समस्तीपुर के कलाकार कुंदन राय ने बनाया मिथिला पेंटिंग वाला ‘सूप’, पीएम मोदी को भेंट किया अनोखा उपहार

मिथिला पेंटिंग के प्रत्येक डिजाइन को सावधानीपूर्वक रंगों से सजाया गया और हर बारीक विवरण पर गहराई से काम किया गया. वे बताते हैं, स्थानीय बाजार में ऐसे सूप की कीमत 700 से 1500 रुपये तक होती है. (अविनाश कुमार की रिपोर्ट)

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • पीएम मोदी को समस्तीपुर की सांसद शांभवी चौधरी ने मिथिला पेंटिंग से सुसज्जित सूप भेंट किया
  • यह सूप लोक कलाकार कुंदन कुमार राय ने दो दिन मेहनत से बनाया, जिसमें छठ पूजा की भावना और परंपरा समाहित है
  • कुंदन राय कलर ब्लाइंडनेस के बाव अपनी मां की प्रेरणा से पेंटिंग कला में राष्ट्रीय और वैश्विक पहचान बना चुके हैं
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
समस्तीपुर:

समस्तीपुर से बिहार विधानसभा चुनाव का शंखनाद करने आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सांसद शांभवी चौधरी द्वारा एक अनोखा उपहार मिला. मिथिला पेंटिंग से सुसज्जित सूप. यह उपहार केवल एक वस्तु नहीं, बल्कि लोक कला, छठ पूजा और बिहार की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक बन गया. सूप को देखकर प्रधानमंत्री समेत वहां मौजूद सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए. यह विशेष सूप समस्तीपुर के लोक कलाकार कुंदन कुमार राय ने तैयार किया. कुंदन राय ने बताया कि इसे बनाने में पूरे दो दिन लगे. मिथिला पेंटिंग के प्रत्येक डिजाइन को सावधानीपूर्वक रंगों से सजाया गया और हर बारीक विवरण पर गहराई से काम किया गया. वे बताते हैं, स्थानीय बाजार में ऐसे सूप की कीमत 700 से 1500 रुपये तक होती है, लेकिन यह सूप अनमोल है क्योंकि इसमें भावनाएं, परिश्रम और परंपरा का समर्पण समाया है.

छठ पूजा बिहार और भारत की प्रमुख धार्मिक परंपराओं में से एक है, जिसमें महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देकर आस्था और पवित्रता का संकल्प निभाती हैं.

मिथिला पेंटिंग से सजा यह सूप इस परंपरा को और अधिक गरिमामय बनाता है. कुंदन राय की कला ने लोक संस्कृति और भारतीय परंपरा की आत्मा को जीवंत कर दिया.

कुंदन राय पहले भी प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरें बनाकर भारतीय डाक के माध्यम से भेज चुके थे, पर उन्हें कभी कोई उत्तर नहीं मिला। मगर इस बार भाग्य ने उनका साथ दिया. समस्तीपुर की धरती पर सांसद शांभवी चौधरी द्वारा प्रधानमंत्री को उनके हाथों की बनी कृति भेंट करने का अवसर मिला.

यह पल उनके लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत बन गया. इस उपलब्धि ने समस्तीपुर की कला और संस्कृति को राष्ट्रीय पहचान दिलाई है. सूप की यह अनोखी कृति विदेशों में बसे भारतीयों के लिए भी प्रेरणा बन रही है. जब सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया या अन्य देशों के घाटों पर यह सूप दिखेगा, तो प्रवासी भारतीयों को अपने गांव, घाट और छठी मइया की यादें ताजा होंगी.

कुंदन राय बताते हैं कि उन्होंने यह कला अपनी मां से सीखी है, जो स्वयं भी मिथिला पेंटिंग की पारंगत कलाकार हैं. उनकी मेहनत और समर्पण ने समस्तीपुर की लोककला को न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक मंच तक पहुंचा दिया है. यह उपहार भारतीय संस्कृति और लोक परंपरा की जीवंत मिसाल है.

Advertisement

बचपन से ही कला का शौक, कलर बलाइंडनेस से हैं ग्रसित :

समस्तीपुर शहर के मगरदही निवासी कुंदन को पेंटिंग का बचपन से ही शौक था. पढ़ाई-लिखाई के साथ पेंटिंग भी बनाते थे. नौकरी के दौरान भी कला के प्रति यह प्रेम जारी रहा. बाद नौकरी छोड़कर पेंटिंग बनाने के काम ही शुरू कर दिया.

कला का हुनर देखकर उनकी मां बचपन से ही प्रोत्साहित करती रही. इस बीच कलर ब्लाइंडनेश होने के बाद पेंटिंग का साथ छूट गया था. लंबे समय के बाद 2009 में नागपुर से एमबीए की पढ़ाई करने के दौरान शिक्षक के कहने पर पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया. इसमें फस्ट रनर अप रहे.

Advertisement

इसके बाद उनका हौसला फिर से बढ़ना शुरू हो गया। इस बीच एक से बढ़कर एक पेंटिंग बनाने से उनकी पहचान लगातार बढ़ रही है. अब इनकी चर्चा पूरे देश में हो रही है. कुंदन ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया, मुझे कलर ब्लाइंडनेस है. मैं लाल, हरा, गुलाबी, भूरा, कत्थई, मरुन, नीला आदि कई रंगों को ठीक से देख नहीं पाता हूं. फ्रीस्टाइल पेंटिंग अक्सर मैं बिना किसी की मदद के बनाता हूं. कभी-कभी एक्चुअल कलर वाली पेंटिंग के लिए मैं अपनी बहन या भांजी की मदद लेता हूं.

Featured Video Of The Day
Bihar Elections 2025: 'हमने तो छोटा भाई कहा लेकिन..' Khesari Lal पर भड़क गए Ravikishan