- रोहिणी आचार्य ने पिता लालू के लिए किडनी दान कर परिवार के प्रति गहरा प्रेम और त्याग दिखाया था
- किडनी ट्रांसप्लांट के समय रोहिणी ने कहा था कि मां-बाप सेवा हर बच्चे का परम कर्तव्य होता है
- हाल ही में रोहिणी ने सोशल मीडिया पर अपने अपमान और परिवार से अलग होने की बात कही
कभी अपने पिता लालू प्रसाद यादव को बचाने के लिए रोहिणी आचार्य ने अपनी एक किडनी डोनेट कर दी थी, उस समय उन्होंने कहा था कि यह तो बस मांस का एक छोटा सा टुकड़ा है, जो मैं अपने पापा के लिए देना चाहती हूं. पापा के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं. तब फैमिली की खुशियों के लिए किडनी डोनेट करने वाली रोहिणी की आवाज में गर्व था, आंखों में पिता के लिए असीम प्रेम. जो रोहिणी अपनी फैमिली पर प्यार लुटाने को हरदम तैयार थी, अब वो किस कदर आहत है उनकी सोशल मीडिया पोस्ट से ये जगजाहिर हो चुका है. नौबत ये आन पड़ी कि उन्होंने दिल पर पत्थर रखते हुए खुद को परिवार से अलग कर लिया.
जब पिता को रोहिणी ने दी किडनी
एक तरफ जब पिता को किडनी देने के लिए रोहिणी हर जगह तारीफें बटोर रही थी अब वहीं रोहिणी खुद को परिवार से जुदा और अकेला महसूस कर रही है. पिता की सर्जरी से पहले रोहिणी आचार्य ने तब एनडीटीवी से बातचीत में बताया था कि डॉक्टरों ने जब किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी, तो उनका पहला रिएक्शन था कि मां-बाप हमारे लिए भगवान हैं, और उनकी सेवा हर बच्चे का फर्ज है. उस वक्त रोहिणी ने ट्वीट किया था कि जिस पिता ने मुझे इस दुनिया में आवाज दी, उनके लिए अगर मैं अपने जीवन का छोटा सा भी योगदान दे पाती हूं तो यह मेरा परम सौभाग्य होगा.
ये भी पढ़ें : रोहिणी और तेजस्वी में हुई थीं बहुत 'तीखी बहस', लालू फैमिली के झगड़े की पूरी कहानी जानिए!
रोहिणी क्यों इतनी आहत
रोहिणी ने तब अपने बचपन की तस्वीरें पोस्ट कीं थी, जिसमें वह पिता की गोद में बैठी थीं. यह तस्वीरें उस रिश्ते की गहराई बयान कर रही थीं, जो आज दरक चुका है. समय बदला और हालात भी बदल गए. वही रोहिणी, जिसने पिता के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी थी, आज सोशल मीडिया पर दर्द बयां कर रही है. हाल ही में उन्होंने पोस्ट किया कि कल एक बेटी, एक बहन, एक मां को जलील किया गया, गंदी गालियां दी गईं, मारने के लिए चप्पल उठाया गया… मुझे अपमानित किया गया. सूत्रों के मुताबिक, चुनावी हार के बाद तेजस्वी यादव और रोहिणी के बीच तीखी बहस हुई.
राजनीति रिश्तों पर भारी
रोहिणी ने हार की समीक्षा और जिम्मेदारी तय करने की बात कही. उन्होंने संजय यादव को लेकर कार्यकर्ताओं के विरोध का मुद्दा उठाया. इस पर तेजस्वी भड़क गए और कहा कि तुम्हारे ही कारण चुनाव हार गए… तुम्हारा हाय लग गया हम लोगों को. रोहिणी ने कभी कहा था कि पापा के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं. आप सब दुआ कीजिए कि सब बेहतर तरीके से हो जाए. आज वही रोहिणी अपने परिवार से आहत होकर अलग हो चुकी है. यह कहानी सिर्फ राजनीति की नहीं, रिश्तों की भी है, जहां त्याग और बलिदान के बाद भी सम्मान की उम्मीद टूट जाती है.
ये भी पढ़ें : गंदी गालियां दी, मारने के लिए चप्पल उठाया...रोहिणी आचार्य ने बयां किया दर्द














