बिहार में मोकामा से निर्दलीय बाहुबली विधायक अनंत सिंह का जेल जाना तय है यह बात वह भी जानते हैं. जब से उनके पैतृक घर से AK-47 राइफल, हैंड ग्रेनेड और 26 राउंड गोलियां बरामद हुई है तब से ही अनंत सिंह बार बार यही कह रहे हैं कि उन्हें सांसद ललन सिंह के इशारे पर फंसाया गया है और अब कोर्ट से ही उन्हें न्याय मिलेगा. अनंत सिंह के घर पर राबड़ी देवी के कार्यकाल में भी छापेमारी हुई थी और घंटों तक दोनों तरफ़ से फ़ायरिंग हुई लेकिन उस समय की राजनीतिक परिस्थिति में अनंत सिंह पर नीतीश कुमार और ललन सिंह का आशीर्वाद था और वह विधायक जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर चुने गये थे. लेकिन इस दोस्ती की नींव 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब नीतीश कुमार बाढ़ संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे तो उन्हें इस बात का अंदाज़ा हो गया था कि मोकामा से निर्दलीय विधायक सूरजभान सिंह के लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल हो जाने के कारण और उन्हें बलिया से आरजेडी-लोजपा का संयुक्त उम्मीदवार बनाए जाने के कारण अनंत सिंह की मदद के बिना चुनाव आसान नहीं होगा. इसलिए नीतीश कुमार के लिए बाहुबली मैनेजमेंट के प्रभारी ललन सिंह ने अनंत सिंह को पटाया था. उस समय एक जनसभा का आयोजन किया गया था जिसमें चांदी के सिक्कों से अनंत सिंह ने नीतीश कुमार को तौला था. इस कार्यक्रम का यह वीडियो फ़ुटेज भी काफ़ी चर्चित हुआ और नीतीश कुमार के लिए परेशानी का सबब भी बना.
(यह एके-47 अनंत सिंह के घर से बरामद हुई है)
लेकिन यह भी सच है कि नीतीश कुमार के सत्ता में आते ही अनंत सिंह के पौ बारह हो गए और उन्होंने पटना में औने-पौने दामों में संपत्ति खरीदना शुरू कर दिया. कई बार मामला कोर्ट कचहरी और थाने तक पहुंचा लेकिन अनंत सिंह को सत्ता का संरक्षण मिला हुआ था. ललन सिंह के वरदहस्त होने के चलते अनंत सिंह का कभी भी कोई कुछ बिगाड़ नहीं पाया. यहां तक कि पिछले लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद जब नीतीश कुमार की कृपा से जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने तब अनंत सिंह खुलेआम उनके ख़िलाफ़ जातिवाचक शब्दों का प्रयोग कर बयान देते थे.
जब लालू यादव के साथ महागठबंधन बना और उनके दबाव में कुछ यादव लड़कों के साथ मारपीट की घटना के बाद छापेमारी हुई तो पुलिस टीम को कुछ भी हाथ नहीं लगा और उस समय के तत्कालीन पटना के डीआइजी शालिन ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विकास वैभव को यह कहकर फटकार लगायी थी कि अनंत सिंह के घर पर छापेमारी हो और हथियार, कुछ लाख रुपये बरामद ना हो तो उससे बड़ी शर्म की बात नहीं है. उनका इशारा साफ़ था कि छापेमारी की ख़बर लीक कर दी गई थी. बाद में विधानसभा चुनाव में निर्दलीय आनंद सिंह चुनाव जीते और यही उनके लिए अब दुर्गति का कारण बनता जा रहा है. अनंत सिंह को यह ग़लतफ़हमी हो गई कि जब वो लालू और नीतीश के महागठबंधन के ख़िलाफ़ चुनाव लड़कर जीत सकते हैं तो वो संसद सदस्य क्यों नहीं बन सकते और जिस ललन सिंह की छाया में उनका साम्राज्य फैला था उसी को उन्हीं को चुनौती देने की गलती कर बैठे.
लेकिन सच यही है की जब तक सरकार की कृपा थी तब तक हथियारों का ज़ख़ीरा उनके पटना या उनके गांव में रहता था. यह बात पुलिस के उच्चाधिकारियों को भी मालूम था. पूर्व पुलिस अधिकारी अमिताभ लाल दास ने लिखित रूप से यह शिकायत की थी. लेकिन इसकी सजा उनको पूरे करियर में मिलती रही. आज पुलिस जो भी कार्रवाई अनंत सिंह के ख़िलाफ़ कर रही है तो निश्चित रूप से इसका श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जाता है जिन्होंने एक बाहुबली के ख़िलाफ़ देर से ही सही कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाई.
भले ही इसके पीछे उनके क़रीबी ललन सिंह हैं जिन्होंने चुनाव में जीत के बावजूद एक नहीं कई अच्छे अधिकारियों को इसलिए तबादला करवा दिया क्योंकि चुनाव के दौरान उन्होंने उनकी बात नहीं मानी. लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि अनंत सिंह ने बाहुबली बनकर जो मन में आया वह किया.लोगों को डरा धमकाकर ज़मीन और मकान पर जबरदस्ती कब्जा करते रहे और हत्या के भी कई मामलों में बच गए और इन सब के पीछे नीतीश कुमार और ललन सिंह का ही वरदहस्त था.
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