- सोनपुर विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन की आरजेडी ने डॉ. रामानुज प्रसाद को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है
- बीजेपी ने एनडीए के तहत विनय कुमार सिंह को सोनपुर सीट से चुनावी उम्मीदवार बनाया है
- सोनपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 277894 मतदाता हैं और 2020 के चुनाव में जीत अंतर करीब 6686 वोट का था
बिहार को दो-दो मुख्यमंत्री देने वाला सोनपुर विधानसभा क्षेत्र नई रणनीति और नए मुद्दों के साथ चुनाव के लिए तैयार है. सोनपुर विधानसभा सीट महागठबंधन में आरजेडी के खाते में है, जिसने डॉ. रामानुज प्रसाद को एक बार फिर मैदान में उतारा है. वहीं एनडीए के खाते में ये सीट बीजेपी के हिस्से आई है, जिसने यहां से विनय कुमार सिंह को टिकट दिया है. राजद के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने 1980 में सोनपुर सीट से जीत हासिल करके विधानसभा में प्रवेश किया था. इसी धरती से रामसुंदर दास का नाता रहा है, जो बिहार के मुख्यमंत्री रहे. जेपी आंदोलन के बाद 1977 में हुए चुनाव में रामसुंदर दास इस क्षेत्र से निर्वाचित हुए और राज्य के मुख्यमंत्री बने थे.
2010 के बाद से नहीं जीती आरजेडी
सोनपुर ने अब तक कई हाई-प्रोफाइल चुनावी लड़ाई देखी हैं, लेकिन इस क्षेत्र की खासियत यह है कि जनता अपने अपमान को नहीं भूलती और समय आने पर उसका जवाब भी देती है. 1980 में लालू प्रसाद को जिताया जरूर, लेकिन जब उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया, तो जनता ने इसे विश्वासघात माना. 2010 के चुनाव में जनता ने इसका बदला लेते हुए उनकी पत्नी राबड़ी देवी को हराया और तब से अब तक राजद यहां से जीत हासिल नहीं कर पाई है.
वोटों का गणित
सोनपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 277894 मतदाता हैं. आरजेडी के रामानुज प्रसाद राय यहां से मौजूदा विधायक हैं, जिन्होंने 2020 के चुनाव में बीजेपी के विनय कुमार सिंह को शिकस्त दी थी. हालांकि, जीत अंतर सिर्फ 6686 वोटों का था. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव 2025 में भी रामानुज प्रसाद राय और विनय कुमार सिंह के बीच इस सीट से मुकाबला देखने को मिल रहा है.
सोनपुर सीट का भौगोलिक महत्व
सोनपुर विधानसभा क्षेत्र, दक्षिण में गंगा और पूरब में गंडक नदी से घिरा है. यह न सिर्फ राजनीतिक, बल्कि ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. यह भूमि 'हरि और हर' यानी विष्णु और शिव की भूमि मानी जाती है. इस भूमि की सियासत में जितनी ख्याति है, उससे कहीं ज्यादा हरिहरक्षेत्र मेला से यह विश्वविख्यात है. सोनपुर पशु मेला नवंबर महीने में कार्तिक पूर्णिमा (पूर्णिमा के दिन) को सोनपुर, बिहार में गंगा और गंडक नदी के संगम पर आयोजित किया जाता है. यह दिन भगवान हरिहरनाथ की पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है. इसे हरिहरनाथ मेला के रूप में भी जाना जाता है और यह पूरे एशिया से आगंतुकों को आकर्षित करता है. आज तक यह एशिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक है.
सोनपुर का ऐतिहासिक महत्व
गंडक नदी के तट पर एक प्राचीन हरिहर मंदिर स्थित है, जहां भक्त पवित्र स्नान और पूजा-अर्चना करके मेले की शुरुआत करते हैं. हरिहरनाथ क्षेत्र के सोनपुर मेले की पूरी अवधारणा भगवान हरिहरनाथ (विष्णु और शिव) की पूजा के इर्द-गिर्द शुरू हुई. ऐतिहासिक वृत्तांत बताते हैं कि इसकी शुरुआत प्राचीन काल से हुई, जब चंद्रगुप्त मौर्य (340-297 ईसा पूर्व) गंगा नदी के पार हाथी और घोड़े खरीदते थे. आज यह पारंपरिक और आधुनिक गतिविधियों का मिश्रण बन गया है, जिसमें विभिन्न घाटों पर ऐतिहासिक स्नान और मंदिरों के दर्शन से लेकर स्टॉल और मनोरंजन पार्क तक शामिल हैं. इसमें विभिन्न सरकारी विभागों के स्टॉल के साथ-साथ स्थानीय कलाकारों और पशु व्यापारियों की प्रदर्शनी भी है. सांस्कृतिक पहलू यह कहता है कि सोनपुर और हाजीपुर के बीच तीव्र भाषाई परिवर्तन है. ये दोनों जुड़वां शहर सिर्फ गंडक नदी के कारण अलग हैं, फिर भी भाषा हाजीपुर में मैथिली तो सोनपुर में भोजपुरी में नाटकीय रूप से बदल जाती है.
आरजेडी का दबदबा
इस निर्वाचन क्षेत्र में अब तक 17 विधानसभा चुनाव हुए हैं. कांग्रेस ने चार बार जीत हासिल की, आखिरी बार 1972 में. लालू की राजद ने भी चार बार जीत हासिल की है, जिसमें 2015 और 2020 के पिछले दो चुनाव शामिल हैं. भाजपा, जनता दल और जनता पार्टी ने दो-दो बार जीत हासिल की है, जबकि निर्दलीय, भाकपा और लोकदल ने एक-एक बार जीत हासिल की है.