राजद नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को आरोप लगाया कि राम विलास पासवान का बंगला खाली करते समय बाबा साहेब अंबेडकर और पद्म भूषण पासवान जी की तस्वीर सड़क पर फेंककर अपमान किया गया. तेजस्वी यादव ने कहा कि केंद्र सरकार की टीम ने ऐसा करके संविधान और दलित वर्ग का अपमान करने का कुकृत्य किया है.
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है, 'ताउम्र वंचितों के हितैषी और पैरोकार रहे स्व० रामविलास पासवान जी का दिल्ली आवास खाली कराने गयी केंद्र सरकार की टीम ने भारत रत्न बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति और पद्म भूषण पासवान जी की तस्वीर को अपमानजनक तरीके से सड़क पर फेंक संविधान और दलित वर्ग का अपमान करने का कुकृत्य किया है.'
वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी पटना में इस पर खुलकर बात रखी. उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, 'मेरे पिता की तस्वीरों को उठा उठाकर बाहर फेंका. संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की मूर्तियों को उठाकर बाहर फेंका. मेरे माता-पिता के बिस्तर पर अधिकारी जूते-चप्पल पहनकर उन्हें रौंद रहे थे. मेरी नानी की देखभाल करने वाली महिला के साथ पुलिस बदसलूकी कर रही थी. मुझे इसकी वजह समझ नहीं आई, कि जब हम लोग घर खाली करने को तैयार थे. तो इस तरह से घर खाली कराने की क्या जरूरत थी? किसके निर्देश पर ये हुआ है? क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इतना दबाव था कि चिराग पासवान को ऐसे बेइज्जत किया जाए.
साथ ही कहा, 'आज दलित और महादलित समुदाय देख रहा है कि जिसे आपने इसी साल पद्म भूषण दिया, उसकी बीवी और उसके बच्चे को कैसे घर से धक्के मारकर बाहर निकाला. आने वाले समय में ये लोग आपको जवाब देंगे. ये जवाब खासतौर पर उन लोगों को मिलेगा जो आज मेरे नेता की वजह से वहां मंत्री बने हुए हैं. आज आपने मुझे घर से निकाला. लिखकर ले लिजिए कि बिहार की 12 करोड़ जनता के दिल में आज के बाद से चिराग पासवान बसने वाला है. चिराग पासवान को कितना भी तोड़ने, झुकाने की कोशिश कर लें. शेर का बच्चा हूं, राम विलास पासवान का बच्चा हूं. ना डरने वाला हूं, ना झुकने वाला. आप मेरे चेहरे पर शिकन देखना चाहते हो, अफसोस की बात है कि कभी नहीं दिखेगी. क्योंकि मैं कभी डरता नहीं. मैंने मेरे नेता राम विलास पासवान से सीखा है.'
साथ ही उन्होंने अपने चाचा पशुपति पारस पर निशाना साधते हुए कहा, 'मेरा सवाल उन लोगों से है जो आज मेरे नेता के नाम से मंत्री बने बैठे हैं. वो दौर था जब आप मांग करते थे कि 12 जनपथ दो. राम विलास पासवान स्मारक के तौर पर घोषित किया जाए. आज आप जिस सरकार में मंत्री हैं, उस सरकार ने आपके भगवान के मंदिर को ध्वस्त किया. किस मुंह से आप सरकार में मंत्री हैं? केवल अपने लालच के लिए, कुर्सी के लिए. आपने दिखा दिया कि कुर्सी के लालच में आपने परिवार और पार्टी को तोड़ने का काम किया.'