणा पक्की हो जाए, तो महागठबंधन के अंदर उनकी अनदेखी की गुंजाइश कम होगी.
तेजस्वी के वोटरों के मुद्दें मन तक पहुंचे तो बदल जाएगा सीन
बेरोज़गारी, शिक्षा-स्वास्थ्य, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे आम जनता के जीवन से सीधे जुड़े हैं. यदि यात्रा के दौरान ये शिकायतें सचमुच जनता के मन में घर कर गई तो जनता में असंतोष बढ़ सकता है, और NDA की सरकार पर जनादेश खोने का डर हो सकता है.
यात्रा के दौरान महिला सुरक्षा, महिला-कल्याण आदि विषयों पर जोर देना, महिलाओं से संवेदनशीलता दिखाना, उन्हें ‘माई-बहन' जैसे सम्बोधन देना – ये सब महिला मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है.
वोट चोरी का मुद्दा बिहार के वोटरों पर कुछ खास असर नहीं डालेगा
तेजस्वी लगातार ‘वोट चोरी' की कहानी भी लोगों को बता रहे हैं. लेकिन जनता को यह लगता है कि मतदाता सूची में सुधार वास्तव में जरूरी है, और SIR जैसे प्रावधानों से नाम हटना या जोड़ना स्वाभाविक है, तो ‘वोट चोरी' का यह मुद्दा कुछ ख़ास असर नहीं डालेगा.
दूसरा खतरा यह है कि यदि यात्रा में जाति-धर्म या समुदाय संबंधी मुद्दे अधिक उछले, तो समाज में विभाजन की चुनौतियां होंगी, आलोचना बढ़ सकती है. जनता आज आर्थिक मुद्दों, रोजमर्रा की समस्याओं की ओर ज्यादा झुकाव दिखाती है.
बदलाव का समय आ गया है, तेजस्वी ने दिए संकेत
बिहार अधिकार यात्रा तेजस्वी यादव के लिए सिर्फ विरोध की यात्रा नहीं है, बल्कि अपने चेहरे को पूरी तरह से बिहार के अगले मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित करने की रणनीति है. उन्होंने जहाँ विकास, रोजगारी, शिक्षा-स्वास्थ्य, महिला सुरक्षा आदि मुद्दों को सामने रखा है, वहां उन्होंने यह भी संकेत दिए हैं कि अब बदलाव का समय आ गया है.
फिर भी सफलता सुनिश्चित नहीं है; यह इस पर निर्भर करेगा कि जनता के बीच यह यात्रा कितनी विश्वसनीय लगी, सरकार के खिलाफ असंतोष कितना गहरा है, और महागठबंधन अंदर सीट-बंटवारे व नेतृत्व-संबंधी निर्णय कैसे लेता है.
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